30 के बाद महिलाओं को खाने चाहिए 3 सीड्स, हार्मोनल बैलेंस से लेकर मजबूत हड्डियों तक के लिए हैं जरूरी
30 की उम्र जीवन का ऐसा पड़ाव है, जिसके बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगती है, हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव और थकान जैसी कई समस्याएं 30 के बाद बढ़ने लगती हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए डाइट में कुछ सीड्स को शामिल करना फायदेमंद साबित हो सकता है।

महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं ये सीड्स (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। उम्र का तीसरा दशक यानि 30 की उम्र महिलाओं के जीवन का एक अहम मोड़ होता है। इस उम्र में शरीर में कई तरह के बदलाव आने शुरू हो जाते हैं, खासकर हार्मोनल स्तर में। एस्ट्रोजन हार्मोन का उतार-चढ़ाव, मेटाबॉलिज्म का धीमा होना और हड्डियों की डेंसिटी कम होना ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना अक्सर 30 पार महिलाओं को करना पड़ता है।
ऐसे में सिर्फ बाहरी देखभाल ही काफी नहीं है, अंदर से मजबूत बनाने के लिए पोषण पर खास ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए डाइट में कुछ खास सीड्स को शामिल करना फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जानते हैं ऐसे ही 3 सीड्स (Seeds for Women After 30) के बारे में जो 30 के बा द की महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं हैं।
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कद्दू के बीज
- हार्मोन बैलेंस- कद्दू के बीज मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं। मैग्नीशियम एक ऐसा मिनरल है, जो तनाव को कम करने और नींद की क्वालिटी में सुधार लाने में मददगार है। अच्छी नींद और कम तनाव का सीधा असर हार्मोनल बैलेंस पर पड़ता है। साथ ही, इनमें जिंक भी होता है जो थायरॉयड फंक्शन और इम्युनिटी के लिए जरूरी है।
- हड्डियों की मजबूती- 30 की उम्र के बाद महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ने लगता है। कद्दू के बीज मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और जिंक का अच्छा सोर्स हैं, जो हड्डियों की डेंसिटी को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- ऊर्जा का सोर्स- इनमें मौजूद प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शरीर को लंबे समय तक एनर्जी देते हैं और मिड-डे स्लम्प से बचाते हैं।
तिल के बीज
- हड्डियों और दांतों के लिए वरदान- तिल के बीज कैल्शियम के सबसे अच्छे प्लांट-बेस्ड सोर्स में से एक हैं। दूध के मुकाबले इनमें कैल्शियम की मात्रा कहीं ज्यादा होती है। इन्हें नियमित रूप से खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है।
- एंटी-एजिंग गुण- तिल के बीज में सेसमिन और सेसामोलिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़कर सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के लक्षणों को धीमा करते हैं।
- हार्मोनल हेल्थ- इनमें लिग्नन्स फाइटोएस्ट्रोजन पाए जाते हैं, जो महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन को बैलेंस करने में मदद कर सकते हैं, खासकर पेरिमेनोपॉज और मेनोपॉज के दौरान।
अलसी के बीज
- हार्मोन बैलेंस- अलसी के बीज लिग्नन्स का सबसे बेहतर सोर्स हैं। लिग्नन्स एक प्रकार का फाइटोएस्ट्रोजन है जो शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन को रेगुलेट करने में मदद करता है। यह पीरियड्स के दौरान होने वाले मूड स्विंग्स, हॉट फ्लैशेज और अन्य हार्मोनल लक्षणों को कम करने में असरदार है।
- दिल के लिए फायदेमंद- अलसी ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करके, सूजन को कम करके और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करके हार्ट डिजीज के खतरे को कम करती है।
- पाचन में मददगार- इनमें सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल दोनों तरह के फाइबर पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखते हैं और कब्ज की समस्या से राहत दिलाते हैं।
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