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    Jharkhand News: मुर्शिदाबाद हिंसा का झारखंड में दिखा असर, अपना घर छोड़कर राजमहल पहुंचा 170 हिंदू परिवार

    बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हिंसा के बाद लगभग 170 हिंदू परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया है। इनमें से कई परिवार झारखंड के राजमहल में शरण ले रहे हैं। पीड़ितों ने बताया कि जाफराबाद गांव में दंगे के बाद वे सदमे में हैं। हिंसा में दास परिवार के दो सदस्यों की जान चली गई। वे अब राजमहल में अपने रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित हैं।

    By Kasinath Yadav Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 14 Apr 2025 11:45 PM (IST)
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    दंगा पीड़ितों ने मां को मरीज बना एंबुलेंस का लिया सहारा, सुरक्षित साहिबगंज पहुंचा

    संवाद सहयोगी, राजमहल (साहिबगंज)। वक्फ संशोधन कानून को लेकर हिंसा फैलने के बाद बंगाल के मुर्शिदाबाद के जाफराबाद गांव के लगभग 170 हिंदू परिवारों ने अपना-अपना आशियाना छोड़ सुरक्षित स्थानों पर शरण लिया है।

    इनमें से कई झारखंड के राजमहल भी पहुंचे हैं। नम आंखों से आपबीती सुनाते हुए पीड़ितों ने कहा कि हम सदमे में हैं। आगे क्या होगा, हमें नहीं पता। हिंसा में दास परिवार के दो सदस्यों की जान चली गई।

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    राजमहल पहुंचने के बाद इस परिवार के सदस्य हृदय दास ने बताया कि हमलोगों का यहां पहुंचना आसान नहीं था।

    85 वर्षीय बूढ़ी मां को मरीज बताकर एंबुलेंस में सवार होकर परिवार के 12 सदस्य (मोटरी दास, बापी दास, सुरिचिता सरकार,रूपचंद सरकार, सुष्मिता सरकार, आराध्या दास व अन्य) किसी तरह राजमहल स्थित अपने रिश्तेदार के घर पहुंचे।

    हृदय दास ने बताया कि बीते जुम्मे की नमाज के बाद एकाएक दंगा भड़का। दूसरे दिन शनिवार को दिन के लगभग 11 बजे बम और धारदार हथियार से लैस होकर और नकाब पहने 50-60 की संख्या में दंगाइयों ने हमला कर दिया।

    पुलिस लगभग चार घंटे बाद पहुंची, तबतक हमारे भाई हरगोविंद दास और भतीजा चंदन दास का हत्या कर दंगाइ फरार हो चुके थे।

    इस घटना को देखकर घर में कोहराम मच गया, फिर एंबुलेंस के जरिए हमलोग राजमहल पहुंचे। गांव के अन्य परिवार भी अपने-अपने रिश्तेदारों के पास पहुंच गए हैं। गांव पूरी तरह से खाली हो गया है।

    दास ने बताया कि वह धुलियान के जाफराबाद में नाश्ता की दुकान चलाकर अपना जीवन यापन कई वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने उनके भाई व भतीजे को मौत के घाट उतार दिया।

    उन्होंने कहा कि बंगाल की पुलिस पर लोगों का भरोसा उठ चुका है। यदि बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान नहीं आते तो हालात बद से बदतर हो जाते।

    तारापुर कॉलोनी से आई महिला ने बताया कि कि बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों के चलते वहां का मंदिर बचा हुआ है।

    घर की महिलाओं को भेजा रिश्तेदारों के यहां

    मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान स्थित तारापुर कालोनी के हिंदू समाज के पुरुष वर्ग ने अपनी अस्मिता व वजूद को बचाने की ठान ली है।

    उस कॉलोनी से राजमहल के पूर्वी नारायणपुर के दो नंबर कालोनी में सुरक्षित अपने रिश्तेदार के घर पहुंचीं। पापिया विश्वास ने बताया कि बीते शुक्रवार की रात से जब दूसरे संप्रदाय के लोगों ने हिंसा फैलानी शुरू की तो उसके पति मिथुन विश्वास और घर के अन्य पुरुषों ने विचार किया कि पहले घर की महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित रिश्तेदारों के घर भेज दिया जाए, तब वे लोग उपद्रवियों का सामना सही तरीके से कर पाएंगे।

    घर में महिलाओं व बच्चों के रहने पर वे न तो उन्हें बचा पाएंगे और न ही स्वयं की रक्षा कर पाएंगे। यह सोचकर उनलोगों ने घर में मौजूद तीन महिलाओं व तीन छोटे-छोटे बच्चों को शनिवार की रात एक स्कार्पियो से पहले फरक्का और वहां से पूर्वी नारायणपुर स्थित दो नंबर कालोनी में अपने रिश्तेदार के घर भेज दिया। फरक्का से सभी पुरुष वापस धुलियान लौट गए।

    मंदिर को नष्ट, महिलाओं का मानमर्दन उपद्रवियों का उद्देश्य

    पापिया विश्वास के संग आई परिवार की एक अन्य महिला ने बताया कि उपद्रवियों का उद्देश्य वहां मौजूद राधा गोविंद मंदिर को नष्ट करने के साथ-साथ मौजूद महिलाओं के साथ गलत काम करना तथा घर के बच्चों व पुरुषों को मार डालना है। पापिया ने बताया कि वहां उन लोगों का कारोबार, घर व दुकान है। उपद्रवी चाहते हैं कि सभी लोग वहां से डर से भाग जाए, जिससे वे लोग आसानी से वहां अपना कब्जा कर सकें। 

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