रोजमर्रा के काम भी मुश्किल बना देता है माइग्रेन, इन 5 तरीकों से करें इसे समय रहते कंट्रोल
माइग्रेन के दर्द का ट्रैक रखकर अपने डॉक्टर से सलाह लेकर इसके दर्द को होने से पहले ही रोकने में काफी मदद मिल सकती है। सोने-जगने के पैटर्न में बदलाव मौसम में बदलाव अल्कोहल फूड एडिटिव्स हार्मोनल बदलाव कुछ दवाएं और तनाव इसके मुख्य कारण हैं। आइए जानते हैं कैसे करें इसे कंट्रोल।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। माइग्रेन एक ऐसा सिरदर्द है जो रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किल बना देता है। अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर एंड स्ट्रोक ने माइग्रेन को एक गंभीर, सिर के एक हिस्से में धमक के साथ होने वाला दर्द बताया है। इस दर्द की वजह से कई महत्वपूर्ण मौके मिस हो जाते हैं। अगर आप अपने माइग्रेन के ट्रिगर्स को पहले ही जान लें और कुछ आसान तरीके अपनाएं तो इस दर्द को होने से पहले ही काफी हद तक रोक सकते हैं।
ये हैं माइग्रेन के कुछ ट्रिगर्स
- सोने-जगने के पैटर्न में बदलाव
- मौसम में चेंज
- अल्कोहल
- फूड एडिटिव्स
- महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव
- कुछ खास प्रकार की दवाएं
- तनाव
ऐसे करें माइग्रेन को मैनेज
- डायरी बनाएं: माइ्ग्रेन के दर्द को लेकर एक डायरी मेंटेन करें। इससे आप जान पाएंगे कि आपके ट्रिगर क्या हैं। आप यह देख पाएंगे कि आपको माइग्रेन वीकेंड पर हो रहा है या सुबह या दोपहर के समय। अगर आप माइग्रेन के दर्द के लिए दवाएं ले रहे हैं तो आप डायरी में ऐसी चीजें नोट कर सकते हैं। आप किसी ऐप की मदद से भी इसका रिकॉर्ड रख सकते हैं।
- स्ट्रेस मैनेज करना सीखें: माइग्रेन एक क्रॉनिक बीमारी है और यह खत्म नहीं होती। इसके लिए जितना हो सके एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने की कोशिश करें। माइग्रेन के ट्रिगर्स को पहचानने के साथ-साथ स्ट्रेस को मैनेज करना सीखना भी उतना ही जरूरी है। डिप्रेशन के इलाज के लिए सही खानपान और अच्छी नींद के साथ-साथ, बेहतर साइकोथैरेपी दवाओं से कहीं ज्यादा असरदार होती हैं।
- ट्रीटमेंट के अन्य तरीके: दर्द के लिए एक्यूपंचर, आयुर्वेद जैसे उपचार के तरीकों को भी अपना सकते हैं। इसके लिए किसी अनुभवी फिजिशियन से ही राय लें। बार-बार होने वाले माइग्रेन अटैक को कम करने के लिए नेचुरल सप्लीमेंट लें। इन सप्लीमेंट्स को लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।
- प्रीवेंटिव थैरेपी का सहारा: माइग्रेन का दर्द बार-बार होता है तो मौसम बदलने या तापमान में बदलाव होने की स्थिति में अपने डॉक्टर की सलाह पर प्रीवेंटिव दवाएं भी ले सकते हैं।
- नेचुरल चीजें ज्यादा से ज्यादा खाएं: एक्सपर्ट कैफीन और शुगर की मात्रा सीमित रखने की सलाह देते हैं। डाइट में प्रोसेस्ड फूड कम से कम हो और एमएसजी जैसे केमिकल से जितना हो सके दूर रहें। कार्बोहाइड्रेट और शुगर वाली चीजों की बजाय प्रोटीन और सब्जियां लें। अगर किसी फूड आयटम के लेबल पर किसी सामग्री के बारे में साफ-साफ जानकारी नहीं है तो उसे लेने से बचें।
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