टेस्टी भी, ट्रेंडी भी! सावन में घेवर कैसे बना फेवरेट डिजर्ट? जानें इस देसी मिठाई की दिलचस्प कहानी
Ghevar dessert story सावन के पवित्र महीने में घेवर मिठाई का विशेष महत्व है। यह राजस्थान उत्तर प्रदेश और हरियाणा में खूब खाई जाती है खासकर तीज और रक्षाबंधन पर इसकी मांग और भी ज्यादा बढ़ जाती है। घेवर प्यार खुशहाली और एकता का प्रतीक मानी जाती है। नमी भरे मौसम में यह मिठाई खराब नहीं होती बल्कि इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Ghevar dessert story: इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है। ये महीना शुरू होते ही बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। एक ओर जहां पूजा की दुकानें सजी होती हैं, ताे वहीं दूसरी ओर एक खास मिठाई की खुशबू और रंगत हर तरफ बिखर जाती है। वाे मिठाई और कोई नहीं बल्कि घेवर है। हल्के पीले रंग की ये कुरकुरी मिठाई खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में सावन के दौरान खूब खाई जाती है।
तीज और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों में तो इसकी मांग और भी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन क्या कभी ये आपने सोचा है कि सावन में ही घेवर क्यों खाया जाता है? क्या इसकी कोई धार्मिक या सांस्कृतिक वजह है? तो हम आपको बता दें कि घेवर सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि परंपरा से जुड़ा स्वाद है। बरसात में बनने वाली ये मिठाई (Sawan special sweets) खास तरह से तैयार की जाती है। दरअसल घी, मैदा और चीनी की मदद से एक जालीदार मिठाई बनाई जाती है।
प्यार का प्रतीक है घेवर
कहा जाता है कि सावन में बहनों को तीज पर मायके से जो सिंजारा भेजा जाता है, उसमें घेवर को जरूर शामिल किया जाता है। ये मिठाई प्यार, खुशहाली और एकता का प्रतीक मानी जाती है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि सावन में घेवर क्यों खाया जाता है और साथ ही इस मिठाई के इतिहास के बारे में भी जानेंगे।
सावन में ही क्यों खाते हैं घेवर?
आपको बता दें कि मानसून शुरू होते ही मौसम में नमी बढ़ जाती है। आमतौर पर मिठाइयां नमी के कारण खराब हो जाती हैं। लेकिन घेवर ही एक ऐसी मिठाई है, जिसका नमी से स्वाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है। दरअसल, इस मौसम में ज्यादा नमी होने के कारण घेवर बनाने में भी मदद मिलती है। नमी के कारण घेवर मुलायम बना रहता है। इसके अलावा इसे खाने से सेहत को कई फायदे भी मिलते हैं।
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घेवर हमारे शरीर में फैट को संतुलित करती है। साथ ही ये हमारे शरीर की ड्राईनेस को कम करती है। घी से बनी ये मिठाई कोलेस्ट्रोल लेवल को भी कंट्रोल रखती है।
क्या है इसका इतिहास?
घेवर का इतिहास (Ghevar history) बेहद पुराना है। कुछ लोगों का मानना है कि घेवर भी पर्शिया से मुगलों के साथ भारत पहुंची थी। लेकिन इसे लेकर कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाया है। वहीं दूसरी ओर कहा जाता है कि घेवर एक भारतीय मिठाई ही है। इसकी उत्पत्ति राजस्थान से हुई थी। घेवर सबसे पहले राजस्थान के सांभर में बनती थी। उस दौरान आमेर के राजा तीज त्योहारों पर सांभर से घेवर मंगवाया करते थे। 1727 के बाद से घेवर को लोकप्रियता हासिल हुई।
कितने तरह के होते हैं घेवर?
आज के समय में घेवर को कई फ्लेवर में बनाया जाने लगा है। हालांकि पांच फ्लेवर के घेवर आपको हर जगह मिल जाएंगे। इनमें मीठा, फीका, मावा, सादा और चॉकलेटी घेवर शामिल है। इसे अलग-अलग वैरायटी और अलग-अलग साइज में बनाकर तैयार किया जाता हैं।
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