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    Jharkhand Politics: झामुमो के पूर्व विधायक को झटका, हाई कोर्ट से नहीं मिली जमानत

    Updated: Thu, 17 Apr 2025 07:14 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व विधायक पौलुस सुरीन को औपबंधिक जमानत देने से इनकार कर दिया। पौलुस सुरीन ने अपने भतीजे की मृत्यु का हवाला देते हुए जमानत मांगी थी ताकि वे श्राद्धकर्म में शामिल हो सकें। पौलुस सुरीन 2013 में मुखबिर भूषण कुमार सिंह और राम गोविंद की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए हैं और आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

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    झारखंड हाई कोर्ट ने औपबंधिक जमानत देने से किया इंकार। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय और अंबुज नाथ की खंडपीठ में झामुमो के पूर्व विधायक पौलुस सुरीन को औपबंधिक जमानत देने के मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी को औपबंधिक जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। पौलुस सुरीन ने अपने भतीजे की मृत्यु का हवाला देते हुए 15 दिनों के औपबंधिक जमानत देने का आग्रह किया था।

    उनकी ओर से कहा गया था कि उनके बड़े भाई की पहले ही मौत हो चुकी है। इसलिए भतीजे के श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए अनुमति प्रदान की जाए।

    पौलुस सुरीन पर वर्ष 2013 में मुखबिर भूषण कुमार सिंह और राम गोविंद की हत्या का आरोप है। इस मामले में अप्रैल 2024 में रांची की निचली अदालत ने पौलुस के साथ जेठा कच्छप को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद से पौलुस जेल में है।

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    पौलुस ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है। घटना खूंटी के तोरपा की है। वर्ष 2013 में पुलिस मुखबिर भूषण सिंह और राम गोविंद की हत्या कर दी गई थी। मामले में पौलूस सुरीन, नक्सली जेठा कच्छप, कृष्णा महतो और तीन महिला सहित छह को आरोपित बनाया गया था।

    इसी मामले में पीएफएलआई सुप्रीमो दिनेश गोप भी ट्रायल फेस कर रहे हैं। अभियोजन पक्ष की ओर से 12 गवाह पेश किए गए थे, जबकि बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह पेश किया गया। हत्याकांड की घटना को लेकर कर्रा थाना में कांड में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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