Jharkhand News: Jharkhand News: सरायकेला के छऊ कलाकार देश-विदेश में छोड़ रहे कला की छाप, 7 को मिल चुका है पद्मश्री
सरायकेला-खरसावां जिला के सरायकेला छऊ नृत्य का इतिहास काफी पुराना और गौरवशाली रहा है। सरायकेला राजघराने से निकली छऊ नृत्य कला देश के साथ विदेशों में भी अपनी धूम मचा रही है। सरायकेला में बड़ी संख्या में छऊ नर्तक वाद्य यंत्र बजाने वाले पोशाक निर्माता मास्क निर्माता सहित हजारों कलाकार छऊ नृत्य से जुड़े हुए हैं। सरायकेला-खरसावां एक ऐसा जिला है जहां छऊ के क्षेत्र में सात-सात पद्मश्री हुए हैं।

गुरदीप राज, सरायकेला। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला का सरायकेला छऊ नृत्य का इतिहास काफी समृद्ध एवं गौरवशाली रहा है। सरायकेला राजघराने से निकली छऊ नृत्य कला केवल कला ही नहीं इस क्षेत्र का एक बड़ा धार्मिक अनुष्ठान भी है।
सरायकेला में बड़ी संख्या में छऊ नर्तक, वाद्य यंत्र बजाने वाले, पोशाक निर्माता, मास्क निर्माता इत्यादि हजारों कलाकार छऊ नृत्य से जुड़े हुए हैं।
सरायकेला छऊ की ख्याति पूरे विश्व में है। छऊ नृत्य के कलाकार अपनी संस्कृति को तो बचा ही रहे हैं साथ ही देश विदेशों में छऊ का प्रदर्शन कर आर्थिक रुप से समृद्ध भी बन रहे हैं।
विदेशों में मचा रहे धूम
सरायकेला में दर्जनों ऐसे कलाकार है जो भारत के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी कला की धूम मचाते हैं। जिनके कला का डंका विदेशों बजता है।
अमेरिका, जापान, फ्रांस इटली, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में छऊ की प्रस्तुति देने वाले कलाकार सरायकेला की संस्कृति को बचा कर रख रहे हैं। सरायकेला-खरसावां एक ऐसा जिला है जहां छऊ के क्षेत्र में सात-सात पद्मश्री हुए हैं।
कई संगीत नाटक अकादमी से भी पुरस्कृत हैं। जिले में चार हजार से अधिक छऊ कलाकार हैं। जिनमें एक हजार से ज्यादा कलाकारों ने विदेश में अपनी कला का डंका बजवाया है। आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा की स्थापना सरायकेला में 1980 में हुई थी।
वर्तमान में इनके निदेशक पद्मश्री शशाधर आचार्य है। सशाधर आचार्य ने बताया कि इनके केंद्र के माध्यम से विश्व के 52 देशों में छऊ का प्रदर्शन किया है।
अब तक 200 से 300 कलाकार इनके कला केंद्र से जुड़कर विदेशों में छऊ का प्रदर्शन किया। सरायकेला के आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा, त्रिनेत्र, श्री केदार आर्ट्स सेंटर, श्री कला पीठ, संगम प्रोफेसिंग आर्ट्स से कलाकार निकलते हैं।

आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा में छऊ नृत्य सीखते बच्चे।
28 वर्षों में 2500 छात्रों ने ली हैं कला केंद्र से शिक्षा
सरायकेला में छऊ नृत्य कला केंद्र का गठन 1960 में हुआ था, लेकिन 1961 में यह अस्तित्व में आया। इस कला केंद्र में पूर्व निदेशक तपन पटनायक की पहल के बाद 1995 से युवतियों व किशोरियों ने छऊ नृत्य सीखना शुरू किया।
महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे लाने के लिए सबसे पहले तपन पटनायक ने अपनी भगनी व उसकी सहेलियों को छऊ की शिक्षा दी। अब छऊ नृत्य कला से महिलाएं भी जुड़ रही हैं।
सबसे पहले 1938 में राजघराने से दो राजपरिवार की महिला सदस्यों ने छऊ नृत्य के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए थे। तपन पटनायक ने करीब 28 वर्ष के कैरियर में 2500 से ज्यादा छात्रों को इस कला केंद्र में शिक्षित किया।

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