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    मोबाइल की लत से बच्चों की आँखों पर संकट, रोहतक पीजीआई में बढ़ रही शिकायतें; डॉक्टर ने क्या सलाह दी?

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 03:12 PM (IST)

    आजकल बच्चों का ज़्यादा समय मोबाइल और कंप्यूटर पर बीत रहा है, जिससे उनकी आँखों पर बुरा असर पड़ रहा है। रोहतक पीजीआई में रोज़ाना कई बच्चे आँखों में सूखा ...और पढ़ें

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    बच्चों का ज़्यादा समय मोबाइल और कंप्यूटर पर बीत रहा है, जिससे उनकी आँखों पर बुरा असर पड़ रहा है (प्रतीकात्मक फोटो)

    नेहा किन्हा, रोहतक। मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन पर घंटों नजरें गड़ाए रखना अब बच्चों की आंखों के लिए खतरा बन गया है। पीजीआइ रोहतक में हर दिन 70 से 80 मरीज ऐसे पहुंच रहे हैं, जिन्हें लंबे समय तक स्क्रीन देखने के कारण आंखों में सूखापन, लालिमा, जलन और सिरदर्द जैसी शिकायतें हो रही हैं।

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    विशेषज्ञों का कहना है कि समस्या उन लोगों में बढ़ रही है, जो कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करते हैं या बच्चे जो मोबाइल पर गेम खेलने और आनलाइन पढ़ाई में अधिक समय बिताते हैं। बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस समस्या में बच्चे पास की चीजें साफ देख पाते हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आने लगती हैं।

    पीजीआइ की ओपीडी में हर रोज 10 से 15 बच्चे मायोपिया की शिकायत लेकर आ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश को चश्मे की जरूरत पड़ती है। माता-पिता ने बताया कि बच्चे दिनभर फोन पर गेम खेलते रहते हैं, यहां तक कि बिना मोबाइल देखे खाना भी नहीं खाते। डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि लगातार मोबाइल, टैब या कंप्यूटर देखने से ड्राई आई डिजीज यानी आंखों में सूखापन बढ़ रहा है।

    दिनभर स्क्रीन के आगे से आंखें न हटाने के कारण बच्चों की आंखों में सूखापन जलन या भारीपन है तो तुरंत डाक्टर से जांच करवाएं। कंप्यूटर पर काम करने वालों के लिए 20-20-20 नियम अपनाना जरूरी है, यानी हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। इससे आंखों को आराम मिलता है और तनाव कम होता है।

    इसके अलावा, बार-बार पलकें झपकाने की आदत डालें, ताकि आंखों में नमी बनी रहे। आंखों को बार-बार रगड़ने की बजाय अपनी हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करें और उन्हें आंखों पर रखें। दिन में दो-तीन बार ठंडे पानी से आंखें धोनी चाहिए। - डा. ज्योति देशवाल, एसोसिएट प्रोफेसर, पीजीआइएमएस, रोहतक।

    बच्चों में मायोपिया रोकने के लिए सुझाव बच्चों को हर रोज कुछ समय बाहर खुले में बिताना चाहिए। डाक्टरों ने बताया कि प्राकृतिक रोशनी में बिताया गया समय आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। माता-पिता को बच्चों के स्क्रीन टाइम की लिमिट तय कर देनी चाहिए। अगर बच्चें इसी तरह बिना रुके फोन, कंप्यूटर का इस्तेमाल करते रहे तो कम उम्र में ही ज्यादा नंबर का चश्मा लग जाएगा।