हमेशा हेल्दी खाने की आदत भी होती है एक समस्या, कहीं आप भी तो नहीं हैं इस Eating Disorder का शिकार?
आजकल हेल्दी खाने की आदत भी एक समस्या बन सकती है जिसे ऑर्थोरेक्सिया (Orthorexia Symptoms) कहते हैं। इसमें लोग हेल्दी खाने को लेकर इतने सख्त हो जाते हैं कि यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो जाता है। वे उन चीजों से बचते हैं जो उनकी क्लीन खाने की कैटेगरी में नहीं आतीं। यह समस्या शारीरिक और मानसिक दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। चाहे ऑफिस में हों या घर पर, आपके आस-पास भले ही लोग पेस्ट्री, चिप्स जैसी चीजें खा रहे हों, लेकिन आपने खुद से हेल्दी खाने का जो वादा किया है उस पर डटे हुए हैं। भले ही आपने हेल्दी खाने का वादा किया हो, लेकिन पेस्ट्री और चिप्स के नजारे से होने वाली एंग्जायटी का क्या?
क्या हो अगर हर दिन सलाद खाने का एक सख्त नियम बना लिया जाए। हेल्दी खाने को लेकर जरूरत से ज्यादा सख्ती आपको फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचा सकती है। इस तरह की आदत को एक नया नाम दिया गया है- ऑर्थोरेक्सिया (Orthorexia Symptoms)। आइए जानते हैं क्या है यह समस्या-
हेल्दी खाने की जिद
पिछले 10 सालों में ऑर्थोरेक्सिया को लेकर हुई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लोग हेल्दी खाने को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्त हो गए हैं। इसमें एक समय ऐसा आता है, जब यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होने लगता है। यह हेल्दी या क्लीन खाने के प्रति एक जुनून को दर्शाता है।
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क्या है यह समस्या?
ऑर्थोरेक्सिया एक तरह का ईटिंग डिसऑर्डर (What is Eating Disorder) है, जिससे पीड़ित लोग अपने खाने की आदत को लेकर बड़े ही पाबंद हो जाते हैं या फिर ऐसी चीजें खाने से बचते हैं, जो उनके क्लीन या हेल्दी खाने की कैटेगरी में नहीं आते। इस तरह की डाइट काफी सख्त हो सकती है, जिसका उस व्यक्ति की फिजिकल या मेंटल हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। ऑर्थोरेक्सिया में लोग सिर्फ सख्ती से अपनी डाइट का पालन नहीं कर रहे होते या वीगन नहीं होते, इससे उन्हें बेहतर महसूस होता है।
अपराधबोध का एहसास
ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति हेल्दी और अनहेल्दी खाने को लेकर बनाए गए नियमों का जुनूनी तरीके से पालन करता है। इतना ही नहीं, अगर उनके बनाए गए नियमों में कोई खाना फिट नहीं हो रहा है, तो ऐसा न कर पाने की स्थिति में उन्हें अपराधबोध और बेचैनी भी महसूस हो सकती है। यह समस्या कुछ हद तक एनॉरेक्सिया से मिलती-जुलती है, लेकिन ऑर्थोरेक्सिया में लोग जहां खाने की क्वालिटी को लेकर अडिग रहते हैं, एनॉरेक्सिया में खाने की मात्रा को लेकर।
क्या यह खतरनाक हो सकता है
ऑर्थोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह फिजिकली नुकसानदायक हो सकता है और क्वालिटी ऑफ लाइफ को प्रभावित कर सकता है। एक पूरे फूड ग्रुप को अपने आहार से हटा देने से कुपोषण और बहुत ज्यादा वजन कम होने की समस्या हो सकती हैं। वहीं, इससे ओवरईटिंग का खतरा भी बढ़ सकता है, क्योंकि अगर आप शुगर के पूरे ग्रुप को हटा देंगे, तो क्रेविंग और बढ़ेगी।
अकेले पड़ सकते हैं
खाना शेयर करना सिर्फ अच्छी आदत ही नहीं, हमारी संस्कृति का भी हिस्सा है। अगर खाने को लेकर बेहद ही सख्त नियमों से बंध जाते हैं, तो लोगों के बीच रहकर भी अलग-थलग हो सकते हैं और भावनात्मक तनाव हो सकता है। हर समय हेल्दी खाना पकाने के बारे में सोचते रहने से भी क्वालिटी ऑफ लाइफ पर असर पड़ सकता है।
ये लक्षण आ सकते हैं नजर
एक्सपर्ट्स ने ऑर्थोरेक्सिया (Orthorexia Warning Signs) को लेकर कुछ लक्षण बताए हैं, जो इस प्रकार हो सकते हैं:-
- बार-बार सामग्री की लिस्ट और पोषक तत्वों के लेबल को पढ़ना
- सामग्री के सेहतमंद होने को लेकर जरूरत से ज्यादा चिंतित होना
- बाकी लोग क्या खा रहे हैं, उसके सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बेवजह दिलचस्पी लेना
- आगे आने वाले किसी खास मौके पर क्या परोसना है, उस बारे में सोचकर समय बर्बाद करना
- क्लीन या हेल्दी खाना उपलब्ध न होने पर अचानक तनाव का बढ़ जाना
- सोशल मीडिया या बाकी प्लेटफॉर्म पर भी घंटों हेल्दी खाने के बारे मे सर्च करना
एक्सपर्ट की मदद लें
अगर किसी को इस तरह की समस्या पेश आ रही है, तो उन्हें तुरंत ही एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। साइकोथैरेपी इसके लिए एक प्रभावी ट्रीटमेंट साबित हुआ है। इस तरह के ट्रीटमेंट ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर में भी दिए जाते हैं।
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