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    Navratri 2025: व्रत में क्यों खाए जाते हैं समा के चावल... ब्लड शुगर पर कैसा पड़ता है इनका असर?

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 01:46 PM (IST)

    व्रत में समा के चावल कई लोग खाते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों चावल होते हुए भी इन्हें उपवास में खाने की मनाही नहीं होती? अगर नहीं तो यह आर्टिकल खास आपके लिए ही है। यहां हम बताएंगे कि क्यों व्रत के खानपान में इन्हें शामिल किया जाता है और समा के चावल ब्लड शुगर पर किस तरह का असर डालते हैं।

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    Navratri 2025: क्यों हर व्रत में खाए जाते हैं समा के चावल? (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र का पावन पर्व (Navratri 2025) शुरू हो चुका है और इन 9 दिनों में व्रत-उपवास का विशेष महत्व होता है। व्रत के दौरान शरीर को ऊर्जा और पोषण देने के लिए लोग कई तरह की चीजें खाते हैं, जिनमें से एक है समा के चावल (Samak Rice)। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर ये 'चावल' व्रत में क्यों खाए जाते हैं? क्या ये नॉर्मल चावल से अलग होते हैं? और सबसे जरूरी बात, क्या ये डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद हैं? आइए, इन सभी सवालों के जवाब इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    क्या होते हैं समा के चावल?

    समा के चावल, जिन्हें 'बार्नयार्ड मिलेट' (Barnyard Millet) या 'समा के चावल' भी कहा जाता है, असल में एक टाइप का मिलेट है। दरअसल, यह सामान्य चावल नहीं है। व्रत में इसे खाने की परंपरा सदियों पुरानी है, क्योंकि इसे अनाज नहीं माना जाता और यह हल्का होने के साथ-साथ पोषण से भरपूर होता है।

    व्रत में समा के चावल खाने के कारण

    • पोषण का खजाना: समा के चावल में सामान्य चावल की तुलना में ज्यादा फाइबर, प्रोटीन और माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स (जैसे कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम) होते हैं। यह व्रत के दौरान शरीर को कमजोर होने से बचाता है और एनर्जी बनाए रखता है।
    • पाचन में आसान: यह हल्का और सुपाच्य होता है। व्रत में जब पाचन तंत्र थोड़ा धीमा हो जाता है, तब इसे खाने से पेट पर अधिक भार नहीं पड़ता।
    • ग्लूटेन-फ्री: समा के चावल ग्लूटेन-फ्री होते हैं, जो उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है या जो ग्लूटेन-फ्री डाइट फॉलो करते हैं।

    ब्लड शुगर पर कैसा पड़ता है असर?

    यह सबसे जरूरी सवाल है, खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए। समा के चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) काफी कम होता है। इसका मतलब है कि यह धीरे-धीरे पचता है और शरीर में ग्लूकोज को धीरे-धीरे रिलीज करता है।

    • ब्लड शुगर कंट्रोल: कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ने नहीं देता।
    • इंसुलिन रिस्पॉन्स: यह शरीर में इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा होता है।

    सामान्य चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होता है, जिससे ब्लड शुगर में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। यही वजह है कि व्रत में समा के चावल को एक बेहतर विकल्प माना जाता है, खासकर डायबिटीज के रोगियों के लिए।

    समा के चावल के कुछ और फायदे

    • वजन घटाने में मददगार: इसमें कैलोरी कम और फाइबर ज्यादा होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख कम लगती है।
    • हड्डियों को मजबूती: इसमें कैल्शियम और फॉस्फोरस की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
    • पाचन तंत्र को हेल्दी रखें: फाइबर की भरपूर मात्रा के कारण यह कब्ज जैसी समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है।

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    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।