HIV को AIDS में बदलने में कितना समय लगता है? डॉक्टर ने दिया इस सवाल का सही जवाब
18 मई का दिन हर साल World AIDS Vaccine Day के रूप में मनाया जाता है। अगर आप भी HIV और AIDS को एक ही मानते हैं तो यह आर्टिकल आपको जरूर पढ़ना चाहिए। इन दोनों हेल्थ कंडीशन्स से जुड़े कुछ जरूरी सवाल जानने के लिए हमने आकाश हेल्थकेयर के इंटरनल मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रभात रंजन सिन्हा से खास बातचीत की है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर कई लोग HIV और AIDS को एक ही समझ बैठते हैं, लेकिन मेडिकल नजर से यह दोनों अलग-अलग कंडीशन्स हैं। एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम पर धीरे-धीरे असर करता है। यह वायरस शरीर में CD4 नामक विशेष प्रकार की व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) को नष्ट करता है, जो इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। आइए, 18 मई को मनाए जा रहे World AIDS Vaccine Day के मौके पर डॉक्टर की मदद से इससे जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स समझते हैं।
जरूरी नहीं कि तुरंत दिखे लक्षण
डॉक्टर प्रभात रंजन सिन्हा के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को एचआईवी हो जाता है, तो यह जरूरी नहीं कि उसे तुरंत लक्षण दिखाई दें या वह बीमार महसूस करे। कुछ लोग कई सालों तक बिना किसी लक्षण के एचआईवी पॉजिटिव रहते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति में वायरस सक्रिय रहता है, लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह धीरे-धीरे शरीर की इम्युनिटी को कम करता है और समय के साथ यह एड्स में बदल सकता है।
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कब एचआईवी बन जाता है एड्स?
डॉक्टर आगे कहते हैं, "एड्स एचआईवी का सबसे गंभीर स्टेज होता है। जब किसी एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति की CD4 काउंट 200 से नीचे आ जाती है, या उसे कुछ विशिष्ट संक्रमण या कैंसर हो जाते हैं, तो उसे एड्स डाइग्नोज किया जाता है। इस स्टेज पर शरीर साधारण संक्रमणों से भी लड़ने में असमर्थ हो जाता है।"
डॉक्टर के अनुसार, एचआईवी से एड्स में बदलने की प्रक्रिया हर व्यक्ति में अलग हो सकती है। आमतौर पर, अगर एचआईवी का इलाज न किया जाए, तो यह संक्रमण 8 से 10 सालों के भीतर एड्स में बदल सकता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि आज के समय में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की मदद से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक एक सामान्य और हेल्दी लाइफ जी सकता है।
ART वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं करता, लेकिन उसे इतना कंट्रोल में रखता है कि मरीज को एड्स होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। इसलिए एचआईवी की समय पर जांच, जागरूकता और नियमित दवा का सेवन न केवल जीवन को सुरक्षित बनाता है, बल्कि एड्स की रोकथाम में भी अहम भूमिका निभाता है।"
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