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    बच्चों में कैंसर के खतरे को पहले ही पहचान सकते हैं 5 टेस्ट, डॉक्टर ने किया खुलासा

    Updated: Tue, 23 Sep 2025 02:38 PM (IST)

    Childhood Cancer को समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर इसका इलाज जल्दी शुरू हो जाए तो बच्चे के ठीक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। आइए जानते हैं कि डॉक्टर तरंग कृष्णा बच्चों में कैंसर के खतरे का पता लगाने के लिए किन 5 जरूरी टेस्ट की सलाह दे रहे हैं।

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    बच्चों में कैंसर की पहचान के लिए 5 जरूरी टेस्ट (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कैंसर का नाम सुनते ही हर किसी के मन में डर बैठ जाता है। खासकर तब, जब बात बच्चों की हो। हालांकि, अच्छी बात यह है कि अगर कैंसर का खतरा शुरुआती स्टेड में पकड़ लिया जाए तो इलाज की सफलता लगभग तय मानी जाती है।

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    मॉडर्न मेडिकल साइंस में कुछ ऐसे टेस्ट (Cancer Tests For Children) मौजूद हैं जो बच्चों में कैंसर के शुरुआती लक्षणों को सामने ला सकते हैं। आइए डॉक्टर तरंग कृष्णा से जानते हैं कौन-से हैं वो 5 जरूरी टेस्ट (Blood Tests For Childhood Cancer), जिनसे समय रहते खतरे का पता लगाया जा सकता है।

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    सीबीसी (Complete Blood Count)

    यह एक साधारण खून की जांच है, लेकिन इसकी भूमिका बेहद जरूरी होती है। सीबीसी से खून की कोशिकाओं का संतुलन पता चलता है। अगर बच्चा बार-बार बुखार से परेशान रहता है या कमजोरी महसूस करता है, तो डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इससे ब्लड कैंसर जैसे मामलों के शुरुआती संकेत पकड़ में आ सकते हैं।

    इमेजिंग टेस्ट (Chest X-ray और अल्ट्रासाउंड)

    लगातार खांसी, सांस लेने में दिक्कत या शरीर में असामान्य सूजन को हल्के में न लें। ऐसे में, डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। चेस्ट एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड शुरुआती ट्यूमर की पहचान करने में मददगार होते हैं। इनसे कैंसर का खतरा समय रहते सामने आ सकता है।

    यूरिन टेस्ट

    सुबह खाली पेट दिया गया यूरिन सैंपल शरीर की कई छिपी हुई समस्याओं को उजागर कर सकता है। यूरिन टेस्ट से किडनी और ब्लैडर से जुड़े कैंसर का खतरा शुरुआती स्टेज में ही पकड़ में आ सकता है। यही वजह है कि यह टेस्ट बच्चों के लिए समय-समय पर कराना फायदेमंद होता है।

    जेनेटिक टेस्टिंग

    अगर परिवार में पहले से किसी को कैंसर रहा है, तो बच्चों के लिए जेनेटिक टेस्टिंग बेहद जरूरी हो सकती है। यह टेस्ट बताता है कि कहीं बच्चों में कैंसर से जुड़े जीन म्यूटेशन तो मौजूद नहीं हैं। समय रहते यह जानकारी मिल जाने पर डॉक्टर बचाव और निगरानी की सही दिशा तय कर सकते हैं।

    फिजिकल एग्जामिनेशन

    कभी-कभी छोटी-सी गांठ, असामान्य सूजन या बच्चे के सामान्य व्यवहार में बदलाव बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है। इसलिए नियमित तौर पर बच्चों का शारीरिक परीक्षण किसी अनुभवी शिशु रोग विशेषज्ञ से करवाना चाहिए। एक साधारण चेकअप भी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शुरुआती सुराग दे सकता है।

    बच्चों में कैंसर का खतरा सुनकर डरना स्वाभाविक है, लेकिन सच यह है कि शुरुआती चरण में पकड़ा गया कैंसर लगभग पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इसलिए माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए और अगर कोई असामान्य लक्षण नजर आएं तो तुरंत जांच करवानी चाहिए।

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