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    आज मनाया जा रहा Family Health & Fitness Day, डॉक्टर ने बताई स्वस्थ और सुखी परिवार के लिए 4 आदतें

    इस साल हम 14 जून को Family Health Fitness Day मना रहे हैं जो अपने और अपने प्रियजनों की सेहत को लेकर जागरूक करने पर जोर डालता है। जी हां भागदौड़ भरी जिंदगी में अक्सर हम अपने और अपने परिवार की सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में आप डॉ. दीपक तलवार (सीनियर कंसल्टेंट एवं चेयरमैन मेट्रो रेस्पिरेटरी सेंटर नोएडा) की बताई 4 खास आदतें अपना सकते हैं।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 14 Jun 2025 01:02 PM (IST)
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    Family Health & Fitness Day पर डॉक्टर की 4 सुपर टिप्स! (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि एक परिवार की असली ताकत क्या होती है? प्यार, समझदारी या साथ बिताया समय? बता दें, ये सब अपनी-अपनी जगह सही हैं, लेकिन इन सबका आधार एक ही चीज पर टिका होता है, जो है- अच्छी सेहत! जी हां, सोचिए, अगर घर के किसी एक सदस्य को बुखार हो जाए, तो पूरे घर का माहौल कैसे बदल जाता है। वही बच्चा जो कल तक उछलता-कूदता था, आज चुपचाप बिस्तर पर लेटा है और माता-पिता की चिंता उनके चेहरे से साफ दिखाई देती है।

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    डॉ. दीपक तलवार कहते हैं कि असल में, एक परिवार की सेहत उसके रिश्तों जितनी ही अहम होती है। जब सभी सदस्य तंदुरुस्त होते हैं, तो न केवल खुशियों में इजाफा होता है, बल्कि मुश्किलों का सामना भी मिलकर करना आसान हो जाता है।

    Family Health & Fitness Day इसी सोच की याद दिलाता है कि सेहत सिर्फ पर्सनल नहीं, बल्कि एक पारिवारिक जिम्मेदारी भी है। इस खास दिन पर चलिए जानें 4 ऐसी जरूरी आदतें (Healthy Family Habits), जो आपके पूरे परिवार को बीमारियों से दूर रखकर शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बना सकती हैं।

    वैक्सीनेशन

    अपने परिवार को सुरक्षित रखने के सबसे जरूरी कदमों में से एक है समय पर टीके लगवाना। लोगों के बीच यह भ्रम है कि टीके सिर्फ 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ही होते हैं। पहले जन्मदिन के बाद भी बच्चों को चिकनपॉक्स, हेपेटाइटिस ए और बी, मेनिंजाइटिस, मीजल्स, मम्प्स, रुबेला, न्यूमोनिया, परट्यूसिस (हूपिंग कफ), डिप्थीरिया, टिटनस, पोलियो और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगवाने की जरूरत होती है।

    साथ ही यह भी समझना होगा कि इम्युनिटी कोई वन-एंड-डन डील नहीं है, यानी ऐसा नहीं है कि एक बार आप इम्यून हो गए, तो हमेशा रहेंगे। उम्र बढ़ने के साथ नेचुरली हमारी इम्युनिटी कम होती जाती है, जिससे बुजुर्ग इन्फेक्शन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। उन्हें भी कई जानलेवा और शारीरिक रूप से कमजोर बना देने वाले संक्रमणों से बचने के लिए टीका लगवाने की जरूरत होती है।

    गर्भवती महिलाओं को भी अपनी और अजन्मे शिशु की सुरक्षा के लिए कुछ टीके लगवाने की जरूरत होती है। उदाहरण के तौर पर, गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में हूपिंग कफ से बचाव का टीका लगवाने से जन्म से पहले ही बच्चे तक प्रोटेक्टिव एंटीबॉडीज पहुंचाने में मदद मिलती है। इससे जन्म के बाद भी बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है, जब तक कि उसे खुद हूपिंग कफ से बचाव का टीका नहीं लग जाता है।

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    फिजिकल एक्टिविटीज

    आजकल की टेक्नोलॉजी से भरी जिंदगी में हम अक्सर फिजिकल एक्टिविटीज को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन सच यह है कि रोजाना की थोड़ी-सी एक्टिविटी, चाहे वो खेलना हो, टहलना हो या फिर नाचना, शरीर और मन दोनों के लिए जरूरी है।

    बच्चों को दौड़ने, खेलने और आउटडोर एक्टिविटीज से सीख मिलती है और उनकी ग्रोथ बेहतर होती है। वयस्कों को हार्ट हेल्थ और स्ट्रेस को मैनेज करने में फायदा होता है और बुजुर्गों को सक्रिय रहने में मदद मिलती है।

    एक ही छत के नीचे रहने वाले लोग अगर एक साथ एक्टिव रहने लगें, जैसे मॉर्निंग वॉक, हफ्ते में एक दिन डांस या वीकेंड पर छोटी ट्रिप, तो न सिर्फ सेहत सुधरती है, बल्कि रिश्तों में भी गर्मजोशी आती है।

    हेल्दी हो खानपान

    स्वस्थ शरीर की शुरुआत प्लेट से होती है। अगर पूरा परिवार एक साथ हेल्दी खाने की आदत डालता है, तो बीमारी खुद दरवाजे से लौट जाएगी। जी हां, फल, सब्जियां, साबुत अनाज, प्रोटीन और गुड फैट -ये सभी एक बैलेंस डाइट का हिस्सा होने चाहिए। बच्चों को डेयरी प्रोडक्ट्स दें और शुगर-भरे स्नैक्स की जगह घर पर बने हेल्दी ऑप्शन जैसे सलाद, नट्स या फल दें।

    गर्भवती महिलाएं अगर बैलेंस डाइट लें, तो उनका बच्चा ज्यादा हेल्दी पैदा होता है और बुजुर्गों के लिए भी सही खानपान से पाचन और हार्ट की समस्याओं से बचा जा सकता है। वहीं, एक परिवार के तौर पर साथ बैठकर खाना न केवल पोषण बढ़ाता है, बल्कि फैमिली मेंबर्स के बीच कम्युनिकेशन को भी मजबूत करता है।

    इमोशनल कनेक्शन भी है जरूरी

    सेहत का मतलब केवल शरीर की सेहत नहीं, बल्कि मन की सुकून भी उतना ही जरूरी है। जब परिवार के सदस्य एक-दूसरे से खुलकर बात करते हैं, फीलिंग्स शेयर करते हैं, तो तनाव खुद-ब-खुद कम हो जाता है

    हर हफ्ते एक दिन ऐसा रखें, जब कोई स्क्रीन न हो- बस परिवार हो, बातें हों, हंसी हो। बच्चों से उनके स्कूल के बारे में पूछें, बुजुर्गों से उनकी पुरानी यादें सुनें और पार्टनर के साथ बिना किसी बाधा के समय बिताएं। बता दें, छोटे-छोटे पल जब एक-दूसरे के साथ बिताए जाते हैं, तो वे इमोशनल हेल्थ को स्टॉन्ग करने का आधार बन जाते हैं।

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