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    Holi 2024: होला मोहल्ला से लेकर फगुआ तक, देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है होली

    Updated: Sun, 24 Mar 2024 07:09 AM (IST)

    हर कोई बेसब्री से होली (Holi 2024) का इंतजार कर रहा है। रंगों का यह त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस साल 25 मार्च को यह पर्व सेलिब्रेट किया जाएगा। इस पर्व की धूम पूरे देश में देखने को मिलती है और इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

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    भारत में मनाई जाने वाली अलग अलग तरह की होली

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में होली (Holi 2024) की रौनक देखने को मिल रही है। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म के सबसे बड़े और अहम पर्व में से एक है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। पूरे देश में होली का जश्न धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा। इसे लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में न सिर्फ इसकी धूम देखने को मिलती है, बल्कि इसे मनाने का तरीका भी काफी अलग होता है।

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    होली को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है और इसका नाम भी काफी अलग होता है। ऐसे में रंगों के इस त्योहार के मौके पर आइए जानते हैं देश में मनाई जाने वाली विभिन्न तरक की होली के बारे में-

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    वृंदावन की फूलों की होली

    श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है। हर साल फूलेरा दूज से यहां होली का जश्न शुरू हो जाता है। हालांकि, यहां रंगों और पानी की जगह फूलों से होली खेली जाती है। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के पुजारी मंदिर का पट खोलते ही भक्तों पर फूलों की वर्षा करते हैं और इस तरह लोग फूलों का होली का आनंद लेते हैं।

    बरसाना की लट्ठमार होली

    उत्तर प्रदेश के बरसाना में होने वाली लट्ठमार होली दुनियाभर में काफी मशहूर है। बरसाना के अलावा यह वृंदावन, मथुरा और नंदगांव में भी खेली जाती है। रंगों की जगह लाठी से खेली जाने वाली यह होली राधा-कृष्ण के समय से चली आ रही है। दरअसल, इस होली में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, इसलिए इसे लट्ठमार होली कहा जाता है।

    कुमाऊं (उत्तराखंड) की खड़ी होली

    उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में खेली जाने वाली होली को खड़ी होली के नाम से जाना जाता है, जो भारत की एक और प्रचलित होली है। होली का जश्न मनाते हुए स्थानीय लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर खारी गीत गाते हुए समूहों में नृत्य करते हैं।

    पंजाब की होला मोहल्ला

    पंजाब में होली पर्व को होला मोहल्ला के रूप में मनाया जाता है। खासतौर पर निहंग सिखों द्वारा मनाई जाने वाली यह होली एक तरह की योद्धा होली होती है। आमतौर पर होली के एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व के दौरान लोग मार्शल आर्ट का प्रदर्शन करते हुए अपने दिल की बातें बताते हैं।

    बिहार की फगुआ

    होली के रंगीन पर्व को बिहार में भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां इस त्योहार को स्थानीय बोली में फगुआ कहा जाता है। इस पर्व को मनाने से पहले यहां भी होलिक दहन जरूरी माना जाता है। बिहार में लोकगीतों, पानी और रंगों के साथ होली मनाई जाती है।

    पश्चिम बंगाल की डोल जात्रा

    पश्चिम बंगाल में होली को 'डोल जात्रा' के नाम से जाना जाता है। इस मौके पर लोग कृष्ण-राधा की मूर्तियों को पालकी पर रख गुलाल से खेलते हैं। साथ ही लोग अपने से बड़ों के पैरों पर रंग लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। इतना ही नहीं इस दिन लोग केसरिया रंग के कपड़े पहनकर गाते और नाचते हैं।

    असम की फकुवा

    असम में होली के त्योहार को फकुवा के रूप में मनाया जाता है। यह काफी हद तक बंगाल के 'डोल जात्रा' की ही तरह होता है। इस त्योहार को यहां पर दो दिनों के लिए मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन की कथा के बाद मिट्टी की झोपड़ियों को जलाया जाता है और दूसरे दिन लोग रंगों के साथ फकुवा मनाते हैं।

    हिमाचल प्रदेश की सांगला होली

    हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में मौजूद सांगला घाटी अपनी खास होली के लिए मशहूर है। बसपा नदी के तट पर स्थित इस घाटी को बसपा घाटी के नाम से भी जाना जाता है। सांगला होली के दौान यह पूरी घाटी रंगों से रंगी नजर आती है। रंगों के साथ ही इस त्योहार को संगीत, नुक्कड़ नाटक और नृत्य के मनाया जाता है।

    मध्य प्रदेश की रंग पंचमी

    मध्य प्रदेश में भी होली को अलग तरीके से मनाया जाता है। यहां होली को रंग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार होलिका दहन के 5वें दिन रंग उत्सव मनाया जाता है, इसलिए इसे रंग पंचमी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के अलावा इसे महाराष्ट्र में भी मनाया जाता है।

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    Picture Courtesy: Freepik

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