Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    History of Ghevar: घेवर के बिना अधूरा माना जाता है राखी का त्योहार, जानें क्या है इसका इतिहास

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Thu, 24 Aug 2023 08:59 AM (IST)

    भारत में कई ऐसी मिठाइयां मिलती हैं जो अपने स्वाद के लिए काफी पसंद की जाती हैं। घेवर इन्हीं में से एक है जिसके बिना राखी का त्योहार अधूरा माना जाता है। इसे मानसून में खाने का अपना अलग महत्व है। घी से बनी यह मिठाई कई लोगों की पसंदीदा मिठाई है। कुछ ही दिनों में राखी आने वाली है। इस मौके पर जानते हैं इस मिठाई का इतिहास-

    Hero Image
    घेवर के बिना अधूरा है राखी का त्योहार

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। History of Ghevar: भारत अपने खानपान और स्वाद के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां की संस्कृति और परंपरा हमेशा से ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती रही है। यहां कई सारे ऐसे व्यंजन मौजूद हैं, जो दुनियाभर में काफी पसंद किए जाते हैं। यहां हर राज्य की अपनी अलग बोली, पहनावा और खानपान है। खाने का तीखा, चटपटा और मीठा स्वाद यहां के पकवानों की खासियत है। यहां कई सारे ऐसे पकवान हैं, जो किसी खास त्योहार या अवसर पर बनाएं जाते हैं। घेवर इन्हीं व्यंजनों में से एक है, जो खासतौर सावन के मौसम में खाया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कुछ ही दिनों में राखी का त्योहार आने वाला है। घेवर का इस त्योहार में खास महत्व होता है। देसी घी में बने इसे व्यंजन का स्वाद और सुंगध लोगों को दीवाना कर देती है। आइए इस खास मौके पर जानते हैं क्या है इस व्यंजन का इतिहास।

    इन त्योहारों में इसका महत्व

    खासतौर पर राजस्थान में मशहूर इस व्यंजन के बिना तीज और रक्षाबंधन का त्योहार अधूरा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि महिलाएं इन त्योहारों पर इस मिठाई को अपने मायके लेकर जाती हैं। घेवर को राजस्थान और ब्रज क्षेत्रों की प्रमुख पारंपरिक मिठाई माना जाता है। वहीं, बात करें इसके इतिहास की, तो घेवर की उत्पत्ति को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इसके आविष्कार को लेकर कई सारी कहानियां प्रचलित हैं।

    कैसे हुई घेवर की उत्पत्ति

    ऐसा माना जाता है कि घेवर भारत में पर्शिया से आया था, लेकिन इसकी भी कोई पुष्ट जानकारी नहीं है। वहीं, राजस्थान के कुछ मिठाई वाले इसे ईरान की एक मिठाई से प्रेरित व्यंजन बताते हैं। इम्युनिटी बूस्टर कही जाने वाली यह मिठाई देखने में बिल्कुल मधुमक्खी के छत्ते की नजर आती है। यही वजह है कि इसे इंग्लिश में हनीकॉम्ब डेटर्ट के नाम से जाना जाता है। इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर यह मिठाई खासतौर पर सावन में इसलिए खाई जाती है, ताकि यह शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देता है।

    मानसून में क्यों खाया जाता है घेवर

    घी से बनने वाली यह डिश खासतौर पर मानसून में खाई जाती है। इसके पीछे बेहद खास वजह है। दरअसल, बरसात के मौसम में अक्सर वात और पित्त की शिकायत हो जाती है। साथ ही इस मौसम में शरीर मे सूखापन या एसिडिटी हो जाती है, जिससे थकान और बेचैनी होने लगती है। ऐसे में घी से बनी यह मिठाई शरीर में फैट संतुलित कर शरीर की ड्राईनेस को कम करती है। साथ ही घी में बनी होनी की वजह से बॉडी का कोलेस्ट्रोल भी कंट्रोल रहता है।

    ऐसे बनता है घेवर

    देश के कई हिस्सों में घेवर को बड़े शौक से खाया जाता है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता की वजह से यह कई सारे फ्लेवर्स मिलता है। आमतौर पर इसे मैदे और अरारोट के घोल से तरह-तरह के सांचों में डालकर बनाया जाता है। हालांकि, बदलते समय के साथ ही इसे बनाने के तरीकों में भी बदलाव आ गया। इन दिनों बाजार में मावा घेवर, मलाई घेवर और पनीर घेवर जैसे इसके कई प्रकार मिलते हैं। इसे आज भी चाशनी में डूबोकर रबड़ी और सूखे मेवों से गार्निश कर खाया जाता है।

    Picture Courtesy: Freepik