सावधान! मिडिल एज में बुरे सपने आना हो सकती है डिमेंशिया की दस्तक, ऐसे करें बचाव
हम जो भी करते हैं उसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। साथ ही हमारा शरीर में किसी न किसी संकेतों के जरिए यह बताता है कि हमारी सेहत का क्या हाल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे सपने भी सेहत से जुड़ी जानकारी देते हैं। मिडिल एज में बुरे सपने आना डिमेंशिया का संकेत होता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हम अपनी जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोने में बिताते हैं और एक चौथाई हिस्सा सपने देखने में। लेकिन इसके बावजूद भी हम अपने सपनों के बारे में बहुत कम जानते हैं कि आखिर हमारा दिमाग सपने कैसे बनाता है। उससे भी ज्यादा जरूरी बात है कि उन सपनों का क्या हमारी सेहत से कोई लेना-देना है, खासकर हमारे ब्रेन से।
डिमेंशिया का संकेत
साल 2022 में लेंसेट के ई-क्लीनिकल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित स्टडी बताती है कि हमारे सपने ब्रेन हेल्थ को लेकर बेहद चौंका देने वाली जानकारी दे सकते हैं। ये स्टडी बताती है कि मिडिल एज में या बढ़ती उम्र के साथ लगातार आने वाले बुरे और डरावने सपनों का संबंध डिमेंशिया के बढ़ते खतरे के साथ हो सकता है।
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हफ्ते में आने वाले बुरे सपने
ये स्टडी बताती है कि मिडिल एज के जिन लोगों को हर हफ्ते बुरे सपने आते हैं, उनकी बौद्धिक क्षमता में कमी आने का खतरा चार गुना होता है। वहीं, बुजुर्गों में डिमेंशिया होने की आशंका दोगुना हो जाती है।
महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को
इस स्टडी में एक दिलचस्प फैक्ट सामने आया है कि बुरे सपने और भविष्य में होने वाले डिमेंशिया के खतरे के बीच का कनेक्शन महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में है। कुल मिलाकर ये स्टडी बताती है कि लगातर आने वाले बुरे सपने डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकते हैं। वैसे एक अच्छी बात ये भी है कि बार-बार आने वाले बुरे सपनों का इलाज संभव है।
आंकड़ों पर एक नजर
पूरी दुनिया में 5.5 करोड़ से भी ज्यादा लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, जिनमें 60% से भी ज्यादा लोग निम्न-मध्यम आय वाले देशों के लोग हैं। हर साल ही डिमेंशिया के 1 करोड़ से भी ज्यादा मामले दर्ज होते हैं।
क्या होते हैं डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण
कई बार मेमोरी से जुड़ी समस्या होने से पहले ही मूड और व्यवहार में बदलाव नजर आने लगता है। समय के साथ इसके लक्षण बढ़ते जाते हैं। अंतत: ज्यादातर लोगों को अपने रोजमर्रा के कामों के लिए भी दूसरों की मदद लेनी पड़ती है। इसके कुछ शुरुआती लक्षण हैं:
- चीजें भूलने लगना या हाल-फिलहाल में हुई घटनाएं याद न रहना
- सामान खो जाना या फिर कहीं रखकर भूल जाना
- वॉकिंग या ड्राइविंग के दौरान दिशा को लेकर कन्फ्यूजन
- समय का अंदाज न रहना
- समस्याओं का हल न निकाल पाना या निर्णय लेने में परेशानी
- बातचीत करने या सही शब्दों का चयन करने में दिक्कत पेश आना
- सामान्य कामों को करने में भी परेशानी होना
- चीजों की दूरी का सही अंदाजा ना लगा पाना
ऐसा करना फायदेमंद हो सकता है
- फिजिकली एक्टिव रहें
- हेल्दी खाएं
- धूम्रपान और शराब का सेवन बंद कर दें
- डॉक्टर के पास नियमित रूप से चेकअप कराएं
- जरूरी कामों को याद रखने के लिए उसे लिखें
- अपनी हॉबी बरकरार रखें और अपनी मनपसंदीदा चीजें करते रहें
- दिमाग को एक्टिव रखने के नई-नई तरकीबें सीखें
- अपने दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताएं
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