Dementia: आपकी आदतें बना सकती हैं डिमेंशिया का शिकार, ब्रेन हेल्थ बूस्ट करने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स
Dementia इन दिनों कई लोग डिमेंशिया का शिकार होते जा रहे हैं। यह समस्या आमतौर पर व्यक्ति की मेमोरी सोच और सामाजिक क्षमताओं को प्रभावित करती है। डिमेंशिया के लक्षण पीड़ित व्यक्ति दैनिक जीवन में रुकावट बन सकती है। ऐसे में आप इन आदतों को अपनाकर अपने ब्रेन हेल्थ को बूस्ट कर डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकते हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dementia: इन दिनों लोग लगातार कई तरह की समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। भागदौड़ भरे जीवन में लोग शारीरिक ही नहीं, मानसिक समस्याओं का भी शिकार होते जा रहे हैं। आजकल कई सारे लोग मेंटल हेल्थ (Mental Health) से जुड़ी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों के मेंटल फंक्शन पर गहरा असर पड़ता है। इन दिनों डिमेंशिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कई सारे लोग इसका शिकार होते जा रहे हैं। डिमेंशिया (Dementia) शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से एक विनाशकारी विकार है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है।
क्या है डिमेंशिया?
डिमेंशिया में आम तौर पर मेमोरी लॉस की समस्या होती है। यह अक्सर इस स्थिति के शुरुआती लक्षणों में से एक होता है। लेकिन केवल मेमोरी लॉस होने का मतलब यह नहीं है कि आपको मनोभ्रंश है। इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं। ऐसे जरूरी है कि अपने दिमाग की तंदरुस्त बनाकर डिमेंशिया के खतरे को कम किया जाए। आप अपने मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और डिमेंशिया के खतरे को कम करने के लिए इन 5 तरीकों को अपना सकते हैं।
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रोजाना खाएं नट्स
अपने दिमाग को हेल्दी और तेज बनाने के लिए आप नट्स आदि खा सकते हैं। यह हमारी याद्दाश्त बढ़ाने में काफी मददगार है। रोजाना एक मुट्ठी नट्स खाने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में भी मदद मिल सकती है और यह कॉग्नेटिव हेल्थ बेहतर बनाने और बुजुर्गों में सोच, तर्क और मेमोरी को बेहतर बनाने में भी कारगर है, जिससे डिमेंशिया को रोकने में मदद मिलती
ब्लड प्रेशर मैनेज करें
ब्लड प्रेशर का अनियंत्रित होना कई समस्याओं की वजह बन सकता है। ऐसे में कोशिश करें कि हर उम्र में बीपी को कंट्रोल में रखें। एक अध्ययन में पाया गया है कि बुढ़ापे में ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रखने से कॉग्नेटिव लॉस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है, जो डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। तीन साल तक लगातार बीपी कम करने से मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट
तनाव एक प्रमुख कारक है, जो आपको डिमेंशिया के खतरे में डाल सकता है। शोध में पाया गया कि मध्य जीवन में तनाव बुढ़ापे में डिमेंशिया के विकास का कारण बन सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि लंबे समय तक कोर्टिसोल के स्तर में बढ़ोतरी भी इसमें योगदान दे सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक तनाव कम करने पर उन लोगों को ज्यादा ध्यान देना चाहिए, जो डिमेंशिया से बचना चाहते हैं।
एक्टिव रहें
विभिन्न अध्ययनों में पता चला है कि फिजिकल एक्टिविटी डिमेंशिया के शुरुआत को देर तक रोकने में मददगार है। फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ रियो डी जनेरियो (यूएफआरजे) के शोध में कहा गया है कि एक्सरसाइज से आइरिसिन का स्तर बढ़ता है, एक हार्मोन जो मेमोरी लॉस को रोकने में मदद कर सकता है।
पर्याप्त नींद लेना
खराब नींद या नींद की कमी कई समस्याओं की वजह बन सकती है। यही वजह है कि विशेषज्ञ भी लोगों को पूरी नींद लेने की सलाह देते हैं। इसकी वजह से डिमेंशिया का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। पर्याप्त नींद की कमी मस्तिष्क में ताऊ नामक प्रोटीन के स्तर में बढ़ोतरी करती है, जो अल्जाइमर रोग के लिए जिम्मेदार है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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