Holi 2025: UP-बिहार सहित इन राज्यों में बिकता है सिमडेगा का कटहल, होली से पहले बढ़ी डिमांड
झारखंड के सिमडेगा में कटहल का 40 करोड़ का व्यवसाय है। सिमडेगा का कटहल देखने में आकर्षक होने के साथ ही बेहद स्वादिष्ट भी होता है। यही वजह है कि यूपी-बिहार सहित अन्य राज्यों में इसकी डिमांड ज्यादा है। होली के त्योहार से पहले कटहल की डिमांड बढ़ गई है। कटहल का उपयोग सब्जी बनाने के साथ ही अचार के लिए भी किया जाता है।
वाचस्पति मिश्र, सिमडेगा। जिले में कटहल का कारोबार 40 करोड़ रुपये से भी अधिक का है। कटहल की खपत स्थानीय स्तर पर तो होती ही है, करीब दो महीने तक प्रतिदिन 20 से 25 टन कटहल का खेप बिहार, यूपी एवं बंगाल भी भेजी जाती है। होली पर्व के साथ-साथ शादी-विवाह के मौके पर भी बिहार व यूपी जैसे राज्यों में कटहल की अधिक मांग होती है।
स्वाद में लाजवाब है सिमडेगा का कटहल
सिमडेगा का कटहल देखने में आकर्षक तथा स्वाद में बेहद लाजवाब होता है, यही कारण है सिमडेगा के कटहल का कारोबार कई राज्यों तक फैल चुका है।
आपको बता दें कि जिले में जनवरी महीने से ही कटहल बाजार में आने लगता है, लेकिन मार्च एवं अप्रैल महीने में वृहद स्तर पर कटहल की आपूर्ति दूसरे राज्यों में की जाती है।
वर्तमान में स्थानीय स्तर पर कारोबारी 25-30 रुपये किलो कटहल किसानों एवं ग्रामीणों से खरीदते हैं, फिर यही कटहल दूसरे प्रांत में जाकर चार गुणा अधिक दाम पर खुदरा में बिकते हैं।
स्वाद में बेहतर होने के कारण सिमडेगा के कटहल की अधिक मांग है, लेकिन,बंगाल, असम, ओड़िशा एवं आंधप्रदेश से भी कटहल देश के भिन्न-भिन्न बाजारों में पहुंचता है। सिमडेगा से प्रतिदिन 6-7 गाड़ियां कटहल बिहार-यूपी जा रहा है।
भरत प्रसाद, कटहल के बड़े कारोबारी
कटहल के कारोबारी ने बताया कि वे छोटे व्यापारियों के माध्यम से कटहल की खरीदारी करते हैं, फिर उसे एकत्र कर बाहर राज्यों में भेजते हैं। सिमडेगा जिले में दस से अधिक बड़े व्यापारी हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सिमडेगा में कटहल शीघ्र तैयार होता है। इसका लाभ भी किसानों को मिलता है। शुरुआत में लोकल मार्केट में डेढ़ सौ रुपये किलो तक बिकने वाला कटहल मुख्य सीजन में 10-15 रुपये किलो बिकने लगता है। कटहल कारोबारी ने बताया कि कटहल से प्रत्येक वर्ष स्थानीय किसानों को भी अधिक मुनाफा होता है।
कटहल का अचार भी लोकप्रिय
कटहल का मुख्य प्रयोग सब्जी बनाने में ही प्रयोग किया जाता है, लेकिन लोग इसे सुखाकर अचार भी बनाते हैं। कटहल का अचार भी लोगों में काफी प्रसिद्धहै। बिहार-यूपी में तो लोग कटहल के सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
ओड़िशा में पनस नाम से मशहूर है कटहल
- कटहल को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
- पड़ोसी राज्य ओडिशा में इसे पनस के नाम से जाना जाता है।
- संस्कृत में इसे कंटकफल के रूप में जाना जाता है।
- इसका वैज्ञानिक नाम आर्टोकार्पस हेक्ट्रोफिलस है।
- इसे विश्व के सबसे बड़े फल का भी दर्जा प्राप्त है।
- श्रीलंका एवं बांग्लादेश का यह राष्ट्रीय फल भी है।
- केरल व तमिलनाडु में इसे राज्य फल का दर्जा प्राप्त है।
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