कभी सोचा है कि 'छींक' आने पर क्यों बंद हो जाती हैं आंखें? शुभ-अशुभ से हटकर जान लीजिए इसका साइंस
छींक आने का अहसास हर कोई जानता है। नाक में गुदगुदी-सी होती है और फिर छींकते समय आंखें बंद (Why Eyes Close When Sneezing) हो जाती हैं। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा शरीर ऐसा क्यों करता है? कई लोग इसे बेहद अशुभ मानते हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा विज्ञान छिपा है। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से समझते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Why Eyes Close When Sneezing: छींकना हमारे शरीर का एक नेचुरल प्रोसेस है जिसके जरिए हमारी नाक अपने आप को साफ करती है। जब हमारी नाक में धूल, पराग, धुआं या अन्य कोई बाहरी कण प्रवेश करते हैं, तो वे नाक की नाजुक परत को एक्टिव करते हैं। यह मैसेज एक संकेत के रूप में हमारे दिमाग तक पहुंचता है और मस्तिष्क को यह संकेत मिलते ही वह शरीर को छींकने का ऑर्डर देता है। छींक के दौरान, हमारी आंखें बंद हो जाती हैं, जीभ ऊपर उठती है और शरीर की मांसपेशियां भी सिकुड़ जाती हैं। यह पूरी प्रक्रिया कुछ ही सेकंड्स में पूरी हो जाती है। छींक के जरिए, हमारी नाक इन हानिकारक कणों को बाहर निकालकर हमारे शरीर को इन्फेक्शन से बचाती है। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से समझते हैं इसके पीछे का विज्ञान (Science Behind Sneezing)।
कब और कैसे आती है छींक?
कभी-कभी धूल या पाउडर जैसे कण नाक में चले जाते हैं, जिससे नाक में जलन होती है। एलर्जी या तेज रोशनी भी छींकने का कारण बन सकती है। ये कण या एलर्जन्स नाक के नर्व्स को एक्टिव करते हैं, जिसके कारण शरीर उन्हें बाहर निकालने के लिए छींकता है।
हमारी नाक में एक पतली, नम परत होती है जिसे म्यूकस झिल्ली कहते हैं। इस परत में बहुत छोटी-छोटी कोशिकाएं होती हैं जो आसानी से किसी भी बदलाव को महसूस कर लेती हैं। जब कोई धूल या परागकण इस परत को छूता है, तो कोशिकाएं उत्तेजित हो जाती हैं और दिमाग को संकेत भेजती हैं। दिमाग तब हमारे शरीर को आदेश देता है कि वह छींकें और वह परेशान करने वाली चीज बाहर निकल जाए।
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छींकते समय क्यों बंद हो जाती हैं आंखें?
छींकते समय आंखें बंद हो जाना एक आम बात है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब हम छींकते हैं तो हमारा दिमाग आंखों को बंद करने का मैसेज भेजता है। यह एक अनैच्छिक क्रिया है, यानी इसे हम अपनी इच्छा से कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें, छींकते समय आंखें खुली रखना लगभग असंभव होता है।
क्या छींकते समय बंद हो जाती है दिल की धड़कन?
यह एक आम धारणा है कि छींकते समय दिल कुछ पलों के लिए धड़कना बंद कर देता है। हालांकि, यह पूरी तरह से सच नहीं है। जब हम छींकते हैं तो हमारे शरीर में कई बदलाव होते हैं। इनमें से एक है हमारे सीने में दबाव में अचानक बदलाव आना। इस दबाव के बदलने से ब्लड फ्लो पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि छींकते समय हमें ऐसा महसूस होता है कि हमारे दिल ने धड़कना बंद कर गया है, लेकिन असल में, हार्ट बीट लगातार बनी रहती है और यह पूरी तरह से रुकती नहीं है।
छींकते समय शरीर में होने वाले बदलाव इतनी तेजी से होते हैं कि हमें ऐसा लगता है कि दिल की धड़कन रुक गई है, लेकिन यह सिर्फ एक टेम्परेरी एक्सपीरिएंस है। जैसे ही छींक निकल जाती है, सब कुछ नॉर्मल हो जाता है।
क्या छींक रोकना सही है?
अगर आपको छींक आ रही है तो उसे रोकने की कोशिश बिल्कुल न करें। छींकना एक नेचुरल प्रोसेस है जो आपके शरीर को हानिकारक पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करती है। जब छींक बहुत जोरजार होती है और जब आप इसे रोकने की कोशिश करते हैं, तो यह आपके नाक, कान और आंखों पर दबाव डाल सकती है। इससे आपके नाक के मार्ग में दबाव बढ़ सकता है और आपकी आंखों, नाक या कान के पर्दों में ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, जब भी आपको छींक आ रही हो उसे नॉर्मल तरीके से निकलने दें।
छींकने पर क्यों कहते हैं 'God Bless You'
छींकने के बारे में अलग-अलग संस्कृतियों में अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। कुछ संस्कृतियां छींक को सौभाग्य का प्रतीक मानती हैं, जबकि कई जगह इसे अशुभ माना जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ एशियाई संस्कृतियों में छींकने का मतलब है कि कोई आपके बारे में बुराई कर रहा है।
"God Bless You" कहने की परंपरा भी छींक से जुड़ी है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, छींकते समय आत्मा शरीर से थोड़ी देर के लिए बाहर निकल जाती है, और यह तीन शब्द आत्मा को सुरक्षित वापस लाने के लिए कहा जाता है।
एक अन्य सिद्धांत के अनुसार, प्राचीन रोम में ब्यूबोनिक प्लेग के प्रकोप के दौरान छींकना एक आम लक्षण था। प्लेग से बचाव के लिए, पोप ग्रेगोरी VII ने छींकने के बाद "God bless you" कहने की सलाह दी थी। इस तरह छींकना न सिर्फ एक फिजिकल प्रोसेस है बल्कि अलग-अलग संस्कृतियों में इसके सामाजिक और धार्मिक महत्व भी रहे हैं।
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