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    चुपके से आपकी हड्डियां तोड़ सकता है Osteoporosis, 30 की उम्र कर चुकी हैं पार, तो इन बातों का रखें ध्यान

    अगर आप 30 की उम्र पार कर चुकी हैं या 30 की होने वाली हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। 30 के बाद महिलाओं की बोन डेंसिटी कम होने लगती है जिसके कारण हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है। यहां हम कुछ टिप्स (Osteoporosis Prevention Tips) बता रहे हैं जिनकी मदद से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करने में मदद मिलेगी।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Tue, 14 Jan 2025 11:04 AM (IST)
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    Osteoporosis से सावधान रहना है जरूरी! (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Osteoporosis Prevention Tips: महिलाओं के शरीर में 30 की उम्र के बाद कई बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। इनमें हड्डियों का कमजोर होना भी शामिल है। 30 साल के बाद धीरे-धीरे बोन डेंसिटी कम होने लगती है, जिसकी वजह से ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) का रिस्क काफी बढ़ जाता है।

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    ऑस्टियोपोरोसिस, जिसे अक्सर 'साइलेंट डिजीज' कहा जाता है, हड्डियों को कमजोर और फ्रेजाइल बना देता है। महिलाएं, खासकर मेनोपॉज के बाद, इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होती हैं। इस दौरान हार्मोन में बदलाव होता है, जो हड्डियों को कमजोर बना सकता है, लेकिन चिंता न करें, डॉ. अखिलेश यादव (मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के ऑर्थोपेडिक्स और जॉइन्ट रिप्लेसमेंट विभाग के एसोशिएट डायरेक्टर) के बताए कुछ आसान बदलावों (Osteoporosis Prevention Tips For Women) से आप इस बीमारी से खुद को बचा सकती हैं।

    ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?

    ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों में मिनरल्स की कमी हो जाती है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। यह अक्सर तब होता है जब हड्डी का टूटना (resorption) हड्डी के निर्माण (formation) की गति से ज्यादा होता है।

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    30 के बाद हड्डियों का ख्याल (Bone Health Tips) क्यों जरूरी है?

    • पीक बोन मास- 25-30 साल की उम्र तक हमारी हड्डियां सबसे मजबूत होती हैं। इस उम्र के बाद हड्डियों की डेंसिटी धीरे-धीरे कम होने लगती है।
    • मेनोपॉज का प्रभाव- मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, जो हड्डियों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
    • ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा- कमजोर हड्डियां फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ाती हैं, खासकर कूल्हे, रीढ़ और कलाई में।

    ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के उपाय

    हेल्दी डाइट

    • कैल्शियम- दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, अंजीर आदि में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
    • विटामिन-डी- सूरज की रोशनी विटामिन-डी का सबसे अच्छा सोर्स है। इसके अलावा मछली, अंडे, दूध और कुछ अनाजों में भी विटामिन-डी पाया जाता है।
    • प्रोटीन- दालें, मांस, अंडे, दूध और सोयाबीन प्रोटीन के अच्छे सोर्स हैं
    • अन्य पोषक तत्व- मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन-के भी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।

    नियमित एक्सरसाइज

    • वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज- ये एक्सरसाइज हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
    • वॉकिंग, जॉगिंग, स्विमिंग- ये एक्सरसाइज हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
    • योग- योग हड्डियों को फ्लेक्सिबल बनाते हैं और बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं।

    हेल्दी लाइफस्टाइल

    • स्मोकिंग और शराब से परहेज- स्मोकिंगऔर शराब हड्डियों को कमजोर बनाते हैं।
    • स्ट्रेस मैनेजमेंट- तनाव हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है। योग, मेडिटेशन और अन्य तनाव कम करने वाली तकनीकें अपनाएं।
    • पूरी नींद- नींद सेहत को दुरुस्त रखने के लिए बेहद जरूरी है।

    नियमित हेल्थ चेकअप

    • बोन डेंसिटी टेस्ट- डॉक्टर आपकी हड्डियों की डेंसिटी को मापने के लिए यह टेस्ट कर सकते हैं।
    • दूसरे टेस्ट- अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जो ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकती हैं, उनकी जांच करवाएं।

    दवाएं

    • डॉक्टर की सलाह- अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्यादा है, तो डॉक्टर आपको कैल्शियम और विटामिन-डी की गोलियां या अन्य दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं।

    ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण

    आमतौर पर, ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते और फ्रैक्चर होने के बाद अक्सर इसका पता चलता है। हालांकि, कुछ लक्षण ऐसे हो सकते हैं-

    • हड्डियों में दर्द
    • कद में कमी
    • पोश्चर में बदलाव
    • हड्डियों का आसानी से टूटना (फ्रैक्चर)

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