Ganesh Chaturthi 2025: गणपति के स्वरूप में छिपा है जीवन जीने का मंत्र, क्या संदेश देता है उनका रूप
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) का त्योहार 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन से अगले दस दिनों तक पूरे देश में गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई देगी। गणपति बुद्धि के देवता हैं विघ्नहर्ता हैं जिनका सिर हाथी का और शरीर मनुष्य का है। लेकिन क्या आप जानते हैं गणेश जी का स्वरूप हमें क्या सिखाता है?
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन से अगले 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान पूरा देश भक्ति के रंग में रंग जाता है। जगह-जगह सजे गणपति पंडालों की भव्यता और जोश देखते ही बनता है।
भगवान गणेश का सिर हाथी का है और शरीर इंसान का। इनके इस खास स्वरूप के पीछे वैसे तो बेहद दिलचस्प कहानी है, लेकिन इनका ये स्वरूप हमें कई सीख भी देता है। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि का देवता माना जाता है, अपने स्वरूप (Lord Ganesha Appearance) से कई ऐसी गूढ़ बातें सिखाते हैं, जिन्हें अगर हम अपने जीवन में उतार लें, तो हमारी जिंदगी भी आसान बन जाएगी। आइए जानें गणेश जी के स्वरूप से क्या-क्या बातें सीखने को मिलती हैं।
विशाल पेट- सारी अच्छाइयों-बुराइयों को पचा जाने की क्षमता
गणेश जी का बड़ा पेट उनकी सहनशीलता और सभी बातों को 'पचा' लेने की क्षमता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में सुख-दुःख, सफलता-विफलता, प्रशंसा-आलोचना सब आते रहेंगे। एक विवेकवान व्यक्ति का काम है इन सभी बातों से सीख लेना और जीवन में आगे बढ़ना। बड़ा पेट एक सीख यह भी देता है कि हमें किसी की चुगली नहीं करनी चाहिए। हर किसी को बात को हमें पचा लेना चाहिए और एक व्यक्ति की बात दूसरे से नहीं कहनी चाहिए।
लंबी और नर्म सूंड- विवेक और लचीलेपन का महत्व
गणेश जी की सूंड बेहद शक्तिशाली भी है और बेहद नर्म भी। वह एक विशाल वृक्ष को उखाड़ सकती है और एक सूई भी उठा सकती है। यह हमारे 'विवेक' का प्रतीक है। जीवन में सफलता के लिए यह जरूरी है कि हमारी बुद्धि इतनी पैनी और संवेदनशील हो कि छोटी-से-छोटी बात को समझ सके और इतनी शक्तिशाली भी हो कि बड़े-से-बड़े संकट का सामना कर सके। सूंड का लचीलापा हमें यह सीख देता है कि परिस्थितियों के अनुसार ढलना ही बुद्धिमानी है। जिद्दी और कठोर रवैया अक्सर समस्याएं खड़ी करता है, जबकि लचीला और विवेकपूर्ण व्यवहार हर समस्या का हल निकाल लेता है।
बड़े कान- सुनने की कला और सुझाव ग्रहण करना
गणेश जी के बड़े-बड़े कान सुनने के महत्व को दर्शाते हैं। यह संदेश है कि ज्ञान हासिल करने के लिए हमें ज्यादा सुनना चाहिए और कम बोलना चाहिए। बड़े कान दुनिया की सभी बातों – अच्छी और बुरी को सुनने की क्षमता रखते हैं, लेकिन उन्हें ग्रहण करने का काम विवेक करता है। यह हमें सिखाता है कि हमें दूसरों की बातों को धैर्यपूर्वक सुनना चाहिए, चाहे वह प्रशंसा हो या आलोचना। इससे न केवल ज्ञान बढ़ता है, बल्कि फैसला लेने की क्षमता भी विकसित होती है।
टूटे हुए दांत- अच्छाई को समेटकर रखना
गणेश जी के टूटे हुए दांत इस बात का प्रतीक हैं कि जीवन में जो भी अच्छा है, उसे सहेजकर रखें और जो बुरा है या आपके काम का नहीं है, उसे जाने देना चाहिए। साथ ही, इससे यह भी सीख मिलती है कि हमें हमारी सभी अच्छाइयों और खामियों को स्वीकार करना चाहिए।
छोटी आंखें- सूक्ष्मता पर ध्यान
गणेश जी आंखें बेहद छोटी होती हैं। ये हमें संदेश देती हैं कि जीवन की छोटी-छोटी बातों पर हमें गौर करना चाहिए और उनसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए। जरूरी नहीं कि हर चीज हमें बोलकर सिखाई जाए। कुछ चीजें हमें दूसरों में देखकर भी सीखनी चाहिए। यहीं जीवन में आगे बढ़ने का मंत्र है।
बड़ा सिर- बुद्धि का प्रतीक
गणेश जी को बुद्धि का देवता कहा जाता है। माना जाता है कि वे सबसे विवेकवान और ज्ञानी हैं। इसका प्रतीक उनका सिर है। गणेश जी का विशाल सिर बुद्धिमानी, गहरी सोच और ज्ञान का प्रतीक है। इससे हमें सीख मिती है कि हमें जीवन में जहां से भी मिले, ज्ञान बटोरते रहना चाहिए।
गणेश जी का स्वरूप अगर कम शब्दों में बताएं तो यह सीख देता है कि बड़े कानों से सब कुछ सुनो, विवेक से उसका विश्लेषण करो, अच्छे-बुरे सभी अनुभवों को पेट में समेट लो और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहो। यही भगवान गणेश के स्वरूप का मुख्य संदेश है।
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