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Air Pollution: ट्रैफिक का प्रदूषण बन सकता है आपके दिमाग का दुश्मन, स्टडी में सामने आया डिमेंशिया से इसका संबंध

वायु प्रदूषण की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं जिसमें डिमेंशिया भी शामिल है। ट्रैफिक से होने वाला प्रदूषण दिमागी सेहत को काफी प्रभाव करता है। इस बारे में हाल ही में एक स्टडी सामने आई है। इस स्टडी में इसके कारण और प्रभाव पता लगाने की कोशिश की गई है। जानें क्या पाया गया इस स्टडी में और कैसे कर सकते हैं प्रदूषण से बचाव।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Published: Sun, 25 Feb 2024 02:10 PM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2024 02:10 PM (IST)
ट्रैफिक के प्रदूषण से हो बढ़ सकता है डिमेंशिया का खतरा

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Air Pollution: वायु प्रदूषण सेहत के लिए किसी श्राप से कम नहीं है। इस वजह से सेहत से जुड़ी कितनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसका आपको कुछ हद तक अंदाजा होगा। वायु प्रदूषण की वजह से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले अंग फेफड़े हैं। हवा के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले प्रदूषक सबसे पहले फेफड़ों में पहुंचते हैं, जिस कारण से उन्हें सबसे पहले नुकसान होता है, लेकिन फेफड़ों के जरिए प्रदूषक ब्लड वेसल्स में भी प्रवेश कर सकते हैं, जिनमें PM 2.5 सबसे छोटा प्रदूषक होता है, जो आसानी से बल्ड में जा सकता है और ब्लड में मिलकर शरीर के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकते हैं।

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क्या है यह नई स्टडी?

अभी तक आपने सुना होगा कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल की बीमारियां, रेस्पिरेटरी डिजीज, डायबिटीज और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स प्रभावित होते हैं, लेकिन इसकी वजह से आपके दिमाग पर भी काफी गंभीर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। हाल ही में, इस बारे में एक स्टडी सामने आई है, जिसमें ट्रैफिक की वजह से होने वाले प्रदूषण का दिमाग पर क्या असर होता है, इस बारे में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। न्यूरोलॉजी में पब्लिश हुई स्टडी में यह बताया गया है कि ट्रैफिक की वजह से होने वाला प्रदूषण डिमेंशिया के गंभीर प्रकार के लिए जिम्मेदार हो सकता है। साथ ही, जिन व्यक्तियों में डिमेंशिया के जीन मौजूद नहीं है, उनमें भी डिमेंशिया का प्रमुख कारण बन सकता है।

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क्यों बढ़ता है डिमेंशिया का खतरा?

हवा में प्रदूषण के PM 2.5 पार्टिकल्स मौजूद होते हैं, जो ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर सकता है, जिस वजह से यह दिमाग तक पहुंचकर आसानी से नुकसान पहुंचा सकता है। इस स्टडी में यह पाया गया कि जिन व्यक्ति को ट्रैफिक की वजह से होने वाले प्रदूषण का ज्यादा सामना करना पड़ता है, उनमें डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार माना जाना वाला अमाइलॉइड प्लेग अधिक मात्रा में पाया गया। यह प्लेग न्यूरॉन्स पर इकट्ठा होने लगता है, जिससे कॉग्नीटिव हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इस प्लेग को डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके पलहे जामा इंटरनल मेडिसिन में भी इस बारे में एक स्टडी पब्लिश हुई थी, जिसमें यह पाया गया था कि जो व्यक्ति अधिक प्रदूषण में रहते हैं, उनमें डिमेंशिया का खतरा काफी अधिक रहता है।

क्या है डिमेंशिया?

अल्जाइमर्स एसोशिएशन के अनुसार, डिमेंशिया खुद में कोई बीमारी नहीं है बल्कि, वह कई बीमारियों का समूह है, जो दिमागी सेहत को प्रभावित करते हैं। इनमें अल्जाइमर सबसे आम है। इस कंडिशन में व्यक्ति की कॉग्नीटिव हेल्थ प्रभावित होती है, जिसकी वजह से रोज के छोटे-मोटे काम करने में भी व्यक्ति असमर्थ होता जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं।

कैसे कर सकते हैं वायु प्रदूषण से बचाव?

  • अपने घर या दफ्तर के आस-पास के AQI लेवल को नियमित रूप से चेक करें।
  • प्रदूषण अधिक होने पर बिना मास्क के बाहर न निकलें।
  • हर छोटी राइड के लिए अपनी कार का इस्तेमाल न करें। इसके बदले पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे- मेट्रो का इस्तेमाल करें, इससे प्रदूषण कम होता है और आपको भी कम प्रदूषण का सामना करना पड़ेगा।
  • घर में और गाड़ी में एयर प्योरिफायर का इस्तेमाल करें।
  • डाइट में गुड़ और विटामिन-सी व ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड आइटम्स को शामिल करें।
  • घर के अंदर इंडोर प्लांट्स लगाएं ताकि घर के भीतर की हवा शुद्ध रहे।
  • डिटॉक्सीफाइंग ड्रिंक्स पीएं, जैसे हर्बल टी।

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Picture Courtesy: Freepik


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