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    टॉयलेट का Hand Dryer बना रहा है आपको बीमार, पेपर टॉवल के मुकाबले 1300 गुना ज्यादा है कीटाणुओं का खतरा

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 09:55 AM (IST)

    आजकल ऑफिस मॉल और रेस्टोरेंट के वॉशरूम में हैंड ड्रायर का इस्तेमाल आम बात हो गई है। इन्हें देखकर अक्सर लगता है कि यह पेपर टॉवल से ज्यादा बढ़िया ऑप्शन है लेकिन हकीकत थोड़ी अलग है। दरअसल रिसर्च बताती है कि हैंड ड्रायर हमारी उम्मीदों के बिल्कुल उलट है क्योंकि इसके इस्तेमाल से हाथ धोने के बाद उन पर दोबारा गंदगी और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं।

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    पेपर टॉवल की जगह इस्तेमाल होने वाला हैंड ड्रायर फैलाता है 1300 गुना ज्यादा कीटाणु (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आप जब भी किसी मॉल, दफ्तर या पब्लिक टॉयलेट में जाते हैं, तो हाथ धोने के बाद अक्सर उन्हें सुखाने के लिए हैंड ड्रायर का इस्तेमाल करते हैं। आपको लगता है कि यह एक मॉडर्न और साफ-सुथरा तरीका है, लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी और एक्सपर्ट्स की राय इसके बिलकुल उलट है। जी हां, यह सच है कि हैंड ड्रायर आपको बीमार कर सकता है और पेपर टॉवल की तुलना में इसमें 1300 गुना ज्यादा कीटाणुओं का खतरा होता है (Hand Dryer vs Paper Towel)। आइए, विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

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    क्या आप भी हैंड ड्रायर से सुखाते हैं हाथ?

    जब भी टॉयलेट फ्लश किया जाता है, तो एक अदृश्य धुंध जैसी परत हवा में फैल जाती है। इसे “टॉयलेट प्लूम” कहा जाता है। यह महीन कण कई घंटे तक हवा में तैरते रहते हैं। हैंड ड्रायर जब उसी हवा को खींचकर तेज दबाव में बाहर फेंकते हैं, तो वे कण सीधे आपके साफ हाथों और आसपास की सतहों पर वापस जम जाते हैं। यानी हाथ धोने की मेहनत कुछ ही सेकंड में बेकार हो सकती है।

    कीटाणुओं का घर हैं हैंड ड्रायर

    हैंड ड्रायर की सबसे बड़ी समस्या उनकी तेज हवा है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स की एक स्टडी में पाया गया कि हाई-स्पीड जेट ड्रायर पेपर टॉवल की तुलना में 1,300 गुना ज्यादा बैक्टीरिया फैला सकते हैं। तेज हवा से ये कीटाणु सिर्फ हाथों तक ही नहीं, बल्कि कपड़ों, चेहरे और यहां तक कि पास खड़े दूसरे व्यक्ति तक भी पहुंच सकते हैं।

    सिर्फ बैक्टीरिया नहीं, फंगस और एलर्जी भी

    वॉशरूम की नमी फफूंदी और फंगल स्पोर्स के पनपने के लिए बिल्कुल सही माहौल है। हैंड ड्रायर इस नम हवा को अंदर खींचकर बार-बार बाहर फेंकते रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि हाथों पर सिर्फ बैक्टीरिया ही नहीं, बल्कि एलर्जन और धूल-कण भी चिपक सकते हैं, जो लंबे समय में त्वचा और सांस से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

    क्या सच में ये 'इको-फ्रेंडली' हैं?

    कई दफ्तर और होटल पेपर टॉवल की जगह हैंड ड्रायर को इस सोच के साथ अपनाते हैं कि यह पर्यावरण के लिए बेहतर है, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या यह सेहत के लिए सही है? पेपर टॉवल इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाते हैं और बैक्टीरिया को वहीं खत्म कर देते हैं। जबकि हैंड ड्रायर एक ही दूषित हवा को बार-बार हमारे आसपास फैला देते हैं। ऐसे में 'ग्रीन चॉइस' का दावा उतना मजबूत नहीं रह जाता।

    क्या है बेहतर ऑप्शन?

    • पेपर टॉवल: हाथ सुखाने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका अब भी यही है। यह न केवल हाथ जल्दी सुखाते हैं, बल्कि बची-खुची नमी और कीटाणुओं को भी हटा देते हैं।
    • नेचुरल एयर ड्राई: अगर पेपर टॉवल उपलब्ध न हों, तो हाथों को हवा में सूखने देना हैंड ड्रायर से बेहतर है।

    हैंड ड्रायर दिखने में भले ही आधुनिक और इको-फ्रेंडली लगें, लेकिन इनके जरिए आपके हाथ अनजाने में कीटाणुओं और फंगस के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में जब भी विकल्प मिले, पेपर टॉवल ही चुनें।

    Source: University of Leeds

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