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    मोटापा मापने का सटीक पैमाना नहीं है BMI, लैंसेट की हालिया रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    क्या आप जानते हैं कि आपका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) शायद आपकी असली हेल्थ सिचुएशन को पूरी तरह से सटीक नहीं बताता हो? जी हां यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन हाल ही में लैंसेट पत्रिका में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट ने इस बात (BMI Accuracy) पर गंभीर सवाल उठाए हैं जिसमें बताया गया है कि बीएमआई मोटापे (Obesity) को मापने का सटीक पैमाना नहीं है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 15 Jan 2025 07:47 PM (IST)
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    मोटापे के ऊपर लैंसेट की चौंकाने वाली रिपोर्ट, बीएमआई को बताया सिर्फ आधा सच (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लैंसेट ग्लोबल कमीशन (Lancet Global Commission) ने मोटापे को मापने के तरीके में बदलाव की बात कही है। जी हां, अभी तक सिर्फ बीएमआई (BMI) से मोटापे का पता लगाया जाता था, लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तरीका पूरी तरह सही नहीं है। उन्हें लगता है कि मोटापे (Obesity) का सही पता लगाने के लिए हमें यह भी देखना चाहिए कि शरीर में फैट (Body Fat) कहां जमा है, खासकर पेट के आसपास। इसके लिए कमर की माप और कुछ और तरीके भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। आइए विस्तार से जानें इस नई रिपोर्ट के बारे में।

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    मोटापे की परिभाषा में बदलाव की जरूरत

    मोटापे की समस्या की एक बड़ी वजह यह है कि हम सभी के लिए एक ही मापदंड का इस्तेमाल करते आए हैं। यूरोप में, अगर किसी का BMI 30 से ज्यादा है तो उसे मोटा माना जाता है, लेकिन हर देश में लोगों का शरीर अलग होता है, इसलिए हर जगह के लिए एक ही मापदंड सही नहीं है।

    इसलिए, वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें हर देश के लिए अलग-अलग मापदंड बनाने चाहिए। भारत के कुछ वैज्ञानिकों ने भी इस पर सहमति जताई है। उन्होंने एक रिपोर्ट लिखी है जिसमें मोटापे को नापने का एक नया तरीका बताया गया है। इस नए तरीके से हम सही ढंग से पता लगा पाएंगे कि किसका वजन सचमुच ज्यादा है और किसका नहीं।

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    मोटापे की दो नई कैटेगरी

    लैंसेट की नई रिपोर्ट में Obesity को दो हिस्सों में बांटा गया है, जिससे हमें यह पता चल सके कि मोटापा हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रहा है।

    • क्लीनिकल मोटापा: इसका मतलब है कि मोटापे की वजह से हमारे शरीर का कोई अंग ठीक से काम नहीं कर रहा है। जैसे कि दिल, किडनी या लिवर।
    • प्री-क्लीनिकल मोटापा: इसका मतलब है कि अभी तक कोई बीमारी नहीं हुई है, लेकिन मोटापे की वजह से बीमार होने का खतरा बढ़ गया है।

    मोटापे को समझने का नया तरीका

    लैंसेट की रिपोर्ट में प्रोफेसर रुबिनो ने एक बहुत ही जरूरी बात कही है। उन्होंने कहा कि यह पूछना कि मोटापा एक बीमारी है या नहीं, यह सही सवाल नहीं है। उन्होंने समझाया कि मोटापा एक बहुत ही जटिल समस्या है। कुछ लोग बहुत मोटे होते हैं, लेकिन फिर भी बिल्कुल ठीक रहते हैं, लेकिन कुछ लोग थोड़े से मोटे होने पर भी बहुत बीमार हो जाते हैं।

    प्रोफेसर रुबिनो ने एक नया तरीका बताया है जिससे हम मोटापे को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। इस तरीके से हम यह जान पाएंगे कि किन लोगों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। जो लोग बहुत बीमार होने वाले हैं, उन्हें जल्दी से इलाज मिल सकेगा और जो लोग अभी बीमार नहीं हुए हैं, उन्हें भी पहले से ही सावधान किया जा सकेगा।

    इस नए तरीके से डॉक्टरों को यह भी पता चल जाएगा कि किन लोगों को किस तरह का इलाज चाहिए। इससे डॉक्टरों के पास जो दवाइयां और अन्य चीजें हैं, उनका सही इस्तेमाल हो सकेगा। सबसे अच्छी बात यह है कि इस नए तरीके से हर व्यक्ति को अलग-अलग ध्यान दिया जा सकेगा। यानी हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग इलाज किया जाएगा।

    कई गंभीर बीमारियों का कारण है मोटापा

    दुनियाभर में बहुत सारे लोग मोटापे की समस्या से परेशान हैं। WHO के मुताबिक, साल 2022 में तो एक अरब से ज्यादा लोग इस समस्या से जूझ रहे थे। बता दें, मोटापे की वजह से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि दिल की बीमारी, डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर भी। सिर्फ इतना ही नहीं, मोटापा हमारे शरीर को भी कमजोर बनाता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और हमारी चलने-फिरने की क्षमता भी कम हो सकती है। मोटापे की वजह से नींद भी अच्छी नहीं आती और हम रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाते।

    Source:

    • Criteria of Clinical Obesity: https://www.thelancet.com/journals/landia/article/PIIS2213-8587(24)00316-4/abstract

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