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    कुकिंग ऑयल का हेल्दी ऑप्शन कम कर सकता है मौत का खतरा, इसलिए आपके लिए बेस्ट रहेंगे ये 4 तेल

    Updated: Wed, 16 Apr 2025 03:49 PM (IST)

    खाना बनाने के लिए लोग अक्सर कई तरह के तेल का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि आप किस तरह के तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं यह आपकी सेहत पर गहरा असर डालता है। डाइट में सही कुकिंग ऑयल (Best Healthy Cooking Oils) का चुनाव आपकी मौत का खतरा कम या ज्यादा कर सकते हैं। हाल ही में इसे लेकर एक ताजा स्टडी में भी सामने आई है।

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    कौन-सा तेल है सेहत के लिए सही (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया है कि बटर की जगह हेल्दी वेजिटेबल ऑयल्स (Healthy cooking oils) का इस्तेमाल किया जाए तो मौत के खतरे को काफी कम किया जा सकता है।

    लोग कुकिंग के लिए रोजाना ऑयल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में हम कौन-सा तेल इस्तेमाल कर रहें, उसका चुनाव काफी मायने रखता है। कई डिशेज में ऑयल की जगह बटर का इस्तेमाल किया जाता है, जो 15% तक मौत के खतरे (Cooking oil and death risk) को बढ़ा सकता है। वहीं, प्लांट बेस्ड ऑयल या वनस्पति ऑयल इस खतरे को 16% तक कम कर देते हैं।

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    कैसे चुनें हेल्दी ऑयल

    कुकिंग ऑयल (Best oils for heart health) चुनने का सबसे अच्छा तरीका होता है कि गर्म करने के बाद भी ऑयल की खूबियां पहले की तरह बरकरार हैं। दरअसल, हर ऑयल का ही अपना एक स्मोक पॉइंट या तापमान होता है, जिस पर आकर वो लंबे समय तक स्थिर नहीं बना रहता है। आपको ऐसे कुकिंग ऑयल चुनने से बचना चाहिए, जिसका तापमान उसके स्मोक पॉइंट से ज्यादा है।

    जब ज्यादा गर्म हो जाता है ऑयल

    जब कुकिंग ऑयल को तेज आंच पर गर्म किया जाता है, तो स्मोक पॉइंट पर पहुंचकर वो ब्रेक डाउन होने लगता है। इस स्थिति में वो ऑक्सीडाइज होना शुरू हो जाता है और फ्री रेडिकल्स रिलीज करता है। इसका हमारी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, खासकर सेल्स को डैमेज करने लगता है। इससे बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा तेलों के स्मोक पॉइंट पर पहुंचने से एक्रोलिन नाम का तत्व रिलीज होता है, जिससे खाने में एक जला-सा स्वाद आता है। हवा में पहुंचकर ये एक्रोलिन हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचे सकते हैं।

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    तेलों की ज्यादा प्रोसेसिंग बिगाड़े क्वालिटी

    बहुत ज्यादा रिफाइन किए गए ऑयल एक समान नजर आते हैं और ये सस्ते भी होते हैं। बिना रिफाइन किए गए तेलों को कम से कम प्रोसेस से गुजारा जाता है और उनमें कुछ पार्टिकल्स नजर आ सकते हैं। ये तेल पारदर्शी नहीं होते और इनका स्वाद तथा रंग ज्यादा नेचुरल होता है। इस तरह के तेलों में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं, लेकिन गर्म करते ही प्रोसेस किए गए कुकिंग ऑयल से ज्यादा जल्दी खराब हो जाते हैं।

    तिल का तेल

    इसका स्मोक पॉइंट मीडियम होता है। इस तेल को हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है। एक स्टडी में सामने आया है कि डाइप 2 डायबिटीज वाले जिन मरीजों ने 90 दिनों तक तिल के तेल का इस्तेमाल किया उनके फास्टिंग शुगर में सुधार देखा गया। ये तेल भूनने, सामान्य कुकिंग और सलाद की ड्रेसिंग के लिए भी अच्छा है। दाल और चटनी में तड़के के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

    सनफ्लॉवर ऑयल

    इसका स्मोक पॉइंट काफी ज्यादा होता है। यह तेल सूरजमुखी के पौधे के बीजों से बनाया जाता है। इसमें सैचुरेटेड फैट काफी कम होता है और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड काफी मात्रा में होता है। इसका फ्लेवर न्यूट्रल होता है, जिसकी वजह से आप इसे कैसे भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप मेरीनेशन, फ्राइंग और डिप में इसे यूज कर सकते हैं।

    सरसों का तेल

    भारत के पूर्वी और उत्तरी इलाके में सबसे ज्यादा सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है। इसमें पॉलीअनसैचुरेटड फैट होता है, जो दिल की सेहत को बेहतर बनाता है। साथ ही हार्ट डिजीज के खतरे को भी कम करता है। ये तेल प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है।

    मूंगफली का तेल

    इसमें मोनोसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड फैट है, जो हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए अच्छा है। विटामिन-ई से भरपूर ये तेल सौ प्रतिशत तक कोलेस्ट्रॉल फ्री माना जाता है। इसके साथ ही प्रीमैच्योर एजिंग को कंट्रोल करता है। साथ ही त्वचा को हेल्दी और चमकदार बनाता है। इसका ज्यादा स्मोक पॉइंट इसे हाई टेम्परेचर पर कुकिंग के लिए अच्छा बनाता है। आप डीप-फ्राई वाले स्नैक्स के लिए इस ऑयल को चुन सकते हैं।

    तेल की खपत बढ़ रही है

    भारतीय आयुर्विज्ञन अनुसंधान परिषद् के मुताबिक प्रति व्यक्ति सालाना 12 किलोग्राम तेल का उपयोग कर सकते हैं, जबकि डब्लूएचओ इसे 13 किलोग्राम तक सही मानता है। लेकिन लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव की वजह से ऐसा अनुमान है, 2038 तक ये खपत 40 किलोग्राम प्रति व्यक्ति से ज्यादा हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि तेल की खपत बढ़ने से हार्ट डिजीज, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

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