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    Chaitra Navratri 2025: इस शुभ समय में करें कलश स्थापना, जानें माता रानी का प्रिय भोग और पूजन नियम

    Updated: Fri, 21 Mar 2025 11:04 AM (IST)

    चैत्र नवरात्र का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा की पूजा होती है। माना जाता है कि इस अवधि में माता रानी की पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस साल चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri Kalash Sthapana 2025) 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं तो आइए देवी की विशेष कृपा पाने के लिए पूजा से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

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    Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह महापर्व दुर्गा माता के नौ रूपों को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दौरान माता रानी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही परिवार में खुशहाली बनी रहती है। पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं, जब यह पर्व (Chaitra Navratri 2025) इतना करीब है, तो आइए इसकी संपूर्ण जानकारी यहां पर जानते हैं, जो इस प्रकार है।

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    माता रानी के प्रिय भोग (Chaitra Navratri 2025 Bhog)

    • ऋतु फल
    • बताशे
    • खीर
    • हलवा
    • पूरी-चना

    देवी पूजा मंत्र (Chaitra Navratri 2025 Mantra)

    • "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।"
    • "सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।"

    कलश स्थापना मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Kalash Sthapana Samay )

    हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च, 2025 को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से होगी।

    इसके साथ ही पहला कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

    वहीं, दूसरा कलश स्थापना का समय अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस समय आप अपनी पूजा-पाठ और घट स्थापना कर सकते हैं।

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    पूजा विधि (Chaitra Navratri 2025 Puja Vidhi)

    • सबसे पहले पूजा घर को साफ करें और एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
    • मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
    • एक कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें।
    • कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें।
    • कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रखें।
    • देवी दुर्गा का आह्वान करें और नौ दिनों तक उनकी विधिपूर्वक पूजा करें।
    • इस दौरान भक्त नौ दिनों तक उपवास रखें।
    • देवी दुर्गा की प्रतिदिन सुबह और शाम आरती करें।
    • कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराएं।
    • इस दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
    • घर में स्वच्छता बनाए रखें और किसी से विवाद न करें।
    • इस दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।