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    थ्रेडिंग या वैक्सिंग? आइब्रो बनवाने के लिए कौन-सा तरीका है बेस्ट और क्यों? यहां जानें

    आइब्रो बनवाना काेई मुश्किल काम नहीं होता है। हां बस इसे बनवाने में थोड़ी जलन की समस्‍या हो सकती है। कई लोग आइब्रो थ्रेड से बनवाते हैं तो कुछ लोग वैक्‍स‍िंग कराना पसंद करते हैं। हालांक‍ि ये दोनों तरीके आपकी स्किन बालों की मोटाई और पर्सनल कम्फर्ट पर निर्भर करते हैं। लेकिन ये क‍िसी प्रोफेशनल से कराना ही बेहतर होगा।

    By Vrinda Srivastava Edited By: Vrinda Srivastava Updated: Sun, 20 Apr 2025 01:57 PM (IST)
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    आइब्रो करवाने के ल‍िए कौन सा तरीका बेस्‍ट? (Image Credit- Freepik)

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। खूबसूरती बढ़ाने में हमारी आंखें अहम रोल प्‍ले करती हैं। अगर पलकें भारी हाें ताे सुंदरता चार गुना ज्‍यादा बढ़ जाती हैं। आइब्रो की बात करें ताे ये शेप में हों तो ही अच्‍छी लगती हैं। सही शेप में बनाई गई आइब्रो चेहरे को बैलेंस कर देती है। हालांक‍ि इन्‍हें बनवाना भी आसान कहां है। यकीनन धागे से अपनी आंखों के ऊपर के बाल निकलवाना आसान नहीं होता है। हालांक‍ि खूबसूरती चाह‍िए तो इतना तो करना ही पड़ता है। परफेक्ट शेप वाली आइब्रो आपके चेहरे को अलग ही लुक देती है।

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    आपने पार्लरों में देखा होगा क‍ि कई लड़क‍ियां थ्रेड से आइब्रो बनवाती हैं। तो कुछ वैक्‍स से शेप द‍िलवाती हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है क‍ि आख‍िर कौन सा तरीका बेस्‍ट है। हालांक‍ि ये दोनों ही तरीके आज के समय में ज्‍यादा पॉपुलर हो रहे हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे क‍ि आइब्रो बनवाने के ल‍िए कौन सा तरीका बेस्‍ट होता है। आइए जानते हैं व‍िस्‍तार से-

    थ्रेड‍िंग करवाने के फायदे

    थ्रेडिंग यानी धागे से आइब्रो के बाल निकलवाना। इंड‍िया में ये तरीका काफी पुराना है। इसमें कॉटन के पतले धागे से आइब्रो के अनचाहे बालों को खींचकर निकाला जाता है। धागे से आइब्रो बनवाने के कई फायदे हो सकते हैं। दरअसल, थ्रेड‍िंग से ज्यादा प्रिसाइज शेप मिलती है। स्किन पर क‍िसी प्रकार का कोई केमिकल नहीं लगता है। इसके अलावा छोटे-छोटे बाल भी आसानी से निकल जाते हैं। सेंसिटिव स्किन वालों के लिए थ्रेड ज्‍यादा बेहतर माना जाता है।

    हालांक‍ि इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। आपको बाल न‍िकलवाते समय थोड़ी चुभन या दर्द महसूस हो सकता है। अगर आप पहली बार थ्रेड‍िंग करवा रही हैं तो जलन या लाल‍िमा हो सकती है।

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    वैक्सिंग के फायदे और नुकसान

    वैक्सिंग में गर्म या कोल्ड वैक्स को स्किन पर लगाया जाता है। इसे एक स्‍ट्र‍िप की मदद से खींचा जाता है। ताक‍ि एक झटके में आइब्रो के अनचाहे बालों को हटाया जा सके। यह प्रोसेस तेज होता है लेकिन हर स्किन टाइप के लिए सही नहीं होता है। लेक‍िन इससे स्मूद रिजल्ट मिलता है। दोबारा बाल आने में कम से कम दो से तीन हफ्ताें का समय लगता है। अगर आपके मोटे या ज्‍यादा बाल हों तो ये तरीका बेस्‍ट हो सकता है।

    वैक्‍स‍िंग कराने के कुछ नुकसान भी हैं। दरअसल, आइब्रो की स्किन बहुत नाजुक होती है। ऐसे में वैक्स कराने से स्किन खिंच सकती है। कुछ लोगों को एलर्जी या रैशेज हो सकते हैं। इससे शेप देने में भी थोड़ी मुश्किल हो सकती है।

    कौन सा तरीका बेस्ट?

    अगर आप थ्रेड‍िंग और वैक्‍स‍िंग को लेकर कंफ्यूज हैं तो आप अपनी स्‍क‍िन टाइप को देखते हुए दोनों में से एक को चुन सकती हैं। अगर आपकी स्किन बहुत नाजुक है और आप चाहती हैं कि आइब्रो की शेप बिल्कुल परफेक्ट लगे तो आपके ल‍िए थ्रेडिंग एक बेस्‍ट ऑप्‍शन हो सकता है। अगर आपके आइब्रो के बाल मोटे हैं और स्‍क‍िन भी नाजुक नहीं है तो वैक्‍स‍िंग ट्राई कर सकती हैं। लेक‍िन आप इसे क‍िसी प्रोफ्रेशनल से ही कराएं।

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