Hemant Soren: बिहार में भी चुनाव लड़ेगी हेमंत सोरेन की JMM, पार्टी को राष्ट्रीय आकार देने की कवायद
हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बिहार में आगामी चुनाव लड़ेगी। पार्टी का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना है। झामुमो बिहार के जमुई भागलपुर समेत कई जिलों में चुनाव लड़ेगा। पार्टी असम बंगाल और ओडिशा में भी संगठन को मजबूत करेगी। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर गुजरात छत्तीसगढ़ एवं दिल्ली जैसे राज्यों में भी दल को राजनीतिक पहचान स्थापित करना है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड की सत्ता में दोबारा वापसी के बाद सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में गजब आत्मविश्वास का संचार हुआ है। इसके बूते पार्टी को आने वाले दिनों में राष्ट्रीय आकार देने की कवायद होगी। 13वें केंद्रीय महाधिवेशन में पेश राजनीतिक प्रस्ताव में इसेे शामिल किया गया है।
प्रस्ताव में उल्लेख है कि नई राजनीतिक परिस्थिति की यह मांग है कि पार्टी के स्वरूप को एक राष्ट्रीय आकार प्रदान करें तथा आनेवाले दिनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक समन्वय एवं संपर्क कार्यालय स्थापित करें। झामुमो का अधिकाधिक फोकस पड़ोसी राज्यों पर होगा।
इसके तहत बिहार के जमुई, भागलपुर पुर्णिया, कटिहार, किशनगंज, बांका जिलों में संगठन को सक्रिय करते हुए आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाएगी। उक्त जिलों के आदिवासी, पिछड़े, दलित एवं अल्पसंख्यक समाज को एकजुट कर उनके कल्याणार्थ संघर्ष को तेज किया जाएगा।
असम के उदलगिरि, कोकराझार, डिब्रूगढ़ जिलों में बड़ी संख्या में झारखंड के प्रवासीजनों की एक बड़ी संख्या वहां के चाय बगानो तथा अन्य व्यवसायों में संलग्न है। उन्हें एकजुट कर राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी का पहचान दिलाने के अधिकार को मजबूती प्रदान करें एवं आसन्न विधानसभा चुनाव में अपनी सक्रिय उपस्थिति पार्टी दर्ज करे।
इसके अलावा बंगाल के झाड़ग्राम, पुरुलिया, बांकुरा, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, पश्चिम वर्धमान, वीरभूम जिलों के आदिवासी और मूलवासी को संगठन कर सक्रिय बनाया जाएगा। इन इलाकों में पार्टी का पुराना जनाधार है।
ओडिशा के मयूरमंज, क्योंझर एवं सुंदरगढ़ जिले में पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा एवं लोकसभा स्तर पर अपना प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की पार्टी की योजना है। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर, गुजरात, छत्तीसगढ़ एवं दिल्ली जैसे राज्यों में भी दल को राजनीतिक पहचान स्थापित करना है।
भाजपा की नींद उड़ाई हेमंत सोरेन ने, षड्यंत्र कर राजभवन में किया गिरफ्तार
राजनीतिक प्रस्ताव में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि देश, समाज में सांप्रदायिक एवं सामाजिक अविश्वास का वातावरण है और संविधान पर केंद्र में स्थापित शासक भाजपानीत एनडीए गठबंधन सरकार लगातार प्रहार कर रही है। केंद्र व राज्य के बीच परस्पर समन्वय पर लगातार असंतुलन को केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाया जा रहा है।
हेमंत सोरेन की सफलता से घबरा कर भाजपा ने षड्यंत्र किया। स्थायी सरकार को अपदस्थ करने के लिए कई राजनीतिक कुचक्र रचे गए। पार्टी की एकता एवं संगठित स्वरूप ने हर चुनौती को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया। हेमंत सोरेन की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं सामाजिक तथा आर्थिक सुरक्षा ने केंद्र की भाजपा सरकार की नींद उड़ा दी।
सीबीआई, ईडी, आइटी को अकल्पनीय एवं मनगढ़त आरोपों के साथ ताबड़तोड़ छापेमारी, गिरफ्तारी एवं मानसिक प्रताड़ना के सुनियोजित साजिशों को एक के बाद एक चरण में अमलीजामा पहनाना प्रारंभ किया गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजभवन से गिरफ्तार कर बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेजा गया, जो देश में पहली बार किसी कार्यरत मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी थी। इसे भारत के संघीय ढांचे एवं लोकतांत्रिक मूल्यों को जड़ से समाप्त करने की पहली कोशिश के रूप में काला अध्याय के तौर पर जाना जाएगा।
56 इंच सीने वाले के सीन में 56 विधायक तीर के समान हुए प्रवेश
राजनीतिक प्रस्ताव में उल्लेख है कि पांच माह के कठिन कारावास ने हेमंत सोरेन को तपाकर लौह युवा के तौर पर गढ़ा। न्यायालय के आदेश के तहत वे रिहा हुए। भाजपा के षड्यंत्र अब भी समाप्त नहीं हुए और पार्टी पर सांगठनिक प्रहार की पुनः व्यूह रचना की गई।
पार्टी में विश्वासघात करने वालों को चिह्नित कर उनके द्वारा संगठन में दरार डालने की कोशिश की गई, जिसे हेमंत सोरेन ने ध्वस्त कर दिया। विधानसभा चुनाव में पुनः हेमंत सोरेन के नेतृत्व में संयुक्त गठबंधन ने दो तिहाई बहुमत से जनादेश प्राप्त किया एवं 56 इंच सीने वाले के सीने में 56 विधानसभा के प्रतिनिधियों ने तीर के समान प्रवेश किया।
वक्फ संशोधन बिल का होगा विरोध, संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जे की कोशिश
झामुमो ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया है। इसे अल्पसंख्यक अधिकारों का हनन बताते हुए कहा गया है कि जमीन राज्य का विषय है। किसी भी कानून के संशोधन से पूर्व उससे प्रभावित पक्ष से विचार-विमर्श करना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है। वक्फ बोर्ड के संशोधन से पूर्व हमारे राज्य से हमारी भावना नहीं पूछी गई।
हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं। संशोधित वक्फ कानून- 2025 भारतीय संविधान के मूलभावना प्रस्तावना एवं संविधान का खुला उल्लंघन है। हम धर्मनिरपेक्षता के अपने उच्च आदर्शों पर कठोर प्रण के साथ खड़े हैं। केंद्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं को कब्जे में कर रही है।
परिसीमन सुरक्षित सीटों को घटाने की साजिश, होगा विरोध
झामुमो ने परिसीमन का विरोध करते हुए कहा है कि यह आदिवासी सुरक्षित सीटों को घटाने की साजिश का हिस्सा है। केंद्र लोकतांत्रिक ढांचे को ध्वस्त करना चाहती है। परिसीमन का तानाबाना बुना जा रहा है, ताकि देश के भाषाई अल्पसंख्यक, अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) एवं अनुसूचित जाति के संवैधानिक प्रतिनिधित्व पर हमला कर उसे कम किया जा सके और उनके अधिकारों में कटौती की जा सके।
वर्तमान परिसीमन संवैधानिक तौर पर भी गलत है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 80, 81 के विरुद्ध है, जिसमें स्पष्टतः लोकसभा एवं राज्यसभा की संख्या निश्चित की गई है। झामुमो किसी भी तरह के परिसीमन का विरोध करता है।
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