साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? हर कोई नहीं जानता 14 सितंबर और 10 जनवरी का फर्क
हम सभी जानते हैं कि हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक और हिंदी दिवस भी मनाया जाता है? जी हां साल में दो बार हिंदी से जुड़े खास दिन होते हैं और दोनों का अपना अलग महत्व है। आइए इस आर्टिकल में इन दोनों दिनों के बीच का अंतर समझते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की पहचान उसकी विविधता और संस्कृति में बसती है। अलग-अलग भाषाओं, बोलियों और परंपराओं के बीच हिंदी वह धागा है, जो पूरे देश को एक सूत्र में बांधती है। हिंदी के महत्व और उसकी उपयोगिता को दर्शाने के लिए हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन बहुत से लोग यह जानकर चौंक जाते हैं कि हिंदी दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि दो अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। तो आखिर ऐसा क्यों है? 10 जनवरी और 14 सितंबर दोनों ही दिनों को हिंदी से जोड़कर क्यों खास बनाया गया? आइए इस रोचक तथ्य को विस्तार से समझते हैं।
कब और क्यों मनाए जाते हैं हिंदी दिवस?
हिंदी दिवस साल में दो बार मनाया जाता है:
- 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस
- 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस
दोनों का उद्देश्य एक ही है- हिंदी का प्रचार और प्रसार, लेकिन इनकी पृष्ठभूमि और महत्व अलग-अलग हैं।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास
14 सितंबर 1949 का दिन भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को देवनागरी लिपि के साथ भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। यह स्वतंत्र भारत के लिए अपनी भाषा को सम्मान और पहचान दिलाने का पहला बड़ा कदम था।
इसके बाद 1953 से इस दिन को औपचारिक रूप से राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हर साल यह दिन हमें याद दिलाता है कि मातृभाषा में सोचने, लिखने और गर्व महसूस करने से ही हमारी सांस्कृतिक जड़ें मजबूत होती हैं।
विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत
राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की पहल भी की गई। इसी दिशा में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में चुना गया। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 1975 में इसी दिन नागपुर में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित हुआ था। बाद में 2006 से हर साल इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
आज न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या करोड़ों में है। ऐसे में, विश्व हिंदी दिवस का मकसद है हिंदी को एक वैश्विक आवाज बनाना और विदेशों में भी उसकी पहुंच को मजबूत करना।
हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, साहित्य और एकता की आत्मा है। यह वह कड़ी है जो भारत की विभिन्न परंपराओं और प्रांतों को जोड़ती है।
हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि पहचान और गौरव का प्रतीक भी है। आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।
चाहे 14 सितंबर हो या 10 जनवरी, दोनों ही दिन हमें यह याद दिलाते हैं कि हिंदी हमारी जड़ों से जुड़ी ताकत है। राष्ट्रीय स्तर पर यह हमारी राजभाषा का सम्मान है और वैश्विक मंच पर यह भारतीय पहचान की आवाज है।
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