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    अस्पतालों में 30% इन्फेक्शन के लिए जिम्मेदार Pseudomonas Aeruginosa बैक्टीरिया, स्टडी में हुआ खुलासा

    Updated: Tue, 20 May 2025 10:14 AM (IST)

    एक हालिया स्टडी में पाया गया है कि अस्पतालों में होने वाले 30% संक्रमणों के लिए स्यूडोमोनास एरुगिनोसा (Pseudomonas Aeruginosa) नाम का जीवाणु जिम्मेदार है। यह जीवाणु चिकित्सा उपकरणों में लगी प्लास्टिक को नष्ट कर सकता है। आइए जानें कैसे यह मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है।

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    प्लास्टिक को भी नष्ट कर सकता है यह खतरनाक बैक्टीरिया (Picture Courtesy: Freepik)

    एजेंसी, नई दिल्ली Study: पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में एक स्टडी में पाया गया कि अस्पतालों में होने वाले 30 प्रतिशत इन्फेक्शन के लिए 'स्यूडोमोनास एरुगिनोसा' (Pseudomonas Aeruginosa) नाम का जीवाणु जिम्मेदार है। यह हॉस्पिटल्स में पाया जाने वाला बेहद ही आम जीवाणु है, जो डॉर्टर्स और नर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला चिकित्सा उपकरणों में लगे प्लास्टिक को नष्ट कर सकता है।

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    प्लास्टिक नष्ट कर देता है यह जीवाणु

    इसलिए यह भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मरीजों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। लंदन स्थित ब्रुनेल विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स ने पाया है कि 'स्यूडोमोनास एरुगिनोसा' नाम का दवा-प्रतिरोधी जीवाणु 'पालीकैप्रोलैक्टोन' नाम के प्लास्टिक को नष्ट करने की क्षमता रखता है। इस प्लास्टिक का इस्तेमाल मेडिकल फील्ड में खूब किया जाता है। इसलिए भी यह जीवाणु खतरनाक साबित हो सकता है।

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    यह स्टडी 'सेल रिपो‌र्ट्स' में पब्लिश हुई है। इस स्टडी में यह भी पाया गया कि ये जीवाणु न केवल पालीकैप्रोलैक्टोन (पीसीएल) को नष्ट कर सकता है, बल्कि उसे अपने लिए एकमात्र कार्बन सोर्स के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है। इस प्रक्रिया में साइंटिस्ट्स ने एक नया एंजाइम भी खोजा है, जिसका नाम 'पीएपी1' है। इस एंजाइम को इस जीवाणु से निकाला गया है।

    दवाओं का नहीं होता इस जीवाणु पर खास असर

    रिसर्च लैब में किए गए टेस्ट में इस एंजाइम ने सात दिन में 78 प्रतिशत प्लास्टिक को नष्ट कर दिया। रिसर्च में यह भी पता चला कि इस प्लास्टिक को खाने से जीवाणु और मजबूत हो जाता है और वह बायोफिल्म नाम की चिपचिपी परत बना लेता है, जो उसे दवाइयों और शरीर के इम्यून सिस्टम से बचाती है। यही कारण है कि इस जीवाणु से होने वाला इन्फेक्शन जल्दी ठीक नहीं होता और बार-बार हो सकता है। हालांकि, इस स्टडी में भारत का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन अन्य अध्ययनों से पता चला है कि भारत में भी अस्पतालों में होने वाले 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक इन्फेक्शन के लिये यही जीवाणु जिम्मेदार है।

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