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    डिजिटल डिवाइस की Blue Light आंखों को पहुंचाती है नुकसान, बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स

    Updated: Sat, 12 Jul 2025 08:09 PM (IST)

    हमारी आंखें ब्लू लाइट को ज्यादा नहीं रोक पातीं। इसलिए लगभग हर नीली रोशनी हमारी आंखों के सामने वाले हिस्से यानी कॉर्निंया और लेंस को पार कर रेटिना तक पहुंच जाती है। यही वजह है कि डिजिटल डिवाइस से निकलने वाली रोशनी के लगातार संपर्क में आने से वो रेटिना सेल्स तक पहुंच कर उन्हें डैमेज करने लगती है।

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    डिजिटल डिवाइसों से निकलने वाली ब्लू लाइट आँखों को कैसे बचाएं? (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ब्लू लाइट या नीली रोशनी की वेवलेंथ सबसे कम होती है और इसकी एनर्जी सबसे ज्यादा होती है। हमें जितनी भी लाइट्स नजर आती है, उनमें एक तिहाई रोशनी नीली ही होती है। भले ही हम सूरज की नेचुरल नीली रोशनी के सबसे ज्यादा संपर्क में आते हैं लेकिन डिवाइसेस का जरूरत से ज्यादा और करीब से इस्तेमाल आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।

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    विजन कौंसिल के अनुसार लगभग 80% अमेरिकन दो घंटे से भी ज्यादा डिजिटल डिवाइस पर वक्त बिताते हैं। वहीं इसकी वजह से 59% लोगों में डिजिटल आई स्ट्रेन के लक्षण पाए गए हैं। आखिर ये नीली रोशनी हमारी आंखों के लिए कितनी खतरनाक है और इससे कैसे बचा जा सकता है, हम इस आर्टिकल में जानेंगे।

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    नींद पर डालती है असर

    सोने से पहले नीली रोशनी के संपर्क में रहने से स्लीप पैटर्न प्रभावित होता है, जब हमारा शरीर मेलाटोनिन बना रहा होता है। सर्केडियन सिस्टम प्रभावित होने की वजह से टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर और स्लीप डिसऑर्डर का खतरा बढ़ जाता है।

    ब्लू लाइट ग्लासेस से मिलती है मदद

    इस बारे में काफी सारी स्टडीज हैं कि ब्लू लाइट ग्लासेस मददगार होती हैं या नहीं। वैसे ये ग्लासेस नीली रोशनी की वजह से आंखों पर पड़ने वाले स्ट्रेन से बचाते हैं। यदि आप काफी वक्त डिजिटल डिवाइस पर बिताते हैं और आपको आंखों पर दबाव महसूस होता है तो ब्लू लाइट ग्लासेस मदद कर सकते हैं।

    इस तरह कम करें ब्लू लाइट के प्रभाव को

    • अपने स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर स्क्रीन के लिए ब्लू लाइट फिल्टर लगाएं। ऐसे फिल्टर्स डिस्प्ले में कोई भी रुकावट डाले बिना आपकी आंखों तक नीली रोशनी को ज्यादा से ज्यादा पहुंचने से रोकती है।
    • आंखों पर पड़ने वाले डिजिटल स्ट्रेन को कम करने के लिए 20-20-20 का रूल फॉलो करें। हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लेकर 20 फीट दूरी तक की कोई ना ना कोई चीज देखें।
    • डिवाइस की स्क्रीन की लाइटिंग और उसकी चमक को कंट्रोल रूप में रखें। स्क्रीन देखने के लिए सही दूरी और पोश्चर का ध्यान रखें। आंखों की छोटी-सी परेशानी भी नजरअंदाज ना करें।
    • जब भी अगली बार अपनी आंखों का चेकअप कराने आई डॉक्टर के पास जाएं तो ब्लू लाइट और डिजिटल डिवाइस से बचने के तरीकों के बारे में उनसे बात करें।

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