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    World Haemophilia Day: महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा हीमोफीलिया का खतरा, ये क्या है और कैसे बचें?

    What Is Hemophilia In Hindi भारत में हीमोफिलिया के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है जिनमें से कई अपने इस रोग से अनजान हैं। यह रक्तजनित रोग आनुवंशिक होता है। बिहार में 30 फीसदी महिलाएं इससे प्रभावित हैं। इस वर्ष की थीम महिलाओं में हीमोफिलिया के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। गर्भावस्था से पहले जांच और पारिवारिक इतिहास की जानकारी से जटिलताओं को कम किया जा सकता है।

    By Pawan Mishra Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 17 Apr 2025 04:45 PM (IST)
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    महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा हीमोफीलिया का खतरा

    पवन कुमार मिश्रा, पटना। विश्व में हीमोफिलिया के सर्वाधिक मरीज भारत में हैं। इस रक्तजनित रोग की खासियत यह है कि ग्रसित अधिसंख्य लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित हैं। 70 प्रतिशत पीड़ितों को यह रोग आनुवंशिक यानी माता-पिता से मिलता है जबकि 30 प्रतिशत में जीन उत्परिवर्तन के कारण शुरुआत होती है।

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    अबतक इसे पुरुषों का रोग माना जाता था लेकिन बिहार में 30 प्रतिशत महिलाएं भी इसकी चपेट में हैं। राज्य स्वास्थ्य समिति में रक्त केंद्र के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा. एनके गुप्ता के अनुसार प्रदेश में अभी 2000 मरीज विभिन्न अस्पतालों में हीमोफीलिया का इलाज करा रहे हैं।

    कई बार बहुत घातक साबित होता है ये रोग

    रक्त का थक्का जमाने वाले प्रोटीन की कमी वाला यह रोग कई बार मरीज के लिए बहुत घातक साबित होता है।

    चूंकि 70 प्रतिशत मामलों में यह आनुवंशिक होता है इसलिए यदि गर्भधारण से पहले वैसे माता पिता जिनके परिवार में हीमोफीलिया के मरीज हैं संपूर्ण ब्लड प्रोफाइल जांच करा लें तो जटिलता का पता चल सकता है।

    महिलाओं में हीमोफीलिया के बढ़ते मामले को देखते हुए इस वर्ष की जागरूकता थीम एक्सेस फार आल: वीमेन एंड गर्ल्स ब्लीड टू रखी गई है।

    अत्यधिक मासिक धर्म भी लक्षण

    महिलाओं के अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने से अधिक रक्तस्राव के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। यही कारण है कि जब क्लाटिंग फैक्टर कम होने से मासिक अत्यधिक होने या बार-बार रक्तस्राव पर वे जांच कराने लगी हैं।

    इसके अलावा बेहतर डायग्नोस्टिक सुविधा भी एक कारण है। रिश्तेदारी यानी आनुवंशिक विवाह से भी इसके मामले बढ़े हैं।

    डा. एनके गुप्ता ने कहा कि शादी एवं गर्भधारण के पहले से पहले लड़का-लड़की जिनके परिवार में हीमोफीलिया के मरीज हों, उनकी काउंसलिंग जरूरी है।

    हल्की खरोंच पर रक्तस्राव, जोड़ों में सूजन-पीड़ा, मसूड़ों से खून आना, खांसने या उल्टी में खून, शरीर पर काले धब्बे, लाल-काला शौच, कटने-छिलने पर अधिक समय तक रक्तस्राव होना, इसके लक्षण हैं।

    महिलाओं को क्यों कम होता है हीमोफीलिया

    हीमोफीलिया, एक्स गुणसूत्र से जुड़ा रोग है। पुरुषों में एक्स-वाई क्रोमोसोम होता है। इनमें एक ही एक्स क्रोमोसोम होने से यदि उस पर हीमोफीलिया का दुष्प्रभाव हुआ तो वे बीमार हो जाते हैं।

    महिलाओं में एक्स-एक्स क्रोमोसोम होते हैं। अगर एक एक्स पर असर हुआ भी तो दूसरे का क्लाटिंग फैक्टर काम करता रहता है। ऐसे में अधिसंख्य मामलों में वे सिर्फ वाहक होती हैं।

    क्या है हीमोफीलिया

    सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (सीडीसी ) के अनुसार वंशानुगत रक्तस्राव का रोग हीमोफीलिया होने पर रक्त थक्का सही तरीके से नहीं जमता है।

    इससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर के किसी भी अंग से अचानक रक्तस्राव होने लगता है और बंद नहीं होता। जोड़ों के बीच अंदरूनी रक्तस्राव से अत्यधिक पीड़ा एवं जोड़ रोग हो सकते हैं तो मस्तिष्क में रक्तस्राव होने से लकवा समेत अन्य मष्तिष्क रोग हो सकते हैं।

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