Independence Day 2025: भारत की आजादी के लिए क्यों चुनी गई थी 15 अगस्त की तारीख? पढ़ें असल वजह
हर साल 15 August को हम सब बड़े गर्व और उत्साह के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। लाल किले पर तिरंगा लहराता है और पूरा देश देशभक्ति के रंग में डूब जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी थी? क्या इसके पीछे कोई खास वजह थी? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब भी 15 August का दिन आता है, तो हम सब में देशभक्ति की भावना जाग उठती है। लाल किले से प्रधानमंत्री का भाषण, चारों तरफ तिरंगे झंडे और देश के लिए कुर्बान हुए वीरों की याद... यह सब हमारे दिल को छू जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई? आखिर क्या वजह थी कि हमें 14 या 16 अगस्त नहीं, बल्कि यही दिन मिला (India's Independence Day Date Reason)? आइए जानते हैं।
आजादी की तय तारीख बदलने की कहानी
दरअसल, शुरुआत में ब्रिटिश सरकार ने भारत को 30 जून 1948 तक स्वतंत्र करने की योजना बनाई थी, लेकिन उस समय हालात बेहद तनावपूर्ण थे। देश के विभाजन को लेकर राजनीतिक टकराव बढ़ चुका था और सांप्रदायिक हिंसा का खतरा मंडरा रहा था। ऐसे माहौल में ब्रिटेन के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने तय किया कि भारत को निर्धारित समय से पहले आजादी दी जाए, ताकि हालात काबू में रह सकें।
इसी निर्णय के तहत 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में Indian Independence Bill पेश हुआ और उसे मंजूरी मिलते ही 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता की तारीख घोषित कर दिया गया।
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क्यों चुना गया 15 अगस्त का दिन?
यह तारीख महज संयोग नहीं थी। लॉर्ड माउंटबेटन के लिए 15 अगस्त एक बेहद अहम दिन था। 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ था, जब जापान ने औपचारिक रूप से मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण किया था। उस समय माउंटबेटन मित्र देशों की सेना में एक महत्वपूर्ण पद पर थे और इस विजय का श्रेय उन्हें भी मिला। यही वजह थी कि उन्होंने भारत की आजादी के लिए इसी तारीख को चुना, ताकि यह दिन उनके लिए दोहरी ऐतिहासिक याद बन जाए।
समारोह में गांधीजी क्यों नहीं थे मौजूद?
जब 15 अगस्त 1947 को दिल्ली में स्वतंत्रता का भव्य कार्यक्रम आयोजित हो रहा था, उस समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी वहां मौजूद नहीं थे। वे उस दिन बंगाल में दंगों को शांत कराने में लगे थे। गांधीजी का मानना था कि असली आज़ादी तभी होगी जब हिंदू-मुस्लिमों में भाईचारा कायम हो। उन्होंने साफ कहा था कि उन्हें विभाजन के साथ मिली आजादी में खुशी नहीं है, क्योंकि इसमें भविष्य के संघर्ष की आशंका छिपी है।
हर साल का प्रेरणादायक दिन
आज, दशकों बाद भी 15 अगस्त केवल स्वतंत्रता दिवस नहीं, बल्कि हमारी एकता, संघर्ष और बलिदान की याद दिलाने वाला दिन है। यह वह तारीख है जो हमें सिखाती है कि कठिन से कठिन हालात में भी सही फैसले और एकजुटता से बदलाव संभव है।
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