Antibiotics ले रहे हैं, तो जरूर रखें इन 5 बातों का ख्याल; साइड इफेक्ट्स को लेकर नहीं होना पड़ेगा परेशान
Antibiotic दवाएं बीमारी से तो लड़ती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को खत्म कर देती हैं? जी हां इस आर्टिकल में हम आपको इस समस्या को कम करने के तरीके बताएंगे। साथ ही यहां आप जानेंगे कि एंटीबायोटिक्स लेने के दौरान खानपान में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे गट हेल्थ को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जा सकता है।

नई दिल्ली। साल 1928 में पेंसिलिन का अविष्कार होने के बाद संक्रमण से से होने वाली मौतों से जान बचाने में एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) की बहुत बड़ी भूमिका रही है। वहीं, बुरे बैक्टीरिया को नष्ट करने के चक्कर में अच्छों का सफाया हो जाना भी कम चिंताजनक नहीं है। पर, अच्छी बात है कि आंतों के माइक्रोबायोम पर यह प्रभाव अस्थायी होता है। अगर स्वस्थ हैं तो आपके खुद ही रिकवर होने की संभावना रहती है। फिर भी, स्वास्थ्य को वापस पाने के लिए हमें थोड़ा सक्रियता बढ़ाने की जरूरत होती है।
एंटीबायोटिक्स का कितना बड़ा प्रभाव
आसान शब्दों में समझें तो जिस तरह जंगल में आग सब कुछ नष्ट कर देती है, ठीक उसी तरह एंटीबायोटिक्स आंतों में माइक्रोब्स के साथ करता है। जंगल दोबारा उगता तो है, पर पहले की तरह वह विविधता भरा नहीं रह जाता। पहले खरपतवार जैसे पौधे ही उगते हैं। इसी तरह आंतों में अच्छे बैक्टीरिया बहुत मुश्किल से पनप पाते हैं।
सामान्य तौर पर देखें तो ओरल एंटीबायोटिक्स से एक ही साथ अच्छे बैक्टीरिया खत्म नहीं होते। कुछ अच्छे बैक्टीरिया पाचन नाल में चिपक जाते हैं, जहां एंटीबायोटिक का प्रभाव उतना नहीं होता। ऐसे में अच्छे और सेहत भरे खानपान से आंतों को फिर स्वस्थ बनाया जा सकता है। छोटे बच्चों, बुजुर्गों या जो लोग लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स लेते हैं, उनमें यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी होती है। लेकिन, ज्यादातर वयस्कों में कुछ ही महीनों में आंतों की स्थिति सामान्य हो जाती है।
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एंटीबायोटिक लेने के बाद क्या खाएं?
एंटीबायोटिक्स से रिकवरी के लिए आपका भोजन ही सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा भोजन करें, जिससे आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का विकास हो और खराब का विकास रुक जाए। उदाहरण के तौर पर फाइबर युक्त भोजन। विशेषज्ञों की मानें तो उम्र और जेंडर के आधार पर प्रतिदिन 21 से 38 ग्राम तक फाइबर का सेवन जरूरी है। प्याज, लहसुन, लीक, केले, शतावरी, आटिचोक, जई और फलियां इसके बेहतरीन स्रोत हैं। प्याज, लहसुन, लीक, केले, शतावरी, आटिचोक, ओट्स और फलियां इसके बेहतरीन स्रोत हैं।
कुछ लोगों को एंटीबायोटिक्स की वजह से दस्त, सूजन और ऐंठन की समस्या हो सकती है और हाइ-फाइबर खाद्य से गैस की समस्या और बढ़ सकती है। अगर दवाई लेने के दौरान अधिक सलाद या एक प्लेट सब्जी खाने में सहज नहीं हैं तो स्वास्थ्य बेहतर होने का थोड़ा इंतजार कर सकते हैं। हालांकि, फर्मेंटेड (किण्वित) खाद्य या पेय भी आंतों के अच्छे बैक्टीरिया में सहायक हो सकते हैं। भोजन में अदरक का प्रयोग तो बहुत समझदारी भरा हो सकता है। इससे एंटीबायोटिक से होने वाले सूजन और गैस आदि की समस्या को कम करने में मदद मिलती है। ताजा अदरक को चाय या पानी के साथ ले सकते हैं।
क्या प्रोबायोटिक ले सकते हैं?
वर्षों पहले एक शुरुआती शोध में दावा किया गया था कि प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने से एंटीबायोटिक से होने वाले त्वरित दुष्प्रभावों जैसे दस्त और ऐंठन को कम करने में मदद मिलती है। डाक्टर भी कई बार एंटीबायोटिक के साथ प्रोबायोटिक सप्लीमेंट का सुझाव देते हैं। हालांकि, नया अध्ययन बताता है कि एंटीबायोटिक प्रयोग के बाद प्रोबायोटिक सप्लीमेंट का बहुत अधिक असर नहीं होता। कुछ शोध में तो इसके दुष्प्रभाव का भी जिक्र किया गया है।
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