सावधान! कहीं आपका AC और मोबाइल आपकी आंखों की 'नमी' तो नहीं छीन रहा? डॉक्टर ने दी बड़ी चेतावनी
आजकल की लाइफस्टाइल में स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल और एयर कंडीशनिंग के कारण ड्राई आई की समस्या बढ़ रही है। डॉक्टर पवन गुप्ता के अनुसार, लंबे समय तक स्क ...और पढ़ें

एसी और मोबाइल से आंखों की नमी हो रही कम, डॉक्टर की चेतावनी (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों हमारी लाइफस्टाइल काफी ज्यादा बदल चुकी है। हमारा ज्यादातर समय स्क्रीन के सामने बीतने लगा है। इसके अलावा आजकल एयर कंडीशनर का इस्तेमाल भी काफी आम चुका है। साथ ही बढ़ता प्रदूषण अब कई तरह की समस्याओं का कारण बन रहा है। ड्राई आई इन्हीं समस्याओं मे से एक है, जो इन दिनों एक समस्या बन गई है।
इस बारे में आई 7 हॉस्पिटल लाजपत नगर और विजन आई क्लिनिक, नई दिल्ली में सीनियर कैटेरेक्ट और रेटिना सर्जन डॉ. पवन गुप्ता का कहना है कि आधुनिक युग में, आंखों में सूखापन एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है और बड़ी संख्या में लोग इसके लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं। ऐसे में इसके लक्षणों और इससे राहत पाने के लिए डॉक्टर ने कुछ उपाय सुझाए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से-
ड्राई आई के कारण
डॉक्टर बताते हैं कि इसका एक प्रमुख कारण लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग करना है। जब हम मोबाइल फोन, लैपटॉप या कंप्यूटर का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं, तो अनजाने में हमारी पलकें झपकाने की दर कम हो जाती है। स्वाभाविक रूप से पलकें झपकाने के बजाय, हम लगातार स्क्रीन को घूरते रहते हैं।
इस तरह लगातार स्क्रीन घूरने से आंखों के छेद चौड़े हो जाते हैं, जिससे आंखों को नम रखने वाली आंसू की परत तेजी से इवेपोरेट हो जाती है। परिणामस्वरूप, कई लोगों को आंखों में सूखापन, जलन या यहां तक कि आंखें खुली रखने में कठिनाई महसूस होने लगती है।
यह भी है बड़ा कारण
एक और महत्वपूर्ण कारक हमारे ऑफिस का वातावरण है। आजकल, कई ऑफिस पूरी तरह से बंद होते हैं और बहुत ज्यादा एयर कंडीशनिंग पर निर्भर रहते हैं। एयर कंडीशनिंग वाले वातावरण में लगातार रहने से हवा में नमी कम हो जाती है, जिससे हवा सूखी हो जाती है। जब हवा नमी खो देती है, तो वह आंखों से भी नमी सोख लेती है, जिससे सूखापन और बेचैनी बढ़ जाती है।
प्रदूषण भी है जिम्मेदार
अंत में, प्रदूषण भी एक ड्राई आई की समस्या में अहम भूमिका निभाता है। धूल, धुआं और अन्य वायुजनित प्रदूषक आंखों की सतह के लिए परेशानी की वजह बनते हैं, आंसू की परत को बाधित करते हैं और आंखों को सूखापन और लालिमा के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाते हैं। ये सभी कारक मिलकर ऐसी स्थिति पैदा करते हैं, जहां आंखों में सूखापन तेजी से बढ़ता जाता है और सभी उम्र और व्यवसायों के लोगों को प्रभावित कर रहा है।

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