World Water Day: बारिश का नहीं करना पड़ेगा इंतजार, किसान अब सालभर कर सेकेंगे खेती
झारखंड में घोर नक्सल प्रभावित जिला है पश्चिमी सिंहभूम। यहां के लोग पानी की समस्या से जूझते रहे हैं। ऐसे में जगन्नाथपुर अनुमंडल के किसानों को खेती के लिए जल की समस्या का अब समाधान मिलता दिख रहा है। इस दिशा में प्रयास करने से सूरत बदलती दिख रही है। यहां के किसान अब पूरे साल अपनी खेती कर सकते हैं।

सुधीर पांडेय, चाईबासा। झारखंड के घोर नक्सल प्रभावित पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर अनुमंडल के किसान को खेती के लिए जल की समस्या से परेशान नहीं होना पड़ेगा।
अब साल भर वह कृषि कार्य कर सकेंगे। उन्हें खेतों की सींचने के लिए उन्हें वर्षा के जल के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
टाटा स्टील की ओर से यहां उनके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई गयी है जिससे कि किसान को हर समय सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहेगा।
जगन्नाथपुर में टाटा स्टील ओएमक्यू की सामुदायिक विकास परियोजना के अंतर्गत "राउंड द ईयर इरिगेशन प्रोजेक्ट" का शुभारंभ किया गया है।
इस अभूतपूर्व परियोजना से चिलचिलाती गर्मी के महीनों के दौरान भी पूरे वर्ष भर किसानों को पाइपलाइन के जटिल नेटवर्क के माध्यम से सीधे वैतरणी नदी से सिंचाई के पानी की निरंतर आपूर्ति होते रहेगी जो इस क्षेत्र की कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
इस व्यापक परियोजना में जगन्नाथपुर अनुमंडल के कुल आठ गांव जिसमें देवगांव, सियालजोड़ा, गितिलपी, भानगांव, लेपांग, जामपानी, महूदी, सारबिल शामिल है, में सालों भर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी।
टाटा स्टील ओएमक्यू डिवीजन के महाप्रबंधक अतुल भटनागर की ओर से बताया गया कि अनुमानित लागत लगभग 1.3 करोड़ से निर्मित इस क्रांतिकारी परियोजना के तहत 8000 मीटर पाइपलाइन बिछाकर 30 तालाबों को जोड़ने का काम हुआ है जिससे पानी की संचित क्षमता लगभग 2 लाख 27 हजार 665 क्यूबिक मीटर की होगी जो आसपास के लगभग 800 एकड़ तक फैले विशाल कमांड क्षेत्र को सिंचाई प्रदान करेगी।
दो लाख तक की वार्षिक आमदनी : इस परिवर्तनकारी योजना से 1500 से ज्यादा कृषक परिवारों को सीधे तौर पर लाभ होगा, जिससे क्षेत्र में कृषि उत्पादकता और किसानों की आजीविका में वृद्धि होगी।
इस सिंचाई सुविधा द्वारा कई पारंपरिक खेती से फसल और सब्जी उगाये जाएंगे जिससे किसानों की वार्षिक आमदनी लगभग 2 लाख से ऊपर होने की संभावना है।
यह परियोजना सामुदायिक विकास और भूमि की उर्वरा क्षमता के लिए लाभकारी तो होगा ही, साथ ही इससे आसपास के पर्यावरण और वनक्षेत्र का भी विस्तार होगा परिणामस्वरूप जैव संरक्षण एवं विविधता को भी एक नई जीवन मिलने की संभावना है।
कंपनी की ओर से बताया गया कि यह प्रोजेक्ट अपने रिकार्ड समय से पूर्व ही पूरा कर लिया गया है।
क्या कहते हैं आंकड़े
- 8,000 मीटर पाइपलाइन बिछाई गई
- 30 तालाबों को जोड़ा गया
- 800 एकड़ खेतों को मिलेगा पानी
- 1500 किसानों को मिलेगा लाभ
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