ज्यादा स्क्रीन टाइम और लगातार गेमिंग छीन रहा बच्चों के सुनने की क्षमता, ऐसे करें उनका बचाव
हर साल 3 मार्च को World Hearing Day मनाया जाता है। यह दिन सुनने की क्षमता और कानों की देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाने के मकसद से मनाया जाता है। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर बताया कि कैसे स्क्रीन टाइम और गेमिंग बच्चों के सुनने की क्षमता को कम कर रहा है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। बच्चों में सुनने की क्षमता कम होने से बचाने के लिए मोबाइल के इस्तेमाल की बढ़ती 'लत' को कम करना और गेमिंग के दौरान आवाज कम रखना बेहद जरूरी है। वरना बच्चे स्थायी रूप से कम सुनने की समस्या का शिकार हो जाएंगे। सोमवार को 'वर्ल्ड हियरिंग डे' के मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि हर साल तीन मार्च को इस अवसर पर विश्व भर में बधिरता और सुनने में परेशानी से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है।
खासकर बच्चों में मोबाइल,लैपटॉप या टीवी पर बढ़ते स्क्रीन टाइम और तेज आवाज के साथ गेमिंग करने से बधिरता की परेशानी देखने को मिल रही है, जो आगे चलकर परमानेंट डेफनेस में भी बदल जाती है। बच्चों को इस ध्वनि प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा है और उनके कान को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, इसके लिए उनकी आदतों में सुधार करने और समय-समय पर उनके कान का चेकअप कराने की जरूरत है।
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हेल्थ मिनिस्ट्री ने किया पोस्ट
#WorldHearingDay2025 | Children are more vulnerable to hearing damage caused by loud sounds, gaming, and excessive screen time.
Take these simple steps to protect to them from hearing loss! pic.twitter.com/6UWj2mGRIB
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) March 3, 2025
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि तेज आवाज, गेमिंग और बहुत ज्यादा स्कीन टाइम यानी मोबाइल चलाने से सुनने की क्षमता कम हो जाती है या फिर वह बेहरेपन के शिकार हो जाते हैं। बच्चे इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इसलिए माता-पिता और अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि बच्चों के लिए ऐसे गजेट्स और मोबाइल फोन के इस्तेमाल को सीमित कर दें।
कैसे रखें बच्चों के कान का ख्याल
साथ ही वह अपने बच्चों में ऐसे मॉर्डन डिवाइस को सुनने के लिए सुरक्षित तरीके अपनाने की आदत डालें। साथ ही नियमित रूप से डॉक्टर से उनकी सुनने की क्षमता की जांच कराएं। मंत्रालय ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ''तेज आवाज, गेमिंग और हद से ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों को सुनने की क्षमता में क्षति होने का खतरा ज्यादा होता है।'' डब्ल्यूएचओ की दक्षिण-पूर्व एशिया की निदेशक साइमा वाजेद ने कहा कि दुनियाभर में 1.5 अरब लोग प्रभावित हुए हैं, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 40 करोड़ लोग बधिरता से ग्रस्त हो रहे हैं।
किन लोगों को है ज्यादा खतरा
.66 अरब लोग वर्ष 2050 तक लोग बधिरता से प्रभावित होंगे और इसके शिकार 80 प्रतिशत लोग कम और मध्यम आय के होंगे। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार उस व्यक्ति में सुनने की क्षमता कम मानी जाएगी जो बिलकुल भी नहीं सुन पाए या जो सामान्य लोगों जितना नहीं सुन पाए। बधिरता की समस्या उन सभी लोगों को आ सकती है, जो साठ साल से ऊपर के हैं, जो नियमित रूप से हेड फोन से तेज आवाज में संगीत सुनते हैं। जो लोग ज्यादा शोर वाले माहौल में काम करते हैं, या फिर जो लोग नियमित रूप से कंसर्ट या खेल के मैच देखने जाते हैं। कुछ लोगों को दवा विशेष से भी कान में इंफेक्शन हो जाता है।
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