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    हंटिंगटन डिजीज के इलाज में नई उम्मीद! जीन थेरेपी बनी गेम-चेंजर, 75% तक धीमी हुई बीमारी की रफ्तार

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 09:25 AM (IST)

    हंटिंगटन डिजीज एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे दिमाग को खत्म कर देती है। जी हां इसमें व्यक्ति अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता खोने लगता है। अबतक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था यानी सिर्फ लक्षणों को काबू में करने की दवाएं थीं लेकिन अब विज्ञान ने एक ऐसी छलांग लगाई है जिसने इस लाइलाज बीमारी के मरीजों और उनके परिवारों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई है।

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    हंटिंगटन रोग के बढ़ने की गति को कम कर सकती है जीन थेरेपी (Image Source: Freepik)

    प्रेट्र, नई दिल्ली। एक शोध में सामने आया है कि हंटिंगटन रोग के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है। इसमें जीन थेरेपी बेहद ही कारगर उपाय है। यह इसकी गति को 75 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम है। हंटिंगटन रोग एक आनुवंशिक विकार है जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इस शोध को लेकर दो चरणों में ट्रायल किए गए। ट्रायल के पहले चरण में 20 से लेकर 100 लोगों पर नई चिकित्सा की सुरक्षा पर आकलन किया जाता है, जबकि दूसरे चरण में करीब 300 प्रतिभागियों पर परीक्षण किया गया। हंटिंगटन रोग एक आनुवंशिक विकार है और समय के साथ मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के क्षय का कारण बनता है। इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

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    क्या है हंटिंगटन डिजीज?

    हंटिंगटन एक आनुवंशिक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है। इसका मतलब है कि यह माता-पिता से बच्चों में जाती है और समय के साथ दिमाग की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है। यह बीमारी व्यक्ति की चाल, सोच और व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करती है। मरीज को अनियंत्रित झटके लगते हैं, याददाश्त कमजोर होने लगती है और मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है। इस बीमारी का कारण एक दोषपूर्ण जीन है, जो एक जहरीले प्रोटीन को बनाता है और यही प्रोटीन दिमाग को नुकसान पहुंचाता है।

    जीन थेरेपी ने दिए चौंकाने वाले नतीजे

    हंटिंगटन डिजीज के लक्षण आमतौर पर 30 और 40 की उम्र के आसपास नजर आने लगते हैं। शोध के दौरान 29 मरीजों का एमटी - 130 जीन थेरेपी से उपचार किया गया। इनमें 17 को उच्च और 12 को निम्न डोज दी गई और 36 महीनों तक उनके स्वास्थ्य को लेकर फालोअप किया गया। इसे काम्पोजिट यूनिफाइड हंटिंगटन डिजीज रेटिंग स्केल द्वारा मापा गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि रेटिंग स्केल पर मापी गई रोग की प्रगति में 75 प्रतिशत की महत्वपूर्ण कमी पाई गई।

    टीम ने रोग की प्रगति को कुल कार्यात्मक क्षमता द्वारा भी मापा गया, जो किसी व्यक्ति की दैनिक कार्यक्षमता को मापता है। साथ ही 36 महीने के लिए फालोअप किया गया। इसमें पाया गया कि यह 60 प्रतिशत धीमी हो गई है। लंदन विश्वविद्यालय के हंटिंगटन रोग केंद्र की निदेशक सारा ताब्रिजी ने कहा कि परिणाम अब तक सबसे विश्वसनीय हैं।

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