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    डिमेंशिया और अल्जाइमर से बचाव में मदद कर सकते हैं Omega-3 सप्लीमेंट्स; स्टडी में हुआ खुलासा

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 03:03 PM (IST)

    बढ़ती उम्र के साथ भूलने की बीमारी यानी डिमेंशिया और अल्जाइमर दुनिया भर में लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। याददाश्त के साथ-साथ इसका असर सोचने-समझने की क्षमता और रोजमर्रा के काम करने की ताकत पर भी पड़ता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि आज भी इसका कोई पक्का इलाज मौजूद नहीं है।

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    फिश ऑयल सप्लीमेंट्स से डिमेंशिया और अल्जाइमर का खतरा होता है कम (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दवाइयां अल्जाइमर के लक्षणों को कम करने का काम करती हैं, बीमारी को रोकने या पलटने का नहीं। जी हां, यही कारण है कि अब शोधकर्ता इस बीमारी की रोकथाम और लाइफस्टाइल में सुधार को लेकर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

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    इसी कड़ी में हाल ही में हुई एक स्टडी ने यह दिखाया कि ओमेगा-3 फैटी एसिड, जो मछली और फिश ऑयल सप्लीमेंट्स में पाया जाता है, दिमाग की सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है और अल्जाइमर जैसे रोग का खतरा कम कर सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

    अल्डाइमर क्या है और क्यों है खतरनाक?

    डिमेंशिया के कुल मामलों में लगभग 60–70% हिस्सेदारी अकेले अल्जाइमर की है। शुरुआत में यह हल्की भूलने की आदत से शुरू होता है, जैसे हाल की बातें याद न रहना या चीजें गुम करना। धीरे-धीरे यह गंभीर भ्रम, व्यवहार में बदलाव और आत्मनिर्भरता खो देने तक पहुंच जाता है।

    इसके पीछे कई कारण होते हैं:

    • दिमाग में प्लाक और टेंगल्स का जमाव, जो न्यूरॉन्स की आपसी बातचीत रोक देता है।
    • इंफ्लेमेशन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।
    • हिप्पोकैम्पस (जहां यादें स्टोर होती हैं) का सिकुड़ना।
    • उम्र और जीन इसके सबसे बड़े फैक्टर हैं, लेकिन खान-पान और लाइफस्टाइल भी बड़ा रोल प्ले करता है।

    ब्रेन के लिए जरूरी है ओमेगा-3 फैटी एसिड

    हमारा शरीर ओमेगा-3 खुद नहीं बना सकता, इसलिए इसे बाहर से लेना जरूरी है।

    • नेचुरल सोर्स: सैल्मन, सार्डिन, मैकेरल और ऐन्कोवी जैसी मछलियां।
    • सप्लीमेंट्स: फिश ऑयल कैप्सूल, कॉड लिवर ऑयल या शाकाहारी लोगों के लिए एल्गी से बने सप्लीमेंट्स।

    स्टडीज बताती हैं कि जिन लोगों के खून में ओमेगा-3 का स्तर बढ़िया होता है, उनमें याददाश्त कमजोर होने या डिमेंशिया का खतरा कम पाया गया है।

    कैसे मददगार है फिश ऑयल?

    ओमेगा-3 फैटी एसिड कई तरीकों से मस्तिष्क की सुरक्षा करता है:

    • दिमाग की सूजन को कम करता है, जिससे अल्जाइमर की प्रगति धीमी हो सकती है।
    • न्यूरॉन्स को लचीला और सक्रिय बनाए रखता है।
    • ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाकर दिमाग तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है।
    • हिप्पोकैम्पस को नुकसान से बचाता है, जो स्मृति के लिए सबसे जरूरी हिस्सा है।

    क्लिनिकल ट्रायल्स से क्या पता चला?

    • हालांकि ऑब्जर्वेशनल स्टडीज उत्साहजनक हैं, लेकिन क्लिनिकल ट्रायल्स ने मिले-जुले नतीजे दिखाए।
    • हल्की भूलने की समस्या वाले लोगों में फिश ऑयल लेने से याददाश्त और ध्यान में सुधार देखा गया।
    • वहीं, जिनमें अल्जाइमर ज्यादा बढ़ चुका था, वहां इसका असर सीमित रहा।
    • विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसे शुरुआती दौर में लिया जाए तो ज्यादा लाभकारी हो सकता है।

    मछली खाना बेहतर या सप्लीमेंट लेना?

    प्राकृतिक रूप में DHA और EPA के साथ-साथ विटामिन D, सेलेनियम और प्रोटीन भी मिलता है। एक्सपर्ट्स हफ्ते में कम से कम दो बार फैटी फिश खाने की सलाह देते हैं। वहीं, सप्लीमेंट्स उन लोगों के लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकते हैं, जो मछली नहीं खाते हैं।

    सिर्फ ओमेगा-3 ही नहीं, ये बातें भी हैं जरूरी

    दिमाग की सेहत को बनाए रखने के लिए केवल सप्लीमेंट्स काफी नहीं हैं। इसके लिए पूरे लाइफस्टाइल की अहम भूमिका होती है।

    • विटामिन B12, फोलेट, एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफेनॉल से भरपूर चीजें।
    • सब्जियां, फल, नट्स, अनाज और ऑलिव ऑयल से भरपूर फूड्स।
    • रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से ब्रेन में ब्लड फ्लो और नए सेल्स की ग्रोथ बढ़ती है।
    • अच्छी नींद और तनाव कम करने की आदतें याददाश्त को बेहतर बनाती हैं।
    • पढ़ना, पहेलियां हल करना और नई स्किल सीखना दिमाग को चुस्त रखता है।

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