3 साल के मासूम भी हो रहे 'मायोपिया' के शिकार, बंद कमरों की आदत और मोबाइल स्क्रीन बन रही बड़ी वजह
दूर तक देखने और खुले आसमान को निहारने की आदतें छूटती जा रही हैं। लगातार बंद कमरे में रहने और स्क्रीन पर घूरते रहने की आदत बच्चों में मायोपिया की समस्य ...और पढ़ें

मायोपिया से बच्चों का ऐसे करें बचाव (Image Source: AI-Generated)
दुर्गेश शुक्ल, नई दिल्ली। क्या आपके बच्चे भी खुले आसमान को निहारना भूल गए हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। आजकल बंद कमरों में रहने और लगातार स्क्रीन देखने की आदत बच्चों की आंखों को बीमार बना रही है। स्थिति इतनी गंभीर है कि अब 3 से 5 साल के नन्हे बच्चों में भी 'मायोपिया' की समस्या तेजी से बढ़ रही है। सीतापुर में आंखों के अस्पताल के डॉ. वंदना गंगवार, डॉ. माधवी मिश्रा और डॉ. अभिषेक त्रिपाठी द्वारा किए गए एक शोध में बच्चों की आंखों को लेकर बेहद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

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बच्चों की आंखों पर मंडराता खतरा
तीन से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में मायोपिया की समस्या बढ़ रही है। अब तक सिर्फ आंखों के अस्पताल की सीतापुर की शाखा में ही छह माह में 10,239 मरीज आ चुके हैं। इसको लेकर अभिभावकों को सजग रहने की जरूरत है।
- डॉ. श्रीकांत वाइकर मुख्य चिकित्साधिकारी, सीतापुर आंखों का अस्पताल
मोबाइल बना बच्चों का दुश्मन
डॉ. वंदना गंगवार कहती हैं कि मानव मस्तिष्क उन सभी गतिविधियों को आत्मसात कर लेता है, जो शरीर करता है। एक समय के बाद मस्तिष्क शरीर के अंगों को गतिविधियों के हिसाब से ही निर्देशित करने लगता है। इसे ऐसे समझें कि अगर आप 10-12 घंटे कंप्यूटर पर काम करते हैं और शारीरिक व्यायाम नहीं करते हैं, ऐसे में अगर अचानक आपको दौड़ना पड़ जाए तो आप ज्यादा दूरी नहीं तय कर पाएंगे। यही नियम आंखों पर लागू होता है। अब बच्चे खुले आसमान में कभी सोते नहीं। कमरे की छत ज्यादा से ज्यादा 10 से 12 फीट होती है। कमरे में होने पर बच्चे मोबाइल टेलीविजन देखते हैं या फिर छत में टंगा पंखा । उनकी आंखें लंबी दूरी को देखने की अभ्यस्त नहीं हो पा रही हैं।
दवा से ज्यादा अभ्यास जरूरी
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नवनीत छाबड़ा के अनुसार, मायोपिया में विटामिन आदि की दवाएं ही दी जाती हैं। इस मर्ज को ठीक करने में दवा से कहीं ज्यादा अभ्यास की भूमिका होती है। बच्चों को लंबी दूरी तक देखने का अभ्यास कराना चाहिए। चांदनी रात में आसमान में तारों को तलाशने से बच्चों की आंखें कसरत करती हैं। इससे उनमें लंबी दूरी की वस्तु को देखने की क्षमता का विकास होने लगता है।
सावधानी बरतना सबसे जरूरी
बच्चों को दूर रखी चीज को पहचानने का अभ्यास कराएं।
मोबाइल फोन देखने का समय धीरे-धीरे कम करें।
आसमान में ऊंचे तक गेंद उछालकर कैच करने का अभ्यास कराएं।
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