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    देश में जातिवाद फैलाने वालों को RSS की चेतावनी, लोगों से कर दी सावधान रहने की अपील

    By sanjay kumarEdited By: Piyush Pandey
    Updated: Fri, 21 Mar 2025 03:20 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश में जाति भाषा प्रांत और पंथ के नाम पर विभेद पैदा करने के षड्यंत्र पर चिंता जताई है। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देश में एकता और अखंडता को चुनौती देने वाली शक्तियां लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि कुछ जनजातीय क्षेत्रों और दक्षिण भारत में अलग पहचान जैसे विमर्श खड़े किए जा रहे हैं जो देश के लिए हितकारी नहीं हैं।

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    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक आयोजित। (फोटो जागरण)

    संजय कुमार, बेंगलुरु/रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक बेंगलुरु में शुक्रवार को प्रारंभ हो गई। बैठक का शुभारंभ सरसंचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने किया।

    बैठक प्रारंभ होने के बाद पत्रकार वार्ता में भाषा से संबंधित सवाल पर आरएसएस के सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने कहा कि संघ हमेशा से अपना काम मातृभाषा में करने पर जोर देता आ रहा है।

    परंतु इसके साथ ही जहां आप रहते हैं, वहां के लोगों से बातचीत करने एवं बाजार में परेशानी से बचने के लिए स्थानीय भाषा और कार्य स्थल की भाषा जानना जरूरी है।

    बैठक का शुभारंभ करते सरसंचालक मोहन भागवत। (जागरण)

    पूर्वोत्तर के लोग दक्षिण में रहते हैं तो यहां की भाषा जानना होगा। तमिलनाडु के लोग दिल्ली में रहते हैं तो हिंदी सीखना होगा। तमिलनाडु में रुपये के चिह्न बदलने से संबंधित सवाल पर कहा कि स्थानीय नेताओं और सामाजिक लोगों को मिलकर बातचीत करना चाहिए। यह बदलाव देश हित में नहीं है।

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    परिसीमन से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी राज्यों की लोकसभा सीटों का ख्याल रखा जाना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री ने भी यह बात कही है। एनआरसी के संबंध में कहा कि यह काम केंद्र सरकार का है। वैसे जो लोग देश में रहते हैं, उनकी पहचान जरूरी है।

    शाखाओं की संख्या पर उन्होंने बताया कि अभी 51,710 स्थानों पर 83129 शाखाएं लग रही है। पिछले वर्ष से 10000 संख्या बढ़ी है। 58981 ग्रामीण मंडल में से 67 प्रतिशत मंडल में शाखाएं लग रही हैं।

    अभी पूरे देश में एक करोड़ स्वयंसेवक हैं। पूरे देश में 32,149 मिलन केंद्र और 12,091 मासिक मंडली है। बैठक में संघ के पदाधिकारियों के साथ समवैचारिक संगठनों के प्रमुख भी भाग ले रहे हैं।

    देश में जाति, भाषा, प्रांत और पंथ के नाम पर विभेद पैदा करने का चल रहा है षड्यंत्र : संघ

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि राष्ट्रीय एकता एकात्मता के सामने चुनौती बनी हुई कई शक्तियां समय-समय पर अपना सिर उठाकर विघटन कार्य को अंजाम देती रही है।

    देश में जाति, भाषा, प्रांत और पंथ के नाम पर विभेदक षड्यंत्र रखने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा पहले भी हुआ है। वर्तमान में भी ऐसी मानसिकता कुछ जनजाति क्षेत्र में या दक्षिण भारत की अलग पहचान जैसे विमर्श खड़ा करने में उभर रही है।

    इससे देश विशेष कर उन क्षेत्रों के लोग अधिक प्रभावित नहीं होंगे। तब भी इस साजिश के बारे में सावधान रहते हुए जनता को जागरूक करने की आवश्यकता है।

    बैठक में उपस्थित लोग।

    उन्होंने बेंगलुरु में शुक्रवार को संघ की तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक प्रारंभ होने के बाद संघ के पदाधिकारी के बीच वार्षिक प्रतिवेदन रखते हुए यह बात कही।

    अल्पसंख्यकों पर हुए बर्बरतापूर्ण आक्रमण घोर निंदनीय

    बांग्लादेश की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा वहां के हिंदू समाज एवं अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए बर्बरतापूर्ण आक्रमण घोर निंदनीय है। लोकतंत्र के लिए यह ठीक नहीं है।

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य संगठनों के संयुक्त प्रयास से देश भर में अनेक स्थानों पर बांग्लादेश की स्थिति के कारण उभरे उन्मादी शक्तियों का खंडन करने के कार्यक्रम हुए। भारत सरकार ने भी हिंदुओं की रक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है।

    उन्होंने कहा कि वैश्विक अभिमत बनाने का प्रयास भी चल रहा है। परंतु वहां की स्थिति अभी भी गंभीर है। इस विकट परिस्थिति में भी बांग्लादेश का हिंदू समाज स्वयं के बलबूते आक्रमणकारी शक्तियों के सामने डटकर खड़ा है और अपनी रक्षा करने के लिए संघर्षरत है जो अत्यंत सराहनीय है।

    मणिपुर की स्थिति ठीक नहीं

    मणिपुर के संबंध में उन्होंने कहा कि पिछले 20 माह से वहां की स्थिति ठीक नहीं है। जनता को अनेक प्रकार के कष्ट भुगतने पड़े हैं। केंद्र सरकार ने राजनीति और प्रशासनिक स्तर पर कुछ कार्रवाई की है। इससे परिस्थितियों में सुधार हो रहा है, परंतु सौहार्दपूर्ण सहज विश्वास का माहौल आने में अभी समय लगेगा।

    इस पूरी अवधि में संघ एवं संघ प्रेरित सामाजिक संगठनों ने एक ओर हिंसक घटनाओं से प्रभावित लोगों की राहत के लिए कार्य किया।

    वहीं, दूसरी ओर विभिन्न समुदायों से निरंतर संपर्क रखा और धैर्य बनाए रखने का संदेश देते हुए स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयत्न किया। अभी भी सारे प्रयास चल रहे हैं। 100 से अधिक सेवा कैंप लगाए गए हैं।

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