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    Sawan 2025: सिर्फ आस्था नहीं, विज्ञान के लिहाज से भी बेहद खास है सावन का महीना! जानें कैसे

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 07:01 PM (IST)

    शिव भक्तों के लिए सावन का महीना (Sawan 2025) किसी त्योहार से कम नहीं होता है। माना जाता है कि इस पूरे महीने भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से जीवन के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन का महत्व सिर्फ पूजा-पाठ तक ही सीमित नहीं है? जी हां इसके पीछे कई गहरे वैज्ञानिक कारण (Sawan Scientific Reasons) भी छिपे हैं।

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    Sawan 2025: क्यों वैज्ञानिक भी मानते हैं इस महीने को 'खास' (Image Source: Jagran)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Sawan 2025: हर साल जब सावन का महीना आता है, तो एक अलग ही उमंग और आस्था का माहौल बन जाता है। चारों ओर हरियाली छा जाती है, हवा में मिट्टी की सौंधी खुशबू घुल जाती है और शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है।

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    बता दें, सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और इस दौरान पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन का महीना सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक नजर से भी कितना जरूरी है (Sawan Month Scientific Reasons)? आइए जानते हैं कैसे।

    सावन महीने का वैज्ञानिक महत्व (Sawan Month Significance)

    प्रकृति का कायाकल्प

    सावन आते ही प्रकृति अपने चरम पर होती है। लगातार बारिश से धूल और प्रदूषण नीचे बैठ जाता है, हवा में ताजगी और शुद्धता बढ़ जाती है। पेड़-पौधे खूब हरे-भरे होते हैं और ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हमारे आसपास की हवा सांस लेने के लिए और भी बेहतर हो जाती है। यह शुद्ध वातावरण हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है।

    शरीर और मौसम की जुगलबंदी

    इस समय वातावरण में नमी बहुत बढ़ जाती है, जिससे पाचन क्रिया थोड़ी धीमी हो सकती है। यही वजह है कि हमारे पूर्वजों ने इस दौरान हल्के और आसानी से पचने वाले भोजन पर जोर दिया। व्रत रखना और फलाहार करना शरीर को अंदर से साफ करने और पाचन तंत्र को आराम देने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इससे शरीर बदलते मौसम के अनुकूल खुद को ढाल पाता है।

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    बीमारियों से बचाव का समय

    मानसून में अक्सर पानी से जुड़ी बीमारियां बढ़ने का खतरा रहता है। सावन में कई लोग पानी उबालकर पीने या खास तरह की चीजें खाने पर जोर देते हैं। यह असल में पानी से होने वाली बीमारियों से बचने का एक प्राचीन तरीका है। मंदिरों में अक्सर तुलसी का इस्तेमाल और गंगाजल का महत्व भी पानी को शुद्ध रखने और उसके औषधीय गुणों को बढ़ाने से जुड़ा है।

    मानसिक शांति का सीधा रास्ता

    हरी-भरी प्रकृति, ठंडी हवा और बारिश की बूंदें मानसिक शांति के लिए किसी दवा से कम नहीं हैं। सावन का महीना हमें प्रकृति के करीब आने का मौका देता है। ध्यान, पूजा-पाठ और भक्तिमय माहौल तनाव को कम करने और मन को शांत रखने में मदद करता है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि प्रकृति के बीच समय बिताने से हमारा मूड बेहतर होता है और चिंता कम होती है।

    जल संरक्षण का प्राकृतिक चक्र

    सावन की बारिश सिर्फ धरती को हरा-भरा ही नहीं करती, बल्कि यह भूजल स्तर को रिचार्ज करने का भी जरूरी समय है। नदियों, तालाबों और कुओं में पानी भर जाता है। यह प्राकृतिक रूप से जल संरक्षण का एक बड़ा चक्र है, जो भीषण गर्मी के बाद धरती को पानी से भर देता है।

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