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    भारत में तेजी से बढ़ रही Diabetes की बीमारी, ये तीन वजहें हैं ज‍िम्‍मेदार; क्‍या हैं इसके लक्षण?

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 10:26 AM (IST)

    भारत में डायबिटीज एक गंभीर समस्या बन चुकी है जो अब युवाओं को भी प्रभावित कर रही है। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की स्टडी के अनुसार 45 वर्ष से अधिक उम्र के 20% लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं लेकिन कई लोगों को इसका पता ही नहीं है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खराब खानपान इसके मुख्य कारण हैं।

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    डायब‍िटीज की बीमारी होने पर नजर आते हैं ये लक्षण (Image Credit- Freepik)

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारत में डायब‍िटीज एक आम समस्‍या बन चुकी है। पहले ये बीमारी स‍िर्फ बुजुर्गों में देखने को म‍िलती थी, लेक‍िन अब ये बीमारी कम उम्र वालों को भी अपनी चपेट में ले रही है। डायब‍िटीज हाेने के पीछे कई कारण हैं। मोटापा, खराब खानपान और अनहेल्‍दी लाइफस्‍टाइल के कारण ये बीमारी बढ़ रही है। डायब‍िटीज कम मरीजों को कई बीमारी का खतरा रहता है।

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    इससे द‍िल की बीमारी, क‍िडनी डैमेज, नर्व डैमेज और आंखों की रोशनी जा सकती है। लेक‍िन अफसोस की बात तो ये है क‍ि भारत में करीब हर 10 में से 4 डायबिटीज के मरीजों को ये पता ही नहीं है कि उन्हें ये बीमारी हाे चुकी है। ऐसा हम नहीं, बल्‍क‍ि लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशि‍त हुई स्‍टडी बता रही है।

    57,810 लोगों पर क‍िया गया सर्वे

    आपको बता दें क‍ि ये स्‍टडी 2017 से 2019 के बीच 45 साल और उससे अधिक उम्र के 57,810 लोगों पर किए गए सर्वे पर आधारित है। र‍िसर्च में पाया गया कि देश में 45 साल से ज्‍यादा उम्र के 20% लाेगों काे डायबिटीज की बीमारी है। पुरुष और महिलाएं, दोनों में ये लगभग समान यानी 20% है।

    ये वजहें हैं ज‍िम्‍मेदार

    रिपोर्ट के मुताबिक, शहरों में डायबिटीज के मामले ग्रामीण इलाकों से ज्‍यादा देखे गए हैं। इसकी वजह अनहेल्‍दी लाइफस्‍टाइल और खराब खानपान ही ज‍िम्मेदार हो सकता है। शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि ऐसी नीतियां बनाई जानी चाहिए जिससे लोगों में डायबिटीज को रोका जा सके। उसकी पहचान की जा सके। अगर क‍िसी को ये बीमारी हो जाए तो उसका इलाज बेहतर ढंग से किया जा सके।

    लगातार बढ़ रही हाइपरटेंशन की बीमारी

    भारत में 20 से 79 साल के लोगों में डायबिटीज के मामले दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं। साल 2019 में देश में हुई कुल मौतों में करीब 3% मौतें डायबिटीज की वजह से हुईं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। शुरुआती स्तर पर इन दोनों बीमारियों की दवा आसानी से मिलने से इनके खतरे को रोका जा सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं अभी भी कमजोर हैं।

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    CHC-PHC की देखी गई सुव‍िधाएं

    आईसीएमआर, डब्ल्यूएचओ और अन्य संस्थानों के र‍िसचर्स ने हाल ही में सात राज्यों के 19 जिलों में एक सर्वे किया, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC and PHC) डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए तैयार हैं क‍ि नहीं।

    दवा भी नहीं थी उपलब्‍ध

    सर्वे में पाया गया कि केवल 10 में से 4 सब-सेंटर (SCs) ही इन बीमारियों के इलाज के लिए तैयार थे। बाकी के पास जरूरी दवाएं तक नहीं थीं। 105 सब-सेंटरों में से करीब एक-तिहाई के पास मेटफॉर्मिन (डायबिटीज की दवा) की कमी थी और लगभग आधे (45%) के पास एम्लोडिपिन (ब्लड प्रेशर की दवा) उपलब्ध नहीं थी।

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    डायब‍िटीज के लक्षण

    • ज्‍यादा प्यास लगना
    • बार-बार पेशाब आना
    • सिरदर्द
    • धुंधला दिखाई देना
    • थकान महसूस होना
    • चोट या घाव का धीरे-धीरे भरना
    • वजन कम होना
    • हड्डियों का धीमा बढ़ना
    • त्वचा और बालों में बदलाव देखने को मिलना

    Source-

    • https://www.thelancet.com/journals/langlo/article/PIIS2214-109X(23)00502-8/fulltext