Gudi Padwa 2025: 29 या 30 मार्च कब है गुड़ी पड़वा? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन
पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष के साथ-साथ मराठी नववर्ष की भी शुरुआत होती है जिसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र कर्नाटक गोवा और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं और अनुष्ठान हैं तो आइए यहां इसकी (Gudi Padwa 2025) सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुड़ी पड़वा भारत के महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) 30 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की कन्फ्यूजन बनी हुई है, तो आइए इस आर्टिकल में आपकी सभी कन्फ्यूजन को दूर करते हैं।
गुड़ी पड़वा का धार्मिक महत्व (Gudi Padwa 2025 Significance)
गुड़ी पड़वा को मराठी नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और उन्हें रंगोली और फूलों से सजाते हैं। साथ ही नए कपड़े पहनते हैं और पारंपरिक भोजन बनाते हैं। गुड़ी पड़वा के दिन लोग गुड़ी नामक एक विशेष ध्वज भी फहराते हैं, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक है।
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि (Gudi Padwa 2025 Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए कपड़े पहनें। अपने घरों को साफ करें और उन्हें रंगोली और फूलों से सजाएं। घर के आगे एक झंडा यानी गुड़ी लगाएं। गुड़ी को घर के मुख्य द्वार या फिर छत पर लगाया जाता है। इस दिन लोग पारंपरिक भोजन भी बनाते हैं जैसे - श्रीखंड, पूरन पोली और साबुदाना वड़ा आदि। इसके साथ ही लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस दिन का आनंद लेते हैं और एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं।
29 या 30 मार्च कब है गुड़ी पड़वा? (Gudi Padwa 2025 Date Or Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसलिए 30 मार्च को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा।
गुड़ी पड़वा के विशेष अनुष्ठान
गुड़ी पड़वा के दिन लोग कई तरह के अनुष्ठान करते हैं। सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं। साथ ही अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं और उनका तर्पण व पिंडदान करते हैं। इस दिन दान का भी खास महत्व है। ऐसे में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े का दान करें।
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