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    World Alzheimer's Day 2023: आपकी भूलने की आदत कहीं बीमारी तो नहीं!

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Mon, 18 Sep 2023 05:40 PM (IST)

    हर साल 21 सितंबर के दिन विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके। दरअसल याददाश्त से जुड़ी सभी बीमारियों को एक ही मान लिया जाता है जबकि ये अलग-अलग तरह की समस्याएं हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो डिमेंशिया के कुल मरीजों में 60-70 प्रतिशत अल्जाइमर के मरीज होते हैं।

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    World Alzheimer's Day 2023: जानें क्या है अल्जाइमर रोग

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। World Alzheimer's Day 2023: भूल जाना सामान्य बात है, लेकिन यदि इससे आपकी दिनचर्या व सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है, तो संभव है यह अल्जाइमर हो। सामान्य तौर पर तो यह उम्रजनित बीमारी है, लेकिन 50 से कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो सकते हैं। कितना गंभीर है यह रोग, क्या है लक्षण व उपचार, आइए जानते हैं।

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    परीक्षा में उत्तर याद करना और उसके बाद भूल जाना सामान्य बात है। कुछ बातें दिमाग पर जोर पड़ते ही झट याद आ जाती हैं। वहीं, यदि याद रखने की क्षमता कमजोर पड़ने लगे और इससे आपकी सामान्य जिंदगी अस्त-व्यस्त होने लगे तो सचेत हो जाएं, संभव है यह अल्जाइमर हो। यह बीमारी डिमेंशिया के अंतर्गत आती है, जिसके कारण स्मरण लोप हो सकता है। सामान्य तौर पर यह रोग उम्रदराज लोगों में दिखता है पर इन दिनों अस्वास्थकर जीवनशैली के कारण यह लोगों को समयपूर्व भी अपने चपेट में ले रहा है।

    क्या है अल्जाइमर रोग?

    अल्जाइमर मस्तिष्क कोशिकाओं के नष्ट होने के कारण होता है। चिकित्सकीय भाषा में इसे न्यूरोजेनरेटिव बीमारी कहते हैं, जिसका अर्थ है समय के साथ मस्तिष्क की प्रोग्राम की हुई कोशिकओं का नष्ट या कमजोर हो जाना। हालांकि, इन कोशिकाओं की उम्र बड़ी लंबी होती है पर कुछ विशेष जीन होते हैं, जिनके कारण वे पहले ही नष्ट हो जाती हैं। अल्जाइमर में मस्तिष्क का वह हिस्सा प्रभावित होता है, जहां सोचने समझने व याद रखने की प्रक्रिया होती हैं, इसलिए स्मरण क्षमता पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। यह बीमारी कई चरण में होती है। अंतिम चरण में पीड़ित मरीज अपना सामान्य कार्य भी स्वयं नहीं कर पाता। उसे यह भी याद नहीं रहता कि वह कहां रहता है और घर में कौन सी चीज कहां रखी है, उनके उपयोग क्या हैं। बता दें कि उम्र के पचासवें या साठवें पड़ाव पर यह बीमारी होती है, लेकिन अब दस से पंद्रह प्रतिशत इससे कम उम्र के लोग भी इससे जूझते देखे जा रहे हैं।

    ये हो सकते हैं लक्षण

    • आसान व सरल लगने वाले कार्यों को भी पूरा करने में कठिनाई
    • समस्याओं को सामने देखकर हल करने में अक्षमता
    • निर्णय लेने में दिक्कत होना
    • याद रखने में परेशानी के कारण दोस्तों एवं परिवार से स्वयं अलग रखने की प्रवृत्ति
    • संवाद-संप्रेषण में परेशानी, लिखित रूप में हो या बोलकर
    • स्थानों, लोगों और घटनाओं के बारे में विभ्रम हो जाना
    • तस्वीरों या छवियों को समझने में कठिनाई आदि

    इसके प्रमुख कारण क्या हैं?

    • उम्रदराज होना, जीवनस्तर बेहतर होने से आयु तो बढ़ी है पर भूलने की बीमारी भी साथ लाती है।
    • अनुवांशिकी, परिवार या वंश में किसी को पहले रहा है, तो संभव है आप भी इसके शिकार हो जाएं।
    • पर्यावरणीय कारक-अध्ययन बताते हैं कि बढ़ते प्रदूषण के कारण भी यह रोग संभव है।
    • खराब जीवनशैली, धूमपान, मोटापा, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्राल व हृदयरोग एक बड़ा कारक है।
    • अल्प शिक्षित लोगों में भी यह बीमारी हो सकती है। यह बीमारी उच्च शिक्षित लोगों को कम होती है। दरअसल, औपचारिक शिक्षा में गुजारे गए कई वर्ष न्यूरान्स के बीच आपसी संपर्कों को बढ़ाने में सहायता कर सकते हैं। ऐसे में अल्जाइमर के कारण जब उनमें बदलाव होता है, तो उस स्थिति में मस्तिष्क न्यूरॉन से न्यूरॉन के बीच संप्रेषण के वैकल्पिक मार्गों का प्रयोग करने लगता है।
    • अगर मस्तिष्क में गंभीर आघात वाली चोट लगी हो तो भी अल्जाइमर की आशंका होती है।

    अस्वीकार्यता है बड़ी बाधा

    इस बीमारी के निदान में सबसे बड़ी समस्या रोगियों की इस बीमारी के प्रति अस्वीकार्यता है। आमतौर पर लोग मानते ही नहीं कि उन्हें ऐसी कोई बीमारी है। इसलिए वे समस्या होने पर भी चिकित्सक से संपर्क नहीं करते और बात बढ़ जाती है। वैसे, चिकित्सक अल्जाइमर की पहचान के लिए एमआरआई करा सकते हैं, साथ में कुछ आवश्यनक प्रश्नों से इसके कारणों का पता लगा सकते हैं और उपचार के लिए आवश्यक परामर्श दे सकते हैं। बता दें कि अल्जाइमर कई चरणों में होता है। पहले कुछ चरण में यह पता लगाना कठिन होता है कि व्यक्ति सचमुच इसका शिकार हो गया है या नहीं।

    बेहतर जीवनशैली से स्वस्थ रहेगा मस्तिष्क

    वर्तमान में अल्जाइमर का कोई विशिष्ट और स्थायी उपचार नहीं है। हालांकि, कुछ ऐसी दवाइयां और थेरेपी हैं जिनके माध्यम से इस रोग को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है। इसके अलावा, अगर जीवनशैली को बेहतर बना लें तो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली अपेक्षाकत बेहतर हो सकती है।

    ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें

    • धूमपान व अल्कोहल का सेवन न करें।
    • मल्टीटास्किंग करते हैं तो दबावमुक्त होकर करें, समय प्रबंधन के बेहतर तरीके अपनाएं।
    • तनाव प्रबंधन से अच्छी कार्यक्षमता प्राप्त कर सकते हैं।
    • दिमागी खेल जैसे वर्ग पहेली, सुडोकू आदि खेल का शौक मदद करेगा या कुछ नए तरीकों से दिमाग को सक्रिय रखें।
    • प्राणायाम जैसे अभ्यास तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को शांत रखकर इन रोगों को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं।
    • मोबाइल ने बातचीत करने की आदत को बदल दिया या कम कर दिया है, यह एक गंभीर समस्या है।
    • सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लें, लोगों से मिलते जुलते रहें, उनसे बातचीत करें, सक्रिय रहें।
    • बातचीत करते रहेंगे तो इस बीमारी के गंभीर लक्षणों को हराया जा सकता है।

    डॉ. विनय गोयल, वरिष्ठ न्यूरोलाजिस्ट, चेयरमैन, इंस्टीटयूट आफ न्यूरोसाइंसेज, मेदांता, गुरुग्राम

    बातचीत : सीमा झा