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    Jharkhand Politics: कौन बनेगा BJP विधायक दल का नेता, 'सुप्रीम' ऑर्डर के बाद भी कहां फंसा है पेच?

    Updated: Mon, 10 Feb 2025 08:09 PM (IST)

    झारखंड में विधानसभा चुनाव के तीन महीने बाद भी भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है। पार्टी इस पद के लिए निर्णय लेने में असमर्थ है जिससे भीतर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। बाबूलाल मरांडी को इस पद के लिए प्रमुख उम्मीदवार बताया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद यह चयन नहीं हुआ जिससे महत्वपूर्ण नियुक्तियां प्रभावित हो रही हैं।

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    कौन बनेगा BJP विधायक दल का नेता, 'सुप्रीम' ऑर्डर के बाद भी कहां फंसा है पेंच?

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव संपन्न होने को तीन माह बीतने को है। आश्चर्यजनक तरीके से अभी तक भारतीय जनता पार्टी विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल होने की वजह से भाजपा विधायक दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल होगा। पार्टी इस पद के लिए चयन को लेकर अभी तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है।

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    प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, आलाकमान को इस संदर्भ में निर्णय लेना है और उसी की प्रतीक्षा की जा रही है। नेता का चयन नहीं होने की वजह से उहापोह की स्थिति पार्टी के भीतर अवश्य है।

    कहा जा रहा है कि विधानसभा के बजट सत्र के पूर्व इसपर निर्णय किया जा सकता है। 24 फरवरी से झारखंड विधानसभा का बजट सत्र आरंभ हो रहा है।

    रेस में सबसे आगे बाबूलाल मरांडी

    विधायक दल का नेता चयनित नहीं होने से पार्टी विधानसभा में सत्ता पक्ष के निशाने पर आ सकती है, ऐसे में यह कवायद इससे पूर्व किए जाने की प्रबल संभावना है।

    अभी तक भाजपा के प्रदेश बाबूलाल मरांडी इस पद के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त बताए जा रहे हैं। फिलहाल मरांडी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

    विधायक दल का नेता बनने की स्थिति में प्रदेश अध्यक्ष पद पर नए सिरे से नियुक्ति होगी। पद की दौड़ में शामिल एक वरीय नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि अब काफी देर हो चुकी है।

    आलाकमान को इस जल्द निर्णय लेना चाहिए। पांच साल तक पार्टी को हर हाल में विपक्ष में बैठना है। इसमें जितनी देरी होगी, उतना ही गलत संदेश जाएगा।

    बीत गई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की भी अवधि

    • झारखंड में भाजपा द्वारा विधायक दल के नेता का चयन नहीं करने से मुख्य सूचना आयुक्त सरीखे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति में बाधा आ रही है।
    • सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के क्रम में राज्य सरकार द्वारा दी गई दलील के बाद दो सप्ताह के भीतर नेता का चयन कर सूचित करने का निर्देश बीते सात जनवरी को दिया गया था। यह अवधि भी काफी पहले गुजर चुकी है।
    • पहले महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर नियुक्ति को लेकर भाजपा राज्य सरकार पर निशाना साधती थी। अब झारखंड मुक्ति मोर्चा इसे लेकर हमलावर है।

    मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसे लेकर व्यंग्य करते हुए कहा है कि भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि पार्टी विधायक दल का नेता क्यों नहीं चुन पा रही है। क्या राज्य के उनके प्रमुख नेता अयोग्य है?

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