लड़कियों में तेजी से बढ़ रहे हैं Early Puberty के मामले, जानें क्यों हो सकता है ये नुकसानदेह?
आजकल बच्चियों में समय से पहले आ रही प्यूबर्टी एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। हाल ही में हुई एक नई स्टडी बताती है कि जो बच्चियां बचपन से ही हेल्दी डाइट लेती है उनमें प्यूबर्टी सही उम्र में आती है। इसका फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर बुरा पड़ता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्यूबर्टी का मतलब है चाइल्डहुड से एडल्टहुड की ओर बढ़ना। इसमें कई सारे शारीरिक बदलाव होते हैं। लड़कियों में ब्रेस्ट डेवलपमेंट, मासिक धर्म या मेंस्ट्रुएशन का आना प्यूबर्टी आने के स्टेज होते हैं। पहले जहां बच्चियों में प्यूबर्टी 13 साल के बाद आती थी, वहीं अब यह उम्र घटकर 8 या उससे कम हो गई।
प्यूबर्टी आना कोई समस्या नहीं, लेकिन उम्र से पहले आना बच्चियों के फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर असर डालता है। ऐसा होने के पीछे डाइट को भी एक प्रमुख वजह माना गया है, आइए डाइटिशियन होमेश मंडावलिया से जानते हैं क्या है डाइट और प्यूबर्टी का कनेक्शन।
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अर्ली प्यूबर्टी क्या है
इसे असामयिक प्यूबर्टी कहा जाता है, जो 8 साल के पहले आ जाता है। इसमें सिर्फ फिजिकल बदलाव नहीं होता, बल्कि बच्चियों और उनके परिवारों की मेंटल हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
ये चीजें अर्ली प्यूबर्टी का बनती हैं कारण
खराब न्यूट्रिशन खासकर हाई प्रोसेस, फैट और शुगर से भरपूर फूड बच्चियों में जल्दी प्यूबर्टी होने का कारण बन सकते हैं। इन फूड्स की वजह से वजन और इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है, जिससे हॉर्मोन के स्तर पर प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि यह जल्दी प्यूबर्टी को ट्रिगर करता है।
जरूरत से ज्यादा जंक फूड से होती है परेशानी
ज्यादा मात्रा में जंक फूड खाने से मोटापा बढ़ता है जिसमें फैट सेल्स लेप्टिन का निर्माण करते हैं। ये लेप्टिन GnRH नामक हॉर्मोन को रिलीज होने के लिए उकसाता है। इससे ब्रेन को यह मैसेज मिलता है कि उसे एस्ट्रोजन या टेस्टोस्टेरॉन का निर्माण करने के लिए ओवरीज या टेस्टिस को स्टिम्युलेट करना है।
ये फूड हैं सबसे बड़े कारक
- बेमौसम के फल और सब्जियां
- पॉल्ट्री मीट
- फ्राइड फूड
- हाई सोडियम फूड
- सोया मिल्क
- सप्लीमेंट
- कैन फूड
समय से पहले प्यूबर्टी से होती हैं इस तरह की दिक्कतें
अर्ली प्यूबर्टी का मतलब उम्र से पहले सेक्सुअल मैच्योरिटी आना नहीं है। जिन बच्चियों को सामान्य उम्र से पहले ही पीरियड्स आ जाते हैं तो उन्हें पूरे टीनएज में डिप्रेशन, नशे की लत और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इस तरह की हो डाइट
डाइट में ज्यादा से ज्यादा फूड ग्रुप को शामिल किया जाना चाहिए। बच्चों के खाने में अलग-अलग रंगों के फल तथा सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, लो-फैट डेयरी या डेयरी के विकल्प शामिल होने से उनमें अर्ली प्यूबर्टी का खतरा कम हो सकता है।
ये भी है जरूरी
- डाइट के साथ-साथ खेल-कूद या फिजिकल एक्टिविटी
- अच्छी नींद
- कम से कम स्क्रीन टाइम
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