बिना लक्षण किडनी काे नुकसान पहुंचा रहा High Blood Pressure, नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
किडनी हमारे शरीर के सबसे अहम अंगों में से एक है। इन दिनों कई वजहों से हमारी किडनी बीमारी होने लगी है। समय रहते किडनी खराब होने के संकेतों की पहचान करना जरूरी है। हालांकि नई स्टडी ने एक अलग ही खुलासा किया है कि हाई बीपी (silent high blood pressure) किडनी को डैमेज कर सकती है। इसके लक्षण भी नहीं नजर आते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। किडनी हमारे शरीर के अहम अंगों में से एक है। ये शरीर में कई जरूरी काम करती है। किडनी के कई सारे काम होते हैं, जिनमें से खून को साफ करना, टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालना और एक्स्ट्रा तरल पदार्थों को फिल्टर करना है, मुख्य काम है। इसके अलावा किडनी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने, रेड ब्लड सेल्स को प्रोड्यूस करने और हड्डियों को हेल्दी बनाने में भी मदद करती हैं।
हालांकि कई बार हाई बीपी की समस्या से किडनी को भी खतरा हो सकता है। ये हम नहीं, ऑस्ट्रिया की मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के शोधकर्ताओं का कहना है। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि हाइपरटेंशन (silent high blood pressure) की वजह से किडनी में मौजूद खास कोशिकाओं (पोडोसाइट्स) को नुकसान पहुंच सकता है।
सबसे जरूरी बात तो ये है कि इनके लक्षण भी नहीं नजर आते हैं और ये किडनी को डैमेज कर देते हैं, भले ही आपको डायबिटीज जैसी कोई बीमारी न हो। रिसचर्स रेनर ओबरबाउर और हेंज रेगेले ने बताया कि अगर हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure risks) की समस्या को समय रहते पहचान लिया जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है। इससे किडनी को खराब होने से भी बचाया जा सकता है।
क्या कहती है यह स्टडी?
यह स्टडी ‘Hypertension’ नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसमें 99 मरीजों के किडनी टिशू का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें कुछ को हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज थी, जबकि कुछ पूरी तरह से स्वस्थ थे। शोधकर्ताओं ने इन मरीजों के किडनी के Tissues को विशेष इमेजिंग तकनीक और कंप्यूटर से विश्लेषण किया है।
डीप-लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल
इसके तहत पोडोसाइट्स और ग्लोमेरुली की संरचना और घनत्व को मापा गया। इस प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित डीप-लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया गया, जिससे टिशू के डिजिटल सेक्शन को खुद से विश्लेषित किया गया और किडनी की सूक्ष्म संरचना को समझा गया।
पोडोसाइट्स की संख्या रही कम
अध्ययन के प्रमुख लेखक क्रिस्टोफर पासचेन ने बताया कि हाई बीपी वाले मरीजों में पोडोसाइट्स की संख्या बेहद कम पाई गई, जबकि उनकी कोशिकाओं के सेल न्यूक्लियस का आकार बढ़ा हुआ था। इनमें टाइप 2 डायबिटीज जैसी कोई बीमारी भी नहीं थी। इससे साफ जाहिर है कि हाई बीपी अपने आप किडनी को नुकसान पहुंचाने में सक्षम है।
नहीं नजर आते कोई भी लक्षण
उन्होंने बताया कि यह नुकसान काफी पहले शुरू हो जाता है, जब तक मरीज को कोई लक्षण महसूस भी नहीं होते। ये भी बताया कि किडनी का काम शरीर से टॉक्सिन्स (गंदगी) और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना है। जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है, तो किडनी के छोटे-छोटे ब्लड वेसेल्स पर दबाव पड़ता है, जिससे किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है। लंबे समय तक हाई बीपी रहने से किडनी धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है। इससे क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) का भी खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे कंट्रोल करें हाई बीपी (Kidney Health Tips)
- ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से मॉनिटर करें। अगर हाई बीपी है, तो इसे कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है।
- संतुलित आहार, नमक कम खाना, नियमित व्यायाम और तनाव न लेने से हाई बीपी कंट्रोल किया जा सकता है।
- अगर परिवार में किसी को किडनी से जुड़ी समस्या रही हो तो समय-समय पर किडनी की जांच करानी चाहिए।
- अगर हाई ब्लड प्रेशर लंबे समय से बना हुआ है तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
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