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    'गुड़ी' के बि‍ना अधूरा है Gudi Padwa का त्‍योहार, यहां जानें इसकी खास परंपराएं और पकवानों का महत्‍व

    Updated: Sat, 29 Mar 2025 03:52 PM (IST)

    चैत्र महीने की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष के साथ-साथ मराठी नववर्ष की भी शुरुआत होती है। इसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं और अनुष्ठान हैं। आज हम आपको गुड़ी पड़वा से जुड़े रीत‍ि-र‍िवाजों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    क्‍या है गुड़ी पड़वा से जुड़ी मान्‍यताएं।

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) महाराष्ट्र के अहम त्योहारों में से एक है। ये चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा त‍िथ‍ि को मनाया जाता है। इस साल यह 30 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन नववर्ष की शुरुआत होती है और लोग नए सपनों, आशाओं और उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाते हैं। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन और नई शुरुआत का प्रतीक होता है।

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    गुड़ी पड़वा के दिन घरों में खास पकवान बनाए जाते हैं। महाराष्‍ट्र में और भी रस्‍में होती हैं। कुल म‍िलाकर ये त्‍योहार समृद्ध‍ि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। आज हम आपको अपने इस लेख में महाराष्‍ट्र में मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा से जुड़ी परंपराओं और रीत‍ि-रि‍वाजों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं व‍िस्तार से-

    समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है गुड़ी बनाना

    गुड़ी पड़वा की सबसे खास परंपरा ‘गुड़ी’ बनाने की होती है। इसे घर के दरवाजे या खिड़की पर लगाया जाता है। इसे बनाने के ल‍िए लकड़ी या बांस की छड़ी ली जाती है। इसके ऊपरी सिरे पर तांबे या चांदी का कलश उल्टा रख दिया जाता है। इसके बाद इस पर चमकदार बॉर्डर वाली धोती या साड़ी बांधी जाती है। इसे नीम या आम के पत्तों और फूलों की माला से सजाया जाता है।

    हालांक‍ि कुछ लोग गुड़ और शक्कर की माला भी लगाते हैं। गुड़ी को लगाने का धार्मिक महत्व यह है कि यह बुरी शक्तियों को दूर करता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है। यही कारण है क‍ि महाराष्‍ट्र के सभी घरों में गुड़ी लगाई जाती है।

    घर की सफाई और रंगोली बनाना

    गुड़ी पड़वा से पहले घर की साफ-सफाई करना बेहद जरूरी होता है। इसके बाद घर को सजाया जाता है। वहीं घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली बनाए जाने की भी परंपरा है। यह रंग-बिरंगे पाउडर से बनाई जाती है और इसके जरिए परिवार में खुशहाली की कामना की जाती है।

    बांटा जाता है नीम और गुड़ का प्रसाद

    पूजा के बाद सबसे पहले नीम की पत्तियां और गुड़ मिलाकर लोगों में प्रसाद का व‍ितरण क‍िया जाता है। इसे सभी को खाना होता है। ये सेहत के ल‍िहाज से भी बेहद अच्‍छा माना जाता है। कहते हैं क‍ि इसे खाने से इम्‍युन‍िटी स्‍ट्रॉन्‍ग होती है। कुछ लोग इसमें धनिया और इमली भी मिलाते हैं, जिससे इसका स्वाद और पौष्टिकता बढ़ जाती है। यह जीवन में मीठे और कड़वे अनुभवों का संतुलन बनाए रखने का प्रतीक भी माना जाता है।

    पारंपरिक मराठी व्यंजन बनाना भी जरूरी

    गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र में पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें पूरन पोली, खड़ी शक्‍कर, श्रीखंड, पूड़ी, साबूदाना वड़ा शाम‍िल होता है। पूरन पोली को मीठे चने की दाल से भरी रोटी भी कहा जा सकता है। वहीं श्रीखंड ज‍िसे दही से बनाया जाता है। इसी से पूड़ी खाई जाती है। इन पकवानों के साथ परिवार के लोग मिलकर इस खास दिन का आनंद लेते हैं।

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