'RSS और BJP के बीच कोई विवाद नहीं', सह सरकार्यवाह अरुण कुमार का क्लियर जवाब
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने स्पष्ट किया है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संघ की कोई भूमिका नहीं होती है। उन्होंने कहा कि भाजपा सहित सभी 32 समवैचारिक संगठनों में निर्वाचन की अपनी प्रक्रिया है और वे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेते हैं। अरुण कुमार ने समाज में आपसी समन्वय और राष्ट्र निर्माण पर भी अपने विचार रखे।

संजय कुमार, बेंगलुरु/रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संघ की कोई भूमिका नहीं रहती है। इसके लिए कोई समन्वय बैठक नहीं होती है।
भाजपा सहित संघ के सभी 32, समवैचारिक संगठनों में निर्वाचन की अपनी प्रतिक्रिया है। वे स्वतंत्र निर्णय लेते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। जल्द परिणाम देखने को मिलेंगे।
सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि भाजपा और आरएसएस में कोई विवाद नहीं है। वे बेंगलुरु में आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की बैठक के दूसरे दिन शनिवार को पत्रकार वार्ता में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संघ की भूमिका को लेकर पूछे गए प्रश्नों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम लोग समाज और राष्ट्र के विषय पर मिलकर काम करते हैं। जरूरत पड़ने पर बैठकें भी होती हैं।
भाजपा में संगठन मंत्री की कमी और संघ से प्रचारक भेजे जाने से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि समवैचारिक संगठनों के कार्य और संघ में प्रचारकों की उपलब्धता के आधार पर हम प्रचारक भेजते हैं।
जैसा भारत बनाना चाहते हैं वैसा बना नहीं है
अरुण कुमार ने समाज में आपसी समन्वय बना रहे से संबंधित सवाल पर कहा कि हम जैसा भारत बनाना चाहते हैं, वैसा बना नहीं है। हम देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति, संगठन और अनुशासन के आधार पर समाज को खड़ा करना चाहते हैं।
हम जैसा समाज बनाना चाहते हैं, वैसा ही स्वयंसेवक बनें। संघ को समाज से अलग खड़ा नहीं करना चाहते हैं। समाज की शक्ति के आधार पर सभी प्रश्नों का समाधान करना चाहते हैं। इसलिए जिस राह पर चले हैं, वह रास्ता सही है।
परिसीमन विवाद से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक प्रक्रिया है। जब विषय आएगा, तब चर्चा करनी चाहिए। अभी तो जनगणना भी नहीं शुरू हुआ है। इसलिए अनावश्यक आशंका पैदा करने की जरुरत नहीं है।
संघ समाज परिवर्तन का बड़ा आंदोलन है
संघ की यात्रा के संबंध में जानकारी देते हुए सह सरकार्यवाह ने कहा कि संघ संगठन नहीं है। यह समाज परिवर्तन का बड़ा जनआंदोलन है। 1925 में संघ की स्थापना हुई। 1940 तक सभी प्रांतों में पहुंच गए। 1972 तक सभी जिलों में पहुंच गए।
1996 तक सभी नगर और प्रखंड तक पहुंच गए। अभी देश के सभी मंडलों (एक मंडल दस से बारह गांवों को मिलाकर बनाया गया है) तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले दो साल में संघ विस्तार के कार्य हेतु दो लाख कार्यकर्ताओं ने स्वेच्छा से एक सप्ताह का समय दिया है। अरुणाचल प्रदेश में 1999 में काम शुरू हुआ और वहां आज 274 शाखाएं लग रही है।
बांग्लादेश में हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन आए आगे
संघ की प्रतिनिधि सभा के दूसरे दिन बांग्लादेश में हिंदुओं सहित दूसरे अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार से संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया।
उस प्रस्ताव के माध्यम से संघ ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और वैश्विक समुदाय से बांग्लादेश में हिंदू तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अमानवीय व्यवहार को रोकने के लिए दबाव बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि विश्व के हिंदू समुदाय एवं अन्य प्रमुख देशों के नेताओं से भी एकजुट होकर अल्पसंख्यक समाज के समर्थन में आवाज उठाने का आग्रह किया।
भारत सरकार से भी अनुरोध किया कि वह बांग्लादेश के हिंदू समाज की सुरक्षा, गरिमा और सहज स्थिति सुनिश्चित करने के लिए वहां की सरकार से निरंतर संवाद बनाए रखने के साथ-साथ हर संभव प्रयास जारी रखें।
बांग्लादेश में घट रही हिंदुओं की संख्या
प्रस्ताव में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की निरंतर घटती जनसंख्या 1951 में 22% से वर्तमान में 7.95 प्रतिशत दर्शाती है कि उनके सामने अस्तित्व का संकट है।
विशेष कर पिछले वर्ष के हिंसा और घृणा को जिस तरह सरकारी और संस्थागत समर्थन मिला, वह गंभीर चिंता का विषय है।
साथ ही बांग्लादेश से लगातार हो रहे भारत विरोधी वक्तव्य दोनों देशों के संबंधों को गहरी हानि पहुंचा सकते हैं। पत्रकार वार्ता में प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार और प्रदीप जोशी उपस्थित थे।
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