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    Jharkhand Police: डीआईजी की अनुशंसा पर भारी पड़ी SDPO की रिपार्ट, झारखंड पुलिस एसाेसिएशन ने जताई आपत्ति

    Updated: Thu, 08 May 2025 08:29 PM (IST)

    Jharkhand Police News धनबाद में पुलिसकर्मियों के तबादले में मुख्यालय की भूमिका पर सवाल उठे हैं। डीआईजी की अनुशंसा के बाद भी एसडीपीओ की रिपोर्ट पर दो सिपाहियों का तबादला रद कर दिया गया। झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने इस पर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि डीजीपी के कार्यालय में बैठे कुछ लोग गलत तरीके से तबादले कर रहे हैं।

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    खबर की प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    दिलीप कुमार, रांची। राज्य में हो रहे सिपाही से पुलिस निरीक्षक स्तर तक के पदाधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन में पुलिस मुख्यालय की भूमिका संदेह के घेरे में है।

    झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है और बताया है कि डीजीपी की गोपनीय शाखा में बैठे कुछ लोग नियम विरुद्ध ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल में लगे हुए हैं।

    ताजा मामला धनबाद का है। यहां एसएसपी धनबाद की अनुशंसा पर कोयला क्षेत्र बोकारो के डीआईजी सुरेंद्र कुमार झा ने 28 जनवरी को 54 पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण प्रशासनिक दृष्टिकोण से करने की अनुशंसा पुलिस मुख्यालय से की थी।

    डीजीपी के आदेश पर सभी 54 पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण हो भी गया। डीजीपी के आदेश पर डीआईजी कार्मिक ने 24 फरवरी को प्रशासनिक दृष्टिकोण लगाते हुए सभी 54 पुलिसकर्मियों का विभिन्न जिला-इकाइयों में स्थानांतरण-पदस्थापन कर दिया।

    इससे संबंधित पत्र भी जारी हो गया। इसके बाद एसडीपीओ बाघमारा की पांच मई को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर पर डीजीपी ने उन 54 पुलिसकर्मियों में से दो सिपाही संजय कुमार महतो और गौरव कुमार सिंह के स्थानांतरण को रद करते हुए पुन: धनबाद जिले में वापस कर दिया।

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    डीजीपी के आदेश पर डीआईजी कार्मिक ने छह मई को इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया। सवाल यहां यह उठा है कि जिसे अनुशासनहीनता में हटाया, उसे पुन: उसी जिले में कैसे बहाल कर दिया।

    खुद को निर्दोष बता हाई कोर्ट पहुंचे हैं सभी 54 पुलिसकर्मी

    सामान्य स्थानांतरण और प्रशासनिक दृष्टिकोण से स्थानांतरण में अंतर होता है। सामान्य स्थानांतरण में जिस जिले से स्थानांतरित हुए, उसी जिले में वापसी संभव है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से स्थानांतरण मतलब अनुशासनहीनता के आरोप में स्थानांतरण।

    प्रशासनिक दृष्टिकोण से स्थानांतरण के लिए पुलिस मैनुअल में नियम है कि इसे किसी भी परिस्थिति में निरस्त नहीं किया जा सकता है। जिस पर यह लगता है, उन्हें  दूसरे जिले में ही स्थानांतरित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उनकी उसी जिले में पुन: वापसी नहीं हो सकती है।

    प्रशासनिक दृष्टिकोण से स्थानांतरण किए जाने के विरोध में ही सभी 54 पुलिसकर्मियों ने अपने को निर्दोष बताते हुए उच्च न्यायालय में डब्ल्यूपीसी संख्या 3543/25 में पुलिस मुख्यालय के आदेश के विरुद्ध गुहार लगाई है जो न्यायालय में विचाराधीन है।

    झारखंड पुलिस एसाेसिएशन का क्या है कहना

    झारखंड पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश संयुक्त सचिव राकेश कुमार पांडेय ने बताया कि पुलिस मुख्यालय के एनजीओ में बैठे कुछ लोग ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल खेल रहे हैं।

    डीजीपी को गुमराह कर ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल हो रहा है। डीजीपी को उच्च स्तरीय जांच कराकर ऐसे लोगों को चिह्नित कर उन्हें हटाना चाहिए, ताकि पुलिस मुख्यालय की छवि धूमिल न हो।

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